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Bareilly Covid News : कोरोना के खौफ में वरुथिनी एकादशी पर बरेली में होने वाली 90 फीसद शादियांं रद, जानें वरुथिनी एकादशी की क्या हैै मान्यता

Bareilly Covid News वैसाख के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है।शादी ब्याह के लिहाज से इस एकादशी को काफी शुभ माना जाता है।हर साल इस दिन काफी शादियांं होती हैं।इस दिन शादी का शुभ मुहूर्त माना जाता है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 09:47 AM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 09:47 AM (IST)
Bareilly Covid News : कोरोना के खौफ में वरुथिनी एकादशी पर बरेली में होने वाली 90 फीसद शादियांं रद, जानें वरुथिनी एकादशी की क्या हैै मान्यता
इस बार वरुथिनी एकादशी सात मई यानी शुक्रवार के दिन पड़ रही है।

बरेली, जेएनएन। Bareilly Covid News : वैसाख के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है।शादी ब्याह के लिहाज से इस एकादशी को काफी शुभ माना जाता है।हर साल इस दिन काफी शादियांं होती हैं।इस दिन शादी का शुभ मुहूर्त माना जाता है। इस बार वरुथिनी एकादशी सात मई यानी शुक्रवार के दिन पड़ रही है।बरेली में इस दिन सैकड़ों शादी समारोह होने थे, लेकिन कोरोना के खौफ में 90 फीसद शादियां कैंसिल कर दी गईं। जो बाकी होनी हैं वे कोविड गाइडलाइन के तहत होंगी। लॉकडाउन और कोविड की गाइडलाइन को लेकर जहां शादी ब्याह वाले परिवार परेशान हैं वहीं बैंक्वेट हॉल मालिकों भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

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पंडित मुकेश मिश्र के अनुसार वरुथिनी एकादशी सभी पापों को नष्ट करने वाली मानी जाती है। इस दिन हर काम के लिए शुभ मुहूर्त होता है। सौभाग्य प्रदान करने वाली वरुथिनी एकादशी पर शादी का शुभ मुहूर्त माना जाता है।ऐसे में इस दिन काफी समारोहा होते हैं। इसके चलते ही बरेली में सभी बैंक्वेट हॉल बुक थे।लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन और पाबंदियों से लोगों ने शादियां स्थगित कर दी हैं।बैंक्वेट हॉल की बुकिंग कैंसिल कर दी हैं। बैंक्वेट हॉल मालिकों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के कारण सीमित संख्या के लोगों के साथ समारोह करने से लोग पीछे हट रहे हैं। इससे शादी वाले परिवार ही नहीं बैंक्वेट हॉल मालिक भी परेशान हैं। इसके चलते करीब 90 फीसद लोगों ने अपनी बुकिंग कैंसिल करा दी हैं। जो बाकी बची हैं उनमें लॉकडाउन की पाबंदियां परेशानी पैदा कर रही हैं।

वरुथिनी एकादशी की मान्यता

बरेली के पंडितों के अनुसार नर्मदा नदी के तट पर राजा मान्धाता का राज्य था। एक दिन जंगल में तपस्या के दौरान एक भालू उनका पैर चबाने लगा लेकिन, तपस्या में लीन मान्धाता ने अपना पैर छुड़ाने की कोशिश नहीं की। भालू पैर चबाते-चबाते उन्हें जंगल में खींच ले गया। तब मान्धाता ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की।इस पर भगवान विष्णु प्रकट हुए और भालूू का सिर काट दिया। लेकिन तब तक भालू मान्धाता का पैर चबा चुका था। मान्धाता के पूछने पर भगवान ने कहा कि वह मथुरा जाकर वरुथिनी एकादशी का व्रत करें और उनके बारह अवतार की पूजा करें, उससे लाभ होगा। इस पर मान्धाता ने ऐसा ही किया और उनके पैर सही हो गए। तभी से वरुथिनी एकादशी की मान्यता चली आ रही है। 


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