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Amezing : यूपी के इस मंदिर में शिव-शक्ति के सामने नतमस्तक हुआ था औरंगजेब Bareilly News

आलमगीर औरंगजेब के आदेश पर उसके सिपाहियों ने शिवलिंग को दो जंजीरों से बांधकर हाथियों से खिंचवाकर उखाड़ने की कोशिश की किंतु इसे खंडित करना तो दूर वे हिला तक न सके।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 05:44 PM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 06:07 PM (IST)
Amezing : यूपी के इस मंदिर में शिव-शक्ति के सामने नतमस्तक हुआ था औरंगजेब Bareilly News
Amezing : यूपी के इस मंदिर में शिव-शक्ति के सामने नतमस्तक हुआ था औरंगजेब Bareilly News

प्रवीण तिवारी, बरेेली : महकते फूल, पूजन सामग्री व मिष्ठान की सजीं दुकानें। प्रवेश करते ही महादेव की विशाल मूर्ति एवं परिसर में गूंजते मंत्र। घंटों की आवाज से गुंजायमान परिसर को अपनी छांव में लिए हुए विशालकाय पीपल का पेड़। शिवलिंग को निहारते नंदी और भगवान शिव का जलाभिषेक करते श्रद्धालु। रोज ऐसे ही दृश्य को संजोए रहता है जोगीनवादा स्थित श्री वनखंडी नाथ मंदिर। शहर के दस नाथ मंदिरों में से एक यह प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं की अखंड आस्था का प्रतीक है।

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द्रौपदी ने की थी शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा : बरेली कॉलेज से सेवानिवृत्त जोगी नवादा के ही बुजुर्ग राम प्रसाद बताते हैं कि द्वापर युग के महाभारत काल में पांडव अपनी पत्नी राजा द्रुपद की पुत्री द्रौपदी के साथ यहां बारह वर्ष के प्रवास के दौरान आए थे। इसी दौरान द्रौपदी को भू में दबा हुआ शिवलिंग मिला, जिसके बाद उन्होंने इसकी प्राण प्रतिष्ठता कराई थी। कहा जाता है कि मंदिर का शिवलिंग चारो पहर रंग बदलता है।

औरंगजेब भी शिवशक्ति के आगे हुआ नतमस्तक : कथा है कि आलमगीर औरंगजेब के आदेश पर उसके सिपाहियों ने शिवलिंग को दो जंजीरों से बांधकर हाथियों से खिंचवाकर उखाड़ने की कोशिश की, किंतु इसे खंडित करना तो दूर वे हिला तक न सके। अंत में शिवशंकर के तेज के आगे औरंगजेब को भी नतमस्तक होना पड़ा। मुगल शासकों के मंदिर को खंडित करने के प्रयास के चलते ही इसे वनखंडीनाथ नाम दिया गया। 

दीवान शोभाराम ने कराया था जीर्णोद्धार : 1857 की क्रांति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले दीवान शोभाराम ने वनखंडी नाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। वे शोभाराम बरेली के धनाढ्य कायस्थ परिवार से संबंध रखते थे। नवाब बहादुर खान के पड़ोसी होने के साथ ही करीबी दोस्त भी थे। आज भी शहर के मुहल्ला कटरामानराय में चुन्ना मियां के मंदिर के पास उनकी हवेली का खंडहर है।

कई देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं स्थापित : मंदिर परिसर में मां दुर्गा, संतोषी, काली, भगवान शिव, गणोश, हनुमान, शनिदेव की मूर्तियां स्थापित हैं। इनमें बजरंगबली की मूर्ति सबसे प्राचीन है। मान्यता है कि यहां स्थापित भैरव जी चैतन्य अवस्था में हैं। यहां एक बड़ा हवन कुंड भी है।

 गोशाला में 160 पशुओं की होती है सेवा : प्राचीन समय में इस स्थान पर गोपालन अनिवार्य था। आज भी यहां गोशाला में 145 गायें व 15 बछड़े हैं। पप्पू गिरधारी की देखरेख में सात गो सेवक इनकी सेवा में लगे रहते हैं।

 

शिवगंगा कुंड में स्नान से दूर होते हैं विकार : मान्यता है कि यहां स्थित शिवगंगा कुंड में स्नान करने से बच्चों का सूखा रोग दूर हो जाता है। स्नान के बाद पुराने वस्त्र वहीं त्याग दिए जाते हैं। परिजन उन्हें नया वस्त्र पहनाकर ले जाते हैं। परिसर में एक प्राचीन कुआं भी है, मंदिर प्रबंधन ने इसे जाल से ढकवा दिया है।

जूना अखाड़ा करता है मंदिर का संचालन : मंदिर का संचालन दशनाम जूना अखाड़ा करता है। सावन में यहां भोर से ही भक्तों का हुजूम जुटने लगता है। कांवड़िये गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।

यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मंदिर में अनवरत व सच्चे मन से पूजा करने वाले लोगों के जीवन में चमत्कारिक रूप से परिवर्तन आता है।

- शिवदत्त गिरि जी महाराज, महंत


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