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निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मियों ने की हड़ताल, 300 करोड़ का लेनदेन प्रभावित

बैंकों के निजीकरण किए जाने के विरोध में सोमवार को बैंक कर्मचारियों ने देशव्यापी हड़ताल के तहत जिले में भी कामकाज ठप रखा। यूनाइटेड फोरम के बैनर तले बैंक ऑफ बड़ौदा के आंचलिक कार्यालय और पीएनबी प्रोग्रेसिव इंप्लॉइज एसोसिएशन के तत्वावधान में पीएनबी के मंडलीय कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया।

By Sant ShuklaEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 10:05 AM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 10:05 AM (IST)
निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मियों ने की हड़ताल, 300 करोड़ का लेनदेन प्रभावित
बैंक कर्मचारियों ने देशव्यापी हड़ताल के तहत जिले में भी कामकाज ठप रखा।

 बरेली, जेएनएन।  बैंकों के निजीकरण किए जाने के विरोध में सोमवार को बैंक कर्मचारियों ने देशव्यापी हड़ताल के तहत जिले में भी कामकाज ठप रखा। यूनाइटेड फोरम के बैनर तले बैंक ऑफ बड़ौदा के आंचलिक कार्यालय और पीएनबी प्रोग्रेसिव इंप्लॉइज एसोसिएशन के तत्वावधान में पीएनबी के मंडलीय कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया। दो दिवसीय हड़ताल के पहले ही दिन लगभग तीन सौ करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित होना बताया गया है। हालांकि हड़ताल के चलते कई जरूरतमंद लोग परेशान भी रहे।

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देशव्यापी दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन बैंक ऑफ बड़ौदा के अंचलीय कार्यालय पर यूनाइटेड फोरम के बैनर तले सुनील मित्तल की अध्यक्षता में प्रदर्शन की शुरुआत हुई। इस दौरान ज़िला संयोजक दिनेश सक्सेना ने निजीकरण को धोखा बताते हुए सरकार को चेतावनी दी कि निजीकरण के सभी प्रयासों को वापस लिया जाए। ट्रेड यूनियन के महामंत्री संजीव मेहरोत्रा ने कहाकि सरकार देश के नवरत्नों को चंद पूंजीपतियों को बेंचकर देश मे पूंजीवादी व्यवस्था कायम कर रही है। इससे आम जनता की हालत खराब हो रही है।

अधिकारी संघ के ओपी वडेरा ने कहा कि देश का मेहनत कश वर्ग निजीकरण के खिलाफ है। ग्रामीण बैंक अधिकारी संघ के संतोष तिवारी, यूपीबीईयू के प्रांतीय सहायक महामंत्री पीपी सिंह ने कहाकि आज भी जनता सार्वजनिक बैंकों पर ही भरोसा करती है। बैंक राष्ट्रीय संपत्ति है, इसका निजीकरण करना देशद्रोह माना जाना चाहिए। इससे पहले युवा बैंक कर्मियों ने नारेबाजी करते हुए बाइक रैली भी निकाली।

वहीं पीएनबी प्रोग्रेसिव इंप्लॉइज एसोसिएशन के तत्वावधान में पीएनबी के मंडलीय कार्यालय पर हुए प्रदर्शन में प्रांतीय नेता अरविंद रस्तोगी और सिद्धार्थ यादव ने अपने सैकड़ों साथियों के साथ पहले मंडल कार्यालय को खाली कराया फिर गेट पर ताला डाल दिया। उन्होंने कहा कि देश के मुनाफा देने वाले संस्थानों को पूंजीपतियों के हाथ में सौंपना बिल्कुल ठीक नहीं है। कहाकि इन बैंकों और बीमा कंपनियों में देश के गरीबों और व्यापारियों का पैसा है, जिस पर बड़े घरानों की नजर है। बैंक कर्मचारी इसका अंतिम सांस तक विरोध करेंगे। इस दौरान जीवन बीमा निगम की गीता शांत, डा. हरवीर सिंह, आशुतोष, प्रशांत सिंह, लवनेश कुमार, आशुतोष गौतम, पंकज टंडन आदि रहे।

इन संगठनों ने लिया भाग

हड़ताल को ट्रेड यूनियंस, संयुक्त किसान मोर्चा, सेवानीवृत्त बैंक कर्मचारी संगठन आदि शामिल रहे। इसमें इंटक के सतीश मेहता, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के मो. फैसल, जीवन बीमा के मंडल अध्यक्ष अरविंद देवक सेवक, संयुक्त किसान मोर्चा के रवि नागर ने अपने संबोधन में निजीकरण का विरोध जताते हुए बैंक कर्मचारियों का समर्थन किया।

खाली हो गए एटीएम

दो दिनों की छुट्टी के बाद सोमवार को बैंकों की हड़ताल के चलते एटीएम खाली हो गए। सोमवार को शहर के सुभाष नगर, सिविल लाइंस, जिला अस्पताल रोड के अधिकतर एटीएम खाली रहे। यहां आने वाले लोग कैश निकालने के लिए परेशान रहे।

 लोगों का क्या है कहना 

- बैंक बंद होने और एटीएम खाली होने के चलते काफी परेशानी हो रही है। पैसों की जरूरत थी, लेकिन बमुश्किल कुछ रुपये मिल सके। 

अभिषेक त्यागी

- कंपनी को पेमेंट करने के लिए पैसा निकालना था। लेकिन बैंक बंद होने के चलते रुपये नहीं निकाल सके।  आशीष गुप्ता, व्यापारी

- बैंकों की छुट्टी और हड़ताल के चलते लेनदेन प्रभावित रहा। पैसे जमा करवाने थे लेकिन हड़ातल के चलते नहीं हो सके। 

अशोक गुप्ता, व्यापारी


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