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बरेली में एक गाड़ी ऐसी जो कोरोना संक्रमितों को उपलब्ध करा रही घर जैसा भोजन, जानिये कहां खड़ी होती है ये गाड़ी, कौन कर रहा लोगों की सेवा

कोविड या नॉन कोविड अस्पताल के बाहर गाड़ी लगाकर कारीगरों से भोजन बनवाते हैं। फिर स्नेह से अस्पताल के स्टाफ तीमारदार और असहायों को निश्शुल्क बांटते हैं। सुदेश के मुताबिक लोगों की पॉकेट में अगर पैसा हो फिर भी लॉकडाउन में सुरक्षित भोजन के लिए लोग तरसते हैंं।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Fri, 28 May 2021 04:20 PM (IST)Updated: Fri, 28 May 2021 04:20 PM (IST)
बरेली में एक गाड़ी ऐसी जो कोरोना संक्रमितों को उपलब्ध करा रही घर जैसा भोजन, जानिये कहां खड़ी होती है ये गाड़ी, कौन कर रहा लोगों की सेवा
छोटा हाथी गाड़ी में तेल, आटा, चावल, सब्जी लेकर चलते हैं सुदेश गुप्ता।

बरेली, जेएनएन। ‘नर सेवा, नारायण सेवा’। इन्हीं शब्दों को मूलमंत्र मानते हुए प्रतिदिन सुदेश गुप्ता अपने छोटे हाथी में तेल, आटा, चावल, सब्जी लेकर निकल पड़ते है। कोविड या नॉन कोविड अस्पताल के बाहर गाड़ी लगाकर कारीगरों से भोजन बनवाते हैं। फिर स्नेह से अस्पताल के स्टाफ, तीमारदार और असहायों को निश्शुल्क बांटते हैं। सुदेश के मुताबिक लोगों की पॉकेट में अगर पैसा हो फिर भी लॉकडाउन में सुरक्षित भोजन के लिए लोग तरसते हैंं।

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उन्होंने कोविड में लोगों के इस दर्द को महसूस किया। इसलिए घर की तरह भोजन तैयार कराने और लोगों तक पहुंचाने का संकल्प लिया। कोशिश उनके अकेले की थी। लेकिन शहर के लोगों का सहयोग भी मिलता गया। उनका खुद का कैटरिंग का व्यवसाय है। इसलिए बारदाना और कारगीर मौजूद थे। गांधी ट्रांसपोर्ट के मालिक अजय गुप्ता ने उन्हें एक छोटा हाथी गाड़ी नेक कार्य के लिए दी। राजेंद्रनगर के डॉ. वीरेंद्र ने ड्राइवर मुहैया कराया। इंडियन ऑयल के पेट्रोल पंप मालिक राजवीर गुप्ता ने इस गाड़ी के लिए ईंधन की व्यवस्था की। व्यापारी अजय गुप्ता खाद्य पदार्थ की व्यवस्था कराते हैं।

समझिए घर जैसा भोजन कराते हैं: बरेली डेलापीर तालाब के पास रहने वाले सुदेश गुप्ता के मुताबिक कोविड की पहली लहर में लगातार 85 दिन उन्होंने चौराहों, अस्पताल और मलिन बस्तियों को भोजन वितरण किया। उन्होंने कहा कि आटा, चावल, दाल, सब्जी सभी गुणवत्ता वाले होते हैं। समझिए, घर जैसा भोजन कराते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे तो हम पैकेट बनवाकर भी बंटवा सकते हैं, लेकिन इससे भोजन करने वाले का सिर्फ पेट भरेगा। मन नहीं। इसलिए मौके पर बनवाकर बढ़िया भोजन कराते हैं।


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