बरेली में एंटीजन किट का स्टॉक खत्म, आरटीपीसीआर रिपोर्ट हफ्ते भर बाद आ रही, कैसे मिले इलाज
सरकार का कहना है कि तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सबसे जरूरी है सही समय पर इसकी जांच और फिर इलाज।विशेषज्ञ भी यही मानते हैं लेकिन बरेली में ये दोनों बात फिलहाल बेमानी हो गई हैं। अब तक आक्सीजन रेमडेसिविर इंजेक्शन और बेड की किल्लत थी।
बरेली, जेएनएन। सरकार का कहना है कि तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सबसे जरूरी है, सही समय पर इसकी जांच और फिर इलाज।विशेषज्ञ भी यही मानते हैं, लेकिन बरेली में ये दोनों बात फिलहाल बेमानी हो गई हैं। अब तक जिले में आक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन और बेड की किल्लत थी। लेकिन सरकारी ढुलमुल रवैये की वजह से अब संदिग्ध संक्रमितों को यह भी पता करने में वक्त लग रहा है कि वो संक्रमित हैं भी या नहीं।
दरअसल, जिले में एंटीजन किट की भारी किल्लत चल रही है। 300 बेड अस्पताल की बात करें तो यहां पिछले दो दिनों से एंटीजन टेस्ट भी नहीं हुए हैं। फ्लू कार्नर पर महज आरटी-पीसीआर जांच हो रही हैं। अब चूंकि, एंटीजन जांच नहीं हो रही, ऐसे में टेस्ट कराने पहुंच रहे अधिकांश लोगों को संक्रमण है या नहीं, करीब हफ्ते भर बाद ही इसका पता चलता है। अब बिना संक्रमित रिपोर्ट के, न कोविड अस्पताल मरीजों को भर्ती करते हैं और न ही इनका इलाज शुरू होता है।सीएमएसडी प्रभारी डॉ.अतुल अग्रवाल ने बताया कि शासन से करीब डेढ़ लाख एंटीजन किट की डिमांड सप्ताह भर में भेजी गई है। जल्द ही किट भिजवाने का आश्वासन मिला है।
आरटी-पीसीआर की रिपोर्ट करीब हफ्ते भर बाद
एंटीजन किट के अलावा सबसे ज्यादा आरटी-पीसीआर जांच होती हैं। जिले में आरटी-पीसीआर जांच तो लगातार हो रही हैं, लेकिन इनकी रिपोर्ट अब 72 घंटे नहीं बल्कि सात से आठ दिन बाद तक मिल रही है। कुछ केस में रिपोर्ट दस दिन बाद तक मिली हैं। ऐसे में संदिग्ध मरीज संक्रमित हैं, इसका पता जब चलता है, तब तक या तो उनकी तबीयत कुछ दुरुस्त होती है या फिर बिगड़ जाती है।
जांच करने वाली आटोमेटिक मशीन खराब
जिला अस्पताल में कोविड सैंपल की जांच करने के लिए बीएसएल-2 और बीएसएल-3 लेवल की आटोमेटिक मशीन लगी है। बीएसएल-थ्री मशीन एक साथ सैकड़ों की तादाद में सैंपल की जांच करने में सक्षम है। सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से मशीन में तकनीकि खामी आ गई है। जिसकी वजह से कम क्षमता वाली बीएसएल-2 मशीन से ही जांच हो रही है। इसमें नतीजे धीमे आते हैं।
बिना रिपोर्ट नहीं होता गंभीर मरीजों का भी इलाज
वैसे तो शासन ने बिना जांच रिपोर्ट के भी संदिग्ध मरीजों का इलाज करने को कहा है। इसके लिए हाल में मरीजों को जांच के साथ मेडिसिन किट भी बांटने के आदेश हुए। लेकिन सवाल ये है कि जिले के अधिकांश अस्पताल बिना जांच रिपोर्ट मरीजों का इलाज भी नहीं करते। कई ऐसे केस भी सामने आ चुके हैं, जिसमें ज्यादा हालत खराब होने पर मरीज ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया।
रिपोर्ट आने तक कई हो जाते संक्रमित
एंटीजन जांच न होने से कोविड पॉजिटिव हैं या निगेटिव, इसकी रिपोर्ट तत्काल नहीं मिलती। वहीं, आरटी-पीसीआर रिपोर्ट आने में भी सात से आठ दिन तक का समय लगता है। सीमित लोग ही लक्षण आने के बाद जांच कराने पर होम आइसोलेट होते हैं। जबकि अधिकांश यहां-वहां घूमकर लगातार संक्रमण को बढ़ावा देते हैं।