Move to Jagran APP

गजब, बरेली में एक शख्स को अपने पालतू कुत्ते से इतना प्यार कि उसका ध्यान रखने के लिए छोड़ दी शराब

Alcohol addiction left for dog नशा शराब का हो या फिर कोई और... जिंदगी के लिए नासूर से कम नहीं है। बरेली जिला अस्पताल में बने मन कक्ष में कोरोना काल के दौरान मई महीने में ही करीब 24 केस काउंसिलिंग और सलाह लेने के लिए आ चुके हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 08:39 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 08:39 AM (IST)
गजब, बरेली में एक शख्स को अपने पालतू कुत्ते से इतना प्यार कि उसका ध्यान रखने के लिए छोड़ दी शराब
मन कक्ष में भी मरीज दृढ़ इच्छाशक्ति और एमआइटी के जरिए नशे के चंगुल से छूट चुके हैं।

बरेली, जेएनएन।Alcohol addiction left for dog : नशा शराब का हो या फिर कोई और... जिंदगी के लिए नासूर से कम नहीं है। जिले में ही कई नशे के आदी अपनी जान भी गवां चुके हैं। जिला अस्पताल में बने मन कक्ष में कोरोना काल के दौरान मई महीने में ही करीब 24 केस काउंसिलिंग और सलाह लेने के लिए आ चुके हैं। मन कक्ष के इंचार्ज डॉ.आशीष कुमार बताते हैं कि ठीक समय पर अगर नशे के लती की काउंसिलिंग हो तो उसे नशे के दलदल से निकाला जा सकता है। इसे मोटिवेशन इनहेसमेंट थेरेपी (एमआइटी) कहते हैं। मन कक्ष में भी अब तक 70 से 80 फीसद मरीज दृढ़ इच्छाशक्ति और एमआइटी के जरिए नशे के चंगुल से छूट चुके हैं।

loksabha election banner

शहर के कोहाड़ापीर निवासी युवक सालों से शराब का लती था। काफी कोशिश के बावजूद वह शराब नहीं छोड़ पा रहा था। स्वजन उसे उपचार के लिए नशा मुक्ति केंद्र ले गए। यहां काउंसिलिंग के दौरान पता चला कि युवक अपने कुत्ते को काफी प्यार करता है। डॉक्टर ने इसी बात को युवक के नशे से जोड़कर शराब के नुकसान बताए। कहा कि युवक के नशे में होने पर किस तरह उसके कुत्ते की देखभाल नहीं हो पाती। इसके बाद युवक ने नशा छोड़ दिया।

खुद बढ़ाया हौसला और छूट गया नशा : सिविल लाइंस निवासी एक शख्स को अफीम के नशे की लत लग गई थी। नशा न मिलने पर उसका व्यवहार बदल जाता। आए दिन झगड़ा होने लगा। धीरे-धीरे परिवार के लोग उससे कटने लगे। इससे युवक और ज्यादा नशा करने लगा। एक दिन युवक खुद जिला अस्पताल के मन कक्ष पहुंचा। यहां उसकी काउंसिलिंग शुरू हुई। धीरे-धीरे कुछ शारीरिक परेशानी का सामना युवक ने किया लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर नशामुक्त हो गया। 

उस गली और परिचित को छोड़ें जो नशे का आदी हो : मन कक्ष की क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट खुशअदा बताती हैं कि लोगों के नशे का आदी होने की कई वजह हैं। इसमें पारिवारिक कलह सबसे बड़ा लक्षण है। इसके अलावा नई उम्र में गलत संगत की वजह से भी लोग नशा करने लगते हैं। खास बात कि नशा छोड़ने में भी यही सबसे बड़ी बाधा बनते हैं। ऐसे में जरूरी है कि जहां नशा होता हो, उस जगह और परिचित को छोड़ दें।

छोड़ते समय कुछ परेशानी, लेकिन रहें मजबूत : विशेषज्ञ बताते हैं कि शराब, अफीम, गांजा या कोई भी नशा छोड़ते समय शुरूआत में कुछ दिन शारीरिक और मानसिक परेशानी हो सकती है। शारीरिक दिक्कतों में मिर्गी का दौरा, कान में आवाज आना, हाथों में कंपकंपाहट जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। लेकिन सप्ताह भर के अंदर ये दिक्कत धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। ऐसे में केवल शुरूआती मजबूती के बाद नशे से छुटकारा पाया जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.