National Confrence : बेअसर होती एंटीबायोटिक दवाएं होंगी 2050 तक दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती Bareilly News
तेजी से बेअसर हो रही एंटी बायोटिक दवाओं पर चिंता जताई। कहा कि वर्ष 2050 तक यह दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगी। यह दिक्कत धीरे-धीरे जानलेवा होने लगी है।
जेएनएन, बरेली : भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) में चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस का शुक्रवार को समापन हो गया। चैलेंजेस एंड थ्रेट्स ऑफ माइक्रोब्स टू एनिमल एंड ह्यूमन विषय पर देशभर के वैज्ञानिकों ने मंथन किया। सभी ने तेजी से बेअसर हो रही एंटी बायोटिक दवाओं पर चिंता जताई। कहा कि वर्ष 2050 तक यह दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगी। यह दिक्कत धीरे-धीरे जानलेवा होने लगी है।
आइवीआरआइ के वैज्ञानिक डॉ. जेडबी डब्बल ने एंटी माइक्रोबियल रजिस्टेंस के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि माइक्रोब्स के चलते शरीर में अब ऐसे बैक्टीरिया तैयार हो रहे हैं जो दवाओं के असर को चार तरह से खत्म करते जा रहे हैं। इसके चलते अब छोटी सी चोट भी सही होने में काफी समय लगाती है। हल्का सा फ्रैक्चर भी सही से रिकवर नहीं हो पाता है।
इसके चलते शरीर काफी कमजोर हो जाता है और ये जानलेवा है। डॉ. डब्बल ने बताया कि इसी के चलते अब नई एंटी बायोटिक भी मार्केट में नहीं आ पा रही है। इस दौरान आयोजन सचिव प्रो. अशोक तिवारी ने कार्यक्रम की आख्या प्रस्तुत की। निदेशक प्रो. राजकुमार सिंह, प्रो. त्रिवेणी दत्त सहित कई विशेषज्ञ मौजूद रहे।
खेती के साथ पशुपालन व अन्य विधा भी अपनाएं किसान
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल इकनॉमिक्स एंड पॉलिसी रिसर्च, नई दिल्ली के प्रो. प्रताप एस बिरथल ने 2022 तक किसानों की दोगुनी आय के लक्ष्य के बारे में जानकारी दी। बोले, यह कठिन है लेकिन अगर किसान, सरकार और सिस्टम सब मिलकर काम करें तो बिल्कुल संभव है।
इसके लिए किसानों को बहुफसली खेती करना होगा। खेती के साथ पशुपालन, मत्स्य पालन, खाद तैयार करना आदि माध्यम अपनाने होंगे। हाई वैल्यु एंड हाई ग्रोथ सेक्टर पर सरकार को भी ध्यान केंद्रित करना होगा। प्रो. प्रताप ने बताया कि किसानों को कम पानी में ज्यादा उत्पाद की तरफ बढऩा चाहिए। आने वाले दिनों में पानी का संकट पूरे देश के लिए भयावह होगा।
पशुओं के वैक्सीनेशन की क्षमता बढ़ाने पर कर रहे काम
इंग्लैंड के पिरब्राइट इंस्टीट्यूट से आए प्रो. सत्या परीदा ने पशुओं के वैक्सीनेशन की क्षमता के बारे में जानकारी दी। बताया कि अब ऐसे वैक्सीनेशन पर काम किया जा रहा है जिसका असर लंबे समय तक रहेगा। उन्होंने बकरियों के फुट एंड माउथ डीसीज के बारे में जानकारी दी।
बताया कि इसका साल में दो बार वैक्सीनेशन होता है लेकिन मार्च से जुलाई तक के पीरियड में जब इंफेक्शन फैलने का ज्यादा खतरा रहता है तो यह वैक्सीनेशन नहीं होता। ऐसे में वह इस वैक्सीनेशन की क्षमता बढ़ाने के लिए शोध कर रहे हैं।