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Corona Sampling News : यूपी के इस जनपद में काेराेना जांच के नाम पर शासन को दिया जा रहा धोखा, बर्बाद हाे रहे लाखाें

Badaun Corona Sampling कोरोना संक्रमण की रोकथाम के नाम पर जिले में फर्जीवाड़ा हो रहा है। शासन द्वारा लाखों रुपये खर्च कर कोरोना की सैंपलिंग कराई जा रही है। लेकिन जिले में सैंपलिंग के नाम पर शासन को धोखा दिया जा रहा है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 09:58 AM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 01:58 PM (IST)
Corona Sampling News : यूपी के इस जनपद में काेराेना जांच के नाम पर शासन को दिया जा रहा धोखा, बर्बाद हाे रहे लाखाें
Corona Sampling News : यूपी के इस जनपद में काेराेना जांच के नाम पर शासन को दिया जा रहा धोखा

बरेली, अंकित गुप्ता। Badaun Corona Sampling : कोरोना संक्रमण की रोकथाम के नाम पर जिले में फर्जीवाड़ा हो रहा है। शासन द्वारा लाखों रुपये खर्च कर कोरोना की सैंपलिंग कराई जा रही है। लेकिन जिले में सैंपलिंग के नाम पर शासन को धोखा दिया जा रहा है। प्रतिदिन दो हजार और इससे अधिक सैंपलिंग किए जाने का दावा कर रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है, लेकिन यह किसी छलावा से कम नहीं है। दैनिक जागरण ने गुरुवार को इसकी हकीकत जानने की कोशिश की तो सच सामने आया। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी थ्रोट स्वैब को बिना किसी व्यक्ति पर इस्तेमाल किए ही तोड़ कर वीटीएम (वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम) में डाल आरटीपीसीआर जांच के लिए भेज रहे हैं। आरटीपीसीआर जांच के यह हालात हैं, तो एंटीजन किट से जांच की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं। जिले में फर्जी सैंपलिंग कर सरकार के लाखों रुपये को बर्बाद किया जा रहा है।

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जिले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रतिदिन कोरोना की जांच कराई जा रही हैं। कोराेना जांच के नोडल अधिकारी कौशल गुप्ता का दावा है कि प्रतिदिन जिला पुरुष अस्पताल समेत जिले भर के सीएचसी, पीएचसी पर जांच हो रही हैं। इसके अलावा शहर के प्रमुख स्थानों और नगर पंचायतों में टीम को भेज कर जगह जगह शिविर लगाकर जांच की जा रही है। गुरुवार को शहर में इसकी पड़ताल करने के लिए निकले तो रोडवेज पर बैठने वाली विभाग की टीम नजर नहीं आई। पूछने पर पता चला वह आए थे, लेकिन कोई जांच कराने नहीं आया तो टीम चली गई। इसके बाद दातागंज तिराहे पर पहुंचे, जहां स्वास्थ्य विभाग की टीम मौजूद थी। कुछ देर इंतजार करने पर देखा कि कोविड जांच के लिए कोई आमजन रुचि ही नहीं दिखा रहा है। टीम किसी से कहती भी तो लोग मना कर देते।

कुछ और देर टीम की गतिविधियां देखने पर पाया कि टीम के दो सदस्य कुछ कर रहे हैं। आगे बढ़कर देखा तो दोनों कर्मी डिब्बे से थ्रोट स्वैब का पैकेट निकालते, थ्रोट काे तोड़ते, इसके बाद दूसरे डिब्बे से वीटीएम उठाकर स्वैब के आधे हिस्से को उसमें रख देते। साफ समझ आया कि यह कर्मचारी आरटीपीसीआर जांच के लिए फर्जी सैंपल तैयार कर रहे थे। करीब दस मिनट में देखते-देखते इन कर्मचारियों ने करीब 50 से 60 थ्रोट स्वैब को तोड़कर वीटीएम में डाल आरटीपीसीआर के सैंपल तैयार किए। यह आरटीपीसीआर की प्रक्रिया है, जो कुछ जटिल है, इसमें तमाम प्रक्रियाएं करनी होती है, जबकि एंटीजन जांच में तो वीटीएम भी तैयार नहीं करनी होती है। थ्रोट स्वैब तोड़िए, एंटीजन किट फेंक दें या घर ले जाएं। कोई पूछने वाला तक नहीं है। हालांकि एंटीजन किट को प्राइवेट अस्पतालों में बेंचे जाने का मामला पहले बरेली में सामने आ चुका है।

सैंपल कलेक्शन का खर्च

कोरोना का सैंपल कलेक्ट करने में कई प्रकार की सामग्री खर्च होती है। इसमें सबसे पहले थ्रोट स्वैब का इस्तेमाल किया जाता, जो नाक और मुंह में डाली जाती है। इसकी कीमत दो रुपये होती है। इसके बाद आरटीपीसीआर जांच के लिए इस थ्रोट स्वैब को वीटीएम में रखा जाता है, जिसकी कीमत करीब 25 रुपये होती है। इसके बाद इस वीटीएम को लैब तक पहुंचाने के लिए आइसजैल पैक, विशेष प्रकार की पॉलीथिन, थर्माकोल का बॉक्स और बॉक्स को रखने के लिए पॉलीथिन का बड़ा पैकेट उपयोग में लाया जाता है, इन सभी की कीमत करीब 70 से 80 रुपये होती है। मतलब सैंपल कलेक्शन में तकरीबन सौ रुपये का खर्च आता है।

आरटीपीसीआर जांच में खर्च

आरटीपीसीआर जांच करने वाले एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने बताया इसकी प्रक्रिया जटिल होती है। सैंपल कलेक्शन के बाद इसका कंसाइनमेंट बनाया जाता है, जो स्वास्थ्य विभाग से लैब को भेजा जाता है। लैब में आए कंसाइनमेंट से सैंपल निकाल कर उनसे आरएनए अलग किया जाता है। यह एक वैज्ञानिक और लंबी प्रक्रिया हाेती है। इसके बाद सैंपल को मशीन में कम से ढाई घंटे के लिए लगाया जाता है। पांच सैंपल का पूल बनाया जाता है। किसी पूल में संक्रमण की पुष्टि होने पर उस पूल के सभी सैंपल को अलग कर दोबारा ढाई घंटे के लिए मशीन में लगाते हैं। इसके बाद पॉजिटिव सैंपल की पुष्टि होती है। इस प्रक्रिया में पांच सौ रुपये तक खर्च होते हैं। जबकि पहली जांच में संक्रमण की पुष्टि न होने की दशा में यह खर्च 250 रुपये तक रह जाता है।

तीन दिन में हुई सैंपलिंग की स्थिति

तारीख आरटीपीसीआर एंटीजन कुल

13 अक्टूबर 993 954 1948

14 अक्टूबर 925 873 1798

15 अक्टूबर 436 388 824

नोट : स्वास्थ्य विभाग की ओर से शासन को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार।

कोरोना की जांच में फर्जीवाड़े की कोई जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो यह गलत हो रहा है। वीडियो में दिख रहे संबंधित कर्मचारियों की जांच कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - डा. विक्रम सिंह पुंडीर, सीएमओ


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