तराई के जिले पीलीभीत में टाइगर रिजर्व के अलावा भी हैं कई दर्शनीय पर्यटन स्थल, आप भी बनाइये भ्रमण का प्लान
पीलीभीत टाइगर रिजर्व से लगभग सटे हुए इलाके में बाइफरकेशन स्थित हैं। यह स्थल सिंचाई विभाग के अधीन है। बाइफरकेशन को वर्ष 1957 में सिंचाई परियोजना के अंतर्गत बनाया गया है। यहां से नहरों का जाल निकलता है।
बरेली, जेएनएन। तराई के जिले पीलीभीत की पहचान टाइगर रिजर्व के चूका से जरूर है लेकिन यहां कई अन्य पर्यटन भी विकसित हुए हैं। इन्हीं में बाइफरकेशन व गोमती उद्गम स्थल भी पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हो गए हैं। गोमती उद्गम पर पर्यटक सुविधाओं का विस्तार हो रहा है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व से लगभग सटे हुए इलाके में बाइफरकेशन हैं। यह स्थल सिंचाई विभाग के अधीन है। बाइफरकेशन को वर्ष 1957 में सिंचाई परियोजना के अंतर्गत बनाया गया है। यहां से नहरों का जाल निकलता है। ऊपर और नीचे दो नहरों में बहते पानी से उठती कलकल की आवाज पर्यटकों को मधुर संगीत जैसी लगती है। ऊपर-नीचे बह रही नहरों में खीरी ब्रांच नहर में तो तेज गति से पानी का बहाव है जबकि उसके नीचे दूसरी नहर में पानी का बहाव मद्धिम रहता है। यहां से तीन प्रमुख नहरें निकाली गई हैं। खीरी ब्रांच, हरदोई ब्रांच और निगोही ब्रांच नहर। यहां से निकलने वाली नहरों की शाखाएं रुहेलखंड और अवध के आठ जिलों में खेतों में फसलों की प्यास बुझाती हैं। बाइफरकेशन टाइगर रिजर्व में नहीं आता। इसलिए यहां घूमने आने वालों को किसी तरह का शुल्क भी नहीं देना पड़ता।
दूसरी ओर लखनऊ की शान कहलाने वाली गोमती नदी का उद्गम स्थल अब जिले का एक प्रमुख पर्यटन केंद्र बन चुका है। यहां बच्चों के लिए फन जोन, बच्चों की रेल, फव्वारा की व्यवस्था कराई गई है। एक ट्री हट भी बनवा दी गई है। पर्यटकों के लिए कैंटीन उपलब्ध है। अब यात्री निवास भी बनकर तैयार हो गया है। पिछले साल मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्द्धन योजना के तहत आंवटित पचास लाख की धनराशि से यहां काफी काम कराए गए। काशी की गंगा आरती की तर्ज पर बिल्कुल उसी अंदाज में यहां गोमती माता की आरती नियमित होती है। गोमती उद्गम स्थल को विकसित कर पर्यटन स्थल बनाने में जिलाधिकारी पुलकित खरे का काफी प्रयास रहा है। उन्होंने बताया कि गोमती उद्गम स्थल पर झील की सफाई करा दी गई है। वहां पर लगातार सुविधाओं का विकास हो रहा है।