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ट्वीट होने के बाद दौड़ी पुलिस, वाल्मीकि समाज के लोगों के बाल न काटने की हुई थी शिकायत

बिशारतगंज में बुधवार को नाइयों द्वारा वाल्मीकि समाज के लोगों के बाल न काटने का मामला सामने आया। शिकायतकर्ता ने बाकायदा लिखित शिकायत ट्वीट की। इससे पुलिस अफसरों में खलबली मच गई। प्रकरण की गंभीरता को देख एडीजी ने मामले के तुरंत जांच के निर्देश दिए।

By Sant ShuklaEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 03:45 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 03:45 PM (IST)
ट्वीट होने के बाद दौड़ी पुलिस, वाल्मीकि समाज के लोगों के बाल न काटने की हुई थी शिकायत
शिकायतकर्ता ने ट्वीट करते हुए लिखा कि हमारे गांव के नाई लोग वाल्मीकि समाज के लोगों के बाल नहीं काटते।

बरेली, जेएनएन। बिशारतगंज में बुधवार को नाइयों द्वारा वाल्मीकि समाज के लोगों के बाल न काटने का मामला सामने आया। शिकायतकर्ता ने बाकायदा लिखित शिकायत ट्वीट की। इससे पुलिस अफसरों में खलबली मच गई। प्रकरण की गंभीरता को देख एडीजी ने मामले के तुरंत जांच के निर्देश दिए। बिशारतगंज एसओ बृज किशोर मिश्रा को मौके पर भेजा गया। उनके मुताबिक, जांच में सामने आया कि बाल काटने को लेकर नाई व संबंधित व्यक्ति में कहासुनी हो गई थी। इस पर नाई ने बाल काटने से मना किया था। वाल्मीकि समाज के बाल न काटने जैसा कोई मामला नहीं है। दोनों में समझौता भी करा दिया गया। मामला प्रधानी चुनाव से जुड़ा भी बताया जा रहा है।

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घटनाक्रम बिशारतगंज के गांव अखा व ढका का है। शिकायतकर्ता ने शिकायत पत्र ट्वीट करते हुए लिखा कि हमारे गांव के नाई लोग वाल्मीकि समाज के लोगों के बाल नहीं काटते। छुआछूत का आरोप लगाया। जाति-सूचक शब्दों के प्रयोग की बात भी कही। पांच नाइयों के बाकायदा नाम भी लिखें। मामले की जांच को जब एसओ बिशारतगंज पहुंचे तो सामने आया कि मामला बीते करीब दो माह पुराना है। अखा में एक व्यक्ति बाल कटवाने गया था। तभी दोनों में विवाद हुआ था। बुधवार को जब व्यक्ति बाल कटवाने पहुंचा तो नाई ने बाल काटने से मना कर दिया। इसी पर शिशुपाल व अनिल ने शिकायत की। पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि मामला प्रधानी चुनाव से भी जुड़ा है। इसको लेकर भी विवाद है। पुलिस ने दोनों पक्षों में समझौता करा दिया है।

 पुलिस का क्या है कहना

आंवला सीओ चमन सिंह चावड़ा का कहना है कि दोनों पक्षों में दो माह पहले विवाद हुआ था। इसी के चलते बुधवार को जब युवक गया तो नाई ने बाल काटने से इन्कार कर दिया था। दोनों में समझौता करा दिया गया है। नाइयों द्वारा वाल्मीकि समाज के लोगों के बाल काटने से इन्कार करने जैसा कोई मामला नहीं है।


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