Bareilly Coronavirus News : बरेली में कोरोना संक्रमित होम आइसोलेट मरीज मरने के बाद भी हैं जिंदा, जानिये कैसे
Bareilly Coronavirus News श्मशान पर कोविड प्रोटोकाल के तहत होने वाले अंतिम संस्कार और सरकारी आंकड़ों में मरने वाले कोविड संक्रमितों की संख्या में प्रतिदिन काफी अंतर होता है। एक अप्रैल से अब तक सात से आठ सौ शव अलग अलग श्मशान पर कोविड प्रोटोकाल के तहत जलाए गए।
बरेली, (अंकित गुप्ता)। श्मशान पर कोविड प्रोटोकाल के तहत होने वाले अंतिम संस्कार और सरकारी आंकड़ों में मरने वाले कोविड संक्रमितों की संख्या में प्रतिदिन काफी अंतर होता है। एक अप्रैल से अब तक तकरीबन सात से आठ सौ लोगों के शव अलग अलग श्मशान पर कोविड प्रोटोकाल के तहत जलाए गए। बेशक इसमें मंडल के अन्य जिलों के लोगों के शव शामिल थे, लेकिन 90 फीसद शव बरेली के थे। अब बता दें कि यह अंतर क्यों आ रहा है। दरअसल स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों में होम आइसोलेशन में मरने वाले लोगों को शामिल ही नहीं किया जा रहा है। यह हम नहीं आंकड़े बता रहे हैं। जिन संक्रमितों की मौत हुए पांच से छह दिन बीत चुके, विभाग के आंकड़े उन्हें अब तक होम आइसोलेट किए हैं। जागरण पड़ताल में ऐसे ही कुछ केस सामने आए।
केस-1 : आंकड़ों में चल रहा इलाज, स्वजन कर चुके अंत्येष्टि
शहर के डीडीपुरम निवासी केपीआरसी कला केंद्र इंटर कालेज की शिक्षिका अनीता सक्सेना का पांच दिन पहले कोरोना संक्रमण के चलते एक निजी कोविड अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। वह होम आइसोलेसन में थी लेकिन कोविड कमांड सेंटर द्वारा उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी मौत के बाद स्वजन अंत्येष्टि कर चुके हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में वह अभी जीवित हैं और उनका इलाज चल रहा है।
केस-2 : दो दिन पहले हो चुकी मौत, आंकड़ों में स्वस्थ
शहर के शिवपुर कालोनी निवासी शिव कुमार अग्रवाल की दो दिन पहले मौत हो चुकी है। उनकी रिपोर्ट जब पॉजिटिव आई तो वह होम आइसोलेट थे। कुछ दिन बाद तबीयत बिगड़ी तो स्वजनों ने महानगर कालोनी के सामने स्थित एक कोविड अस्पताल में भर्ती कराया। जहां दो दिन पहले उनकी मौत हो चुकी है। स्वजन उनका अंतिम संस्कार कर चुके हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि शिव कुमार अभी जीवित है। वह होम आइसोलेसन का समय भी पूरा कर चुके हैं।
केस-3 : पांच मई को हो चुकी मनीष की मौत, विभाग बता रहा स्वस्थ
रामपुर गार्डन निवासी मनीष की कोविड रिपोर्ट में उनके संक्रमित होने के बाद होम आइसोलेट किया गया था। लेकिन बाद में उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई तो स्वजनों ने कंट्रोल रूम को फोन किया। वहां का फोन नहीं उठा तो वह उन्हें लेकर राजश्री अस्पताल गए। जहां उनका उपचार शुरू हुआ। पांच मई को उनकी मौत हो गई। जबकि विभाग के आंकड़ों में वह अभी जीवित हैं और अपना होम आइसोलेसन का समय पूरा कर अब स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
केस-4 : हर दिन दी गई मौत की जानकारी, फिर भी जीवित
शहर के बिहारीपुर कासगरान निवासी 32 वर्षीय अशोक कुमार रेलवे कर्मचारी थे। कोविड संक्रमित होने के बाद होम आइसोलेशन में रहे। लेकिन जब तबीयत बिगड़ी तो अस्पतालों के चक्कर लगाने शुरू किए। कई अस्पतालों में स्वजन लेकर गए, लेकिन कहीं भर्ती नहीं किया गया। किसी ने रामपुर में ले जाकर भर्ती कराया। अगले ही दिन उनकी मौत हो गई। इसके बाद 5, 6 और 7 मई को कंट्रोल रूम से उनके हालचाल लेने के लिए फोन किया गया। स्वजनों ने उनकी मौत की जानकारी भी दी, लेकिन सरकारी आंकड़े उन्हें आज भी जीवित बता रहे हैं। स्वजनों ने बताया कि इसके बाद किसी ने सुध नहीं ली। अब तक उन लोगों की कोविड जांच भी नहीं हुई है।
अस्पताल भी नहीं दे रहे जानकारी या हो रहा खेल
कोविड अस्पतालों में होने वाली हर मौत की जानकारी स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को दिए जाने का प्रावधान है। जिन केसों पर पड़ताल की उनमें से कई की मौत हालत बिगड़ने के बाद अस्पताल में हुई। इसके बाद भी सरकारी आंकड़ों में अब तक उनकी मौत दर्ज नहीं हुई है। इसका मतलब है कि या तो अस्पताल कोविड संक्रमितों की मौत की जानकारी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को नहीं दे रहे या यह मौत का आंकड़ा कम करने का खेल चल रहा है।सीएमओ डा. एस के गर्ग ने बताया कि होम आइसोलेशन में होने वाली हर मौत का डेटा फीड किया जा रहा है। यह कार्य जिला सर्विलांस अधिकारी डा. रंजन गौतम देख रहे हैं। वह सही जानकारी दे सकते हैं।जिला सर्विलांस अधिकारी डा. रंजन गौतम ने बताया कि होम आइसोलेशन में अगर किसी संक्रमित की मौत होती है तो उसकी जानकारी कोविड पोर्टल पर अपडेट की जाती है। हो सकता है कि जानकारी न मिल सकी हो इसलिए कुछ नाम अपडेट होने से रह गए हों।