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बरेली में अंतिम संस्कार के लिए भी लोगों को करना पड़ रहा इंतजार, श्मशान के व्यवस्थापक बोले पहली बार देख रहे ऐसा मौत का मंजर

कोविड संक्रमण से श्मशान घाटों के दृश्य बेहद दर्दनाक हो चले हैं। व्यवस्थापकों के लिए ये जिंदगी का सबसे भयावाह समय हैं। हर पांच मिनट पर एक अर्थियों के साथ शोकाकुल लोग आते दिखते है।आखिरी वक्त में भी स्वजनों को इंतजार करना पड़ता है ताकि वह दाह संस्कार कर सके।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 11:12 AM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 11:12 AM (IST)
बरेली में अंतिम संस्कार के लिए भी लोगों को करना पड़ रहा इंतजार, श्मशान के व्यवस्थापक बोले पहली बार देख रहे ऐसा मौत का मंजर
श्मशान घाट के व्यवस्थापक बोले अब तो घर जाने में भी होती है घबराहट।

बरेली, जेएनएन। कोविड संक्रमण से श्मशान घाटों के दृश्य बेहद दर्दनाक हो चले हैं। व्यवस्थापकों के लिए ये जिंदगी का सबसे भयावाह समय हैं। हर पांच मिनट पर एक अर्थियों के साथ शोकाकुल लोग आते दिखते है। आखिरी वक्त में भी स्वजनों को इंतजार करना पड़ता है, ताकि वह दाह संस्कार कर सके। व्यवस्थापक कहते है कि आम दिनों में अगर दस शव भी आते थे, तो अधिक महसूस होने लगते थे। अब शवों की कतार, श्मशान घाटों की सीमित जगह और रोते-बिलखते स्वजनों को देखकर दिल फटने को आता है।

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संजयनगर स्थित श्मशान घाट के व्यवस्थापक जेपी सिंह के मुताबिक यहां काम करते हुए करीब बीस साल हो गए। लेकिन, जिस तरह से पिछले ड़ेढ़ सप्ताह से अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उसे देख डर लगने लगा है। हर रोज सुबह नौ बजे से ही श्मशान घाट में रोने-धोने की आवाज कानों में पड़नी शुरू हो जाती हैं, जो शाम छह बजे तक नहीं थमती थीं। बताया कि हर सप्ताह एक दिन के लिए घर चले जाते हैं। मगर, इस समय हालात ऐसे हैं कि कदम खुद ब खुद जैसे बेड़ियों में बंध से गए हैं।

सिटी श्मशान भूमि में चबूतरे की लिपाई करने वाले विजय बताते हैं कि वह 20 वर्षों में पहली बार हर दिन इस तरह से शवों की कतार लगते हुए देख रहे हैं। आलम यह है कि एक चिता ठंडी नहीं हो पाती और दूसरी चिता की तैयारी शुरू होने लगती है। एक सप्ताह से अपने घर नहीं जाने का मौका नहीं मिला है। वह कहते हैं कि स्थिति को देखते हुए तो अब मन भी घर जाने के लिए गवाही नहीं दे रहा है।

दूसरे दिन भी लोगों को होती रही परेशानी

मंगलवार को खराब हुई पीएनजी मशीन अगले दिन भी ठीक न हो सकी। इससे अंतिम संस्कार को शव लेकर पहुंचे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। ऐसे में मजबूरन चबूतरे खाली न होने की वजह से जमीन पर ही शव का अंतिम संस्कार करना पड़ा। सिटी श्मशान भूमि में त्रिलोकी नाथ ने बताया कि मशीन की मरम्मत के लिए प्रबंधन से बात की गई। लेकिन, कोई हल न निकल सका।

70 चिताओं में 18 कोविड प्रोटोकाॅल से जले

बरेली: जिले में संक्रमित हाेने वाले लोगों के साथ ही मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है। श्मशान घाट में चबूतरे न मिलने पर लोग जमीन पर संस्कार करने को मजबूर हैं। संजयनगर स्थित श्मशान घाट और सिटी श्मशान भूमि में मंगलवार को 70 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। सिटी श्मशान में नौ काविड और 25 सामान्य शवों की चिताएं जलीं। तो वहीं संजयनगर के श्मशान घाट में सात संक्रमित शव और 23 सामान्य शवों का अंतिम संस्कार किया गया। वहीं गुलाबबाड़ी के श्मशान घाट में दो कोविड और दो सामान्य दाह संस्कार हुआ।का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है। श्मशान घाट में चबूतरे न मिलने पर लोग जमीन पर संस्कार करने को मजबूर हैं।

संजय नगर स्थित श्मशान घाट और सिटी श्मशान भूमि में मंगलवार को 47 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। सिटी श्मशान में नौ काविड और 21 सामान्य शवों की चिताएं जलीं। तो वहीं संजय नगर के श्मशान घाट में छह संक्रमित शव और 11 सामान्य शवों का अंतिम संस्कार किया गया।


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