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बरेली के अस्पतालों में 20 फीसद ऑक्सीजन हो रही बर्बाद, जानिये अस्पताल के नाम और बर्बाद होने का कारण

कोविड मरीजों की जिंदगी के लिए सबसे बड़ी जरूरत ऑक्सीजन के लिए चल रही जद्देाजहद के बीच कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन बर्बाद होने की बात सामने आई है। ड्रग विभाग के मुताबिक राजश्री मेडिकल कॉलेज मेधांश और साईं सुखदा अस्पताल में तकनीकी कारणों से ऑक्सीजन बर्बाद हो रही है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 03:51 PM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 03:51 PM (IST)
बरेली के अस्पतालों में 20 फीसद ऑक्सीजन हो रही बर्बाद, जानिये अस्पताल के नाम और बर्बाद होने का कारण
ड्रग विभाग की रिपोर्ट में उजागर हुई लापरवाही, अब ऑक्सीजन बचाने की कवायद शुरू।

बरेली, जेएनएन। कोविड मरीजों की जिंदगी के लिए सबसे बड़ी जरूरत ऑक्सीजन के लिए चल रही जद्देाजहद के बीच कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन बर्बाद होने की बात सामने आई है। ड्रग विभाग के मुताबिक राजश्री मेडिकल कॉलेज, मेधांश अस्पताल और साईं सुखदा अस्पताल में तकनीकी कारणों से करीब 20 फीसद ऑक्सीजन बर्बाद हो रही है। यह तथ्य रिफलिंड स्टेशन से अस्पताल तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन, आपूर्ति और उपभोग के आधार पर सामने आई है। अब प्रशासन कानपुर आइआइटी की टीम को बरेली बुलाकर कोविड अस्पतालों का ऑक्सीजन ऑडिट कराने की तैयारी कर रहा है। ताकि मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए सौ फीसद ऑक्सीजन का इस्तेमाल हो सके।

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शासन ने कोविड अस्पतालों में पहुंचने वाली ऑक्सीजन के ऑडिट के लिए निर्देश दिए थे। ड्रग विभाग की इंस्पेक्टर उर्मिला वर्मा ने बरेली के 18 कोविड में पहुंचने वाली ऑक्सीजन की आपूर्ति, मरीजों द्वारा उपभोग और मांग के आधार पर बर्बादी का आकलन किया। सामने आया कि तीन अस्पतालों में करीब 20 फीसद ऑक्सीजन का उपयोग नहीं हो पा रहा है। पूरे मामले पर राजश्री मेडिकल कॉलेज, साईं सुखदा और मेधांश अस्पताल ने अपने सिस्टम को सही ठहराते हुए कहा कि रिफलिंग प्लांट से ही हमारे पास सिलिंडर में पूरी ऑक्सीजन नहीं आ रही है।

कोविड अस्पतालों की स्थिति

राजश्री मेडिकल कॉलेज क्षमता - प्रयोग

ऑक्सीजन बेड 180 - 98

आइसीयू बेड 30 - 30

वेंटीलेटर 10 - 10

ऑक्सीजन की जरूरत 650 - 450 (सिलिंडर)

साईं सुखदा अस्पताल, क्षमता - प्रयोग

ऑक्सीजन बेड 20 - 12

आइसीयू बेड 40 - 40

वेंटीलेटर 02 - 02

ऑक्सीजन की जरूरत 70 - 70 (सिलिंडर)

मेधांश अस्पताल क्षमता - प्रयोग

ऑक्सीजन बेड 17 - 17

आइसीयू बेड 15 - 15

वेंटीलेटर 03 - 02

ऑक्सीजन की जरूरत 77 - 15 (सिलिंडर)

एक्सपर्ट की सलाह- साबून का पानी डालकर लीकेज जांचे

अमृत गैस एजेंसी के मालिक राजेश गोयल कहते हैं कि अस्पतालों में दो तरीके से ऑक्सीजन आपूर्ति दी जाती है। पहला जंबो या छोटे सिलिंडर के माध्यम से, दूसरा मेनी फोल्ड (पाइपलाइन) के जरिए। सिलिंडर के मुकाबले पाइपलाइन से आपूर्ति देने पर ऑक्सीजन उपभोग दोगुना हो जाता है। पाइप के दो वॉल्व के बीच लीकेज, प्वाइंट का खुला छूटना, लाइन की मरम्मत न होना जैसे कारण हो सकते हैं। सुझाव देते हुए वह कहते है कि हर सप्ताह अस्पताल को ऑक्सीजन की पाइपलाइन में साबून का पानी डालकर लीकेज जांचनी चाहिए। वॉल्व समय-समय पर जांचने चाहिए। तभी बर्बादी थम सकती है। उन्होंने बताया कि साधारण फेस मास्क से ऑक्सीजन बाहर निकलती है, जबकि नॉन रिब्रीथिंग मास्क से 95 से 100 फीसद ऑक्सीजन मरीज को मिलती है। इसमें नीचे की ओर पाउच जैसा रहता है, जिसमें होकर सिलिंडर से ऑक्सीजन नली के माध्यम से फेफड़ों तक जाती है। बर्बादी नहीं होती है।

- सिलिंडर पर लगे फ्लो मीटर पर एक-16 प्वाइंट होते है। हर प्वाइंट प्रति घंटे आपूर्ति को दिखाता है।

- जंबो सिलिंडर में 7000 लीटर कंप्रेस ऑक्सीजन होती है।

- छोटे सिलिंडर में 1246 लीटर होती है, इसका इस्तेमाल एंबुलेंस में होता है।

मुंबई मॉडल को लागू करने की जरूरत

सर्वोच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन की किल्लत पर सुनवाई के दौरान महामारी पर काबू पाने में मुंबई मॉडल की तारीफ कर दी। दरअसल मुंबई नगर पालिका ने माइक्रो प्लानिंग, को-ऑर्डिनेशन और बेहतर मैनेजमेंट के जरिए अस्पतालों में बड़ी ऑक्सीजन टंकियों का निर्माण शुरू कर दिया। ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए 24 विभागों में समन्वय स्थापित किया।प्रतिदिन 235 मीट्रिक टन ऑक्सीजन कंपनियों से आक्सीजन अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए एक स्पेशल टीम भी बनाई। 24 वॉर रूम, 10 एंबुलेंस हॉस्पिटल और 50 मोबाइल हॉस्पिटल बनाए। 

क्या कहते हैं अधिकारी

हमारी रिपोर्ट में राजश्री मेडिकल कॉलेज, साई सुखदा और मेधांश अस्पताल में पहुंचने वाली ऑक्सीजन का एक हिस्सा बर्बाद होने की बात सामने आई है। ऐसा तकनीकी कारणों से है। ऑक्सीजन को बचाने के लिए हम पत्राचार कर रहे हैं।- उर्मिला वर्मा, ड्रग इंस्पेक्टर

कोविड अस्पतालों से हमारा समन्वयक बना हुआ है। नोडल अधिकारियों की निगरानी में व्यवस्थाएं हो रही है। हमारा प्रयास है कि ऑक्सीजन का पूरा इस्तेमाल हो।- आशुतोष गुप्ता, सदर तहसीलदार

ऑक्सीजन की बर्बादी अस्पताल में नहीं हाे रही है। रिफलिंड प्लांट से ही सिलिंडर में कम ऑक्सीजन आती है। इसलिए वास्तविक स्थिति के साथ सिलिंडर आपूर्ति बढ़ाने को कहा है। पूरी छानबीन होनी चाहिए।- राजेंद्र कुमार, चेयरमैन, राजश्री मेडिकल कॉलेज

सिलिंडर में ऑक्सीजन 50-60 फीसद ही भरी हुई आ रही है। आपाधापी में कोई चेक प्वाइंट नहीं है। सिलिंडर में आखिर में ऑक्सीजन बची होती है, लेकिन प्रेशर बनाए रखने के लिए हटाया जाता है। पांच लीटर प्रति मिनट के हिसाब से एक मरीज ऑक्सीजन लेता है, इससे ज्यादा देना गलत है। - डॉ. शरद अग्रवाल, साईं सुखदा अस्पताल

साबून का पानी डालकर हम पाइप लाइन चेक करवाते है। लीकेज नहीं होनी चाहिए। 77 सिलिंडर की हमारी जरूरत है, लेकिन मिल प्रतिदिन 15 सिलिंडर है। अगर पूरी ऑक्सीजन मिले तो हम बीस बेड और कोविड के शुरू कर सकते हैं। - डॉ. विजु, मेधांश अस्पताल

क्या कहते हैं ऑक्सीजन रिफलिंग प्लांट के संचालक

प्रतिदिन 1500 से ज्यादा सिलिंडरों की आपूर्ति है। अस्पताल में ऑक्सीजन की बर्बादी बचाने के लिए उनका स्टाफ प्रशिक्षित होना चाहिए। सिलिंडर की जांच तो कभी भी हो सकती है। हमारी तरफ से कोई परेशानी नहीं है।- हर्षवर्धन, मालिक, ऑक्सीजन प्लांट


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