Bareilly Double Storey Collapse : अस्पताल में भर्ती शकील ने सुनाई हादसे की दास्तां बोले- मलबे में दबे जाहिद कहता रहा.. शकील भाई मुझे बचा लो
Bareilly Double Storey Collapse दोपहर तकरीबन तीन बजे का वक्त था। कृष्णअवतार के निर्माणाधीन मकान के बेसमेंट में लिंटर ढालने की तैयारी में शकील जाहिद और धर्मेंद्र सामग्री जुटा रहे थे। बकौल शकील अचानक तेज आवाज के साथ अंधेरा छा गया।
बरेली, जेएनएन। Bareilly Double Storey Collapse : दोपहर तकरीबन तीन बजे का वक्त था। कृष्णअवतार के निर्माणाधीन मकान के बेसमेंट में लिंटर ढालने की तैयारी में शकील, जाहिद और धर्मेंद्र सामग्री जुटा रहे थे। बकौल शकील अचानक तेज आवाज के साथ अंधेरा छा गया। उनके ऊपर महसूस होने वाले दबाव से वह समझ चुके थे कि जिस मकान का बेसमेंट तैयार कर रहे है, वह ढह चुका है। चीखने की कोशिश उन्होंने की। लेकिन मलबे के नीचे आवाज दबकर रह गई। शकील के मुताबिक उनको जाहिद की घुटी हुई कराहती हुई आवाज सुनाई पड़ी। मुझे बचा लो शकील भाई... मैं दब गया हूं। दर्द बहुत ज्यादा है। लगता है मेरा पैर टूट चुका है। शकील की तरह ही धर्मेंद्र दूसरी तरफ मलबे में दबा हुआ था। लेकिन उसकी आवाज नहीं आ रही थी। शकील ने पुकारा, लेकिन सिर्फ कराहने की आवाज ही सुनाई दी।
शकील जिला अस्पताल के बेड नंबर 11 पर भर्ती हैं। उन्होंने बताया कि तकरीबन 30 मिनट तक उनकी बातचीत जाहिद से होती रही। वह बार-बार शकील से मलबा हटवाकर उसको बचाने के लिए कहता रहा। लेकिन शकील खुद ही मलबे में दबे हुए थे। शकील के मुताबिक अचानक कुछ गिरने और चटकने की आवाजें सुनाई दी। सन्नाटा होते हुए उन्होंने जाहिद और धर्मेंद्र के नाम पुकारे, लेकिन जवाब आने बंद हो चुके थे। उन्हें एहसास हो चुका था कि दोनों की सांसों की डोर टूट गई।
लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उनकी जेब में मोबाइल था। जिसके जरिये उन्होंने बाहर खड़े लोगों में कृष्ण अवतार गुप्ता से संपर्क किया। उन्हें बताया कि वह मलबे में दबा हुआ है और जिंदा है। इसके बाद रेस्क्यू आपरेशन में जुटी टीमों सीधे शकील से बातचीत करती रही। शकील उन्हें मलबा गिरने पर तुरंत बता देते थे कि खोदाई रोके। नहीं तो उनका दम घुट जाएगा। तकरीबन साढ़े चार घंटे तक मलबा हटाने के बाद रेस्क्यू टीमें उन तक पहुंच गई।
उन्हें खींचने का प्रयास हुआ, लेकिन पैर किसी भारी चीज के नीचे फंसा हुआ था। दोबारा उनकी पीठ की तरफ से खोदाई शुरू करके खाली जगह तैयार की गई। ताकि उन्हें सहारा देकर ऊपर खींचा जा सके। जिला अस्पताल में मौजूद शकील के मुताबिक उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, इसलिए आज वह अपने स्वजन के साथ है। अस्पताल में मौजूद उनकी पत्नी गुलजार और बुआ वजीरन के आरोप थे कि उन्हें इलाज सही से नहीं मिल रहा है। डॉक्टर देखने तक नहीं आए।