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किसान आंदोलन की वजह से बरेली का कारोबार प्रभावित, कपड़ा बाजार को हो रहा रोजाना 15 करोड़ का नुकसान

कृषि बिल के विरोध में दिल्ली बार्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का असर बरेली के थोक और फुटकर कारोबारियों पर पड़ रहा है। बार्डर पर ट्रक फंसने के बाद छोटी गाड़ियों में कपड़ा इलेक्ट्रानिक्स गुड्स ब्रांडेड खाद्य पदार्थ दिल्ली के रास्ते ही बरेली पहुंचे है।

By Sant ShuklaEdited By: Published: Wed, 09 Dec 2020 07:55 AM (IST)Updated: Wed, 09 Dec 2020 01:47 PM (IST)
किसान आंदोलन की वजह से बरेली का कारोबार प्रभावित, कपड़ा बाजार को हो रहा रोजाना 15 करोड़ का नुकसान
बरेली के बाजार में इनकी हिस्सेदारी करीब 40 फीसद है। फिलहाल उत्पाद की आपूर्ति प्रभावित है।

बरेली, जेेएनएन।  कृषि बिल के विरोध में दिल्ली बार्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का असर बरेली के थोक और फुटकर कारोबारियों पर पड़ रहा है। बार्डर पर ट्रक फंसने के बाद छोटी गाड़ियों में कपड़ा, इलेक्ट्रानिक्स गुड्स, ब्रांडेड खाद्य पदार्थ दिल्ली के रास्ते ही बरेली पहुंचे है। बरेली के बाजार में इनकी हिस्सेदारी करीब 40 फीसद है। फिलहाल उत्पाद की आपूर्ति प्रभावित है। हालांकि इसकी वजह से सीधे तौर लोगों को समस्‍या का सामना करना नहीं पड़ रहा है। 

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 कपड़ा व्यवसाय 

सूरत और अहमदाबाद से कपड़े की लॉट अब आगरा वाया कासगंज होकर बरेली पहुंच रही है। 40 फीसद कपड़ा दिल्ली के रास्ते ही बरेली में लाया जा रहा था। आंदोलन होने के बाद 15 करोड़ प्रतिदिन के हिसाब से नुकसान व्यापारियों को झेलना पड़ रहा है।

 ब्रांडेड आटा

चावल, दाल : करीब 20 करोड़ के इस बाजार का कनेक्शन भी दिल्ली के बाजारों से है। ब्रांडेड कंपनियों का पैक्ड आटा, दाल और चावल जैसे खाद्य उत्पाद दिल्ली के रास्ते ही बरेली में आते हैं।

 प्लास्टिक आइटम 

महीने में करीब 20 करोड़ का टर्नओवर प्लास्टिक आइटम के बाजार में घूमता है। पिछले हफ्ते से थोक और फुटकर कारोबारियों को ठीक से प्लास्टिक आइटम नहीं मिल पा रहा है।

 इलेक्ट्रानिक गुड्स 

बरेली का इलेक्ट्रानिक्स और कंप्यूटर बाजार भी दिल्ली पर निर्भर है। चार करोड़ प्रतिदिन का इलेक्ट्रानिक गुड्स और कंप्यूटर पार्ट और एसेसरीज का व्यवसाय करीब दो करोड़ के हिसाब से प्रभावित हुआ है।

 स्टेशनरी 

सीजन नहीं होने के बावजूद दो करोड़ का बाजार है। दिल्ली के बाजारों से जुड़े बरेली के स्टेशनरी बाजार भी प्रभावित है।स्टेशरी के थोक व्यापारी पुराने स्टॉक से काम चला रहे हैं।


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