स्मैक तस्कर पर पिट एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई करने वाला प्रदेश का पहला जिला बना बरेली, जानिए क्या है यह एक्ट
दुष्कर्म के मामले में नाबालिग पीड़िता को न्याय दिलाते हुए एक हफ्ते में विवेचना कर आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल करके मात्र 14 दिन के भीतर अभियोजन द्वारा ट्रायल पूर्ण करा कर मुलजिम को आजीवन कारावास व 1.15 लाख रुपये जुर्माने की सजा कराकर कीर्तिमान स्थापित किया गया।
बरेली, जेएनएन। पिट एनडीपीएस में कार्रवाई करने वाला बरेली प्रदेश का पहला जिला बन गया है। साथ ही महिला अपराधों के 188 मामलों में सजा कराकर बरेली अभियोजन ने नया कीर्तिमान स्थापित किया। उत्कृष्ट कार्य के लिए ट्राफी व प्रशस्ति पत्र देकर अभियोजन अधिकारियों को शुक्रवार को आइजी रेंज रमित शर्मा व डीएम शिवाकांत द्विवेदी ने सम्मानित किया।
इस बारे में जानकारी देते हुए संयुक्त निदेशक अभियोजन अवधेश पाण्डेय ने बताया कि अभियोजन अधिकारियों द्वारा ई-प्रासीक्यूशन पर अधिकतम फीडिंग की गई। महिला अपराधों में अधिकतम 188 मामलों में सजा कराई गई जिनमें से 53 अभियुक्तों को 36 मामलों में आजीवन कारावास व 49 अभियुक्तों को 39 मामलों में दस वर्ष से अधिक की सजा कराई गई। दुष्कर्म के मामले में नाबालिग पीड़िता को न्याय दिलाते हुए एक हफ्ते में विवेचना कर आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल करके मात्र 14 दिन के भीतर अभियोजन द्वारा ट्रायल पूर्ण करा कर मुलजिम को आजीवन कारावास व 1.15 लाख रुपये जुर्माने की सजा कराकर कीर्तिमान स्थापित किया गया।
वहीं, दूसरी ओर ड्रग माफियाओं की लगभग 80 करोड़ की संपत्ति की जब्तीकरण की कार्रवाई कराई गई। पिट एनडीपीएस के तहत कार्रवाई करने वाला बरेली प्रदेश का पहला जिला बना। अभियोजन विभाग को मिली ट्राफी के दौरान वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी समर बहादुर यादव, प्रेमचंद राय, रूद्रेंद्र श्रीवास्तव, अवधेश गुप्ता, विपर्णा गौड़, आकांशा सक्सेना, जितेंद्र सिंह, अखंड प्रताप यादव, तौकीर हुसैन, कमलेंद्र विमल, सुनील संगम, अमित कुमार एवं डीजीसी संवर्ग से डीजीसी सुनीति पाठक तथा अन्य सभी एडीजीसी एवं विशेष लोक अभियोजक मौजूद रहे। एडीजी अभियोजन आशुतोष पाण्डेय ने सभी अभियोजकों की मेहनत, लगन व उत्कृष्ट कार्य को सराहा।
कैसे लगता है पिट एनडीपीएस एक्ट: पिट एनडीपीएस की कार्रवाई के लिए एसएसपी की संस्तुति के बाद फाइल डीएम और कमिश्नर तक जाती है। अभियोजन, आबकारी और अधिकारियों की संयुक्त टीम कार्रवाई पर मुहर लगाती है। वहां से रिपोर्ट शासन में सचिव गृह को भेजी जाती है। वहां भी अंतिम मुहर के लिए एडवाइजरी बोर्ड गठित होता और उसकी संस्तुति पर आरोपित के खिलाफ पिट एनडीपीएस एक्ट में कार्रवाई होती है।