सब इंतजाम फेल, गांवों में सिर्फ नेपाली गज का राज Bareilly News
हाथियों का यह रुख निगरानी लगे वन विभाग के अधिकारियों व ग्रामीणों को परेशान कर रहा। कई बीघे फसल बर्बाद हो चुकी है दो लोगों की जान ले चुके हाथी बार-बार हमलावर भी हो रहे।
बरेली, जेएनएन : नेपाल के जंगलों से भटककर पहले बहेड़ी और अब मीरगंज के गांवों में पहुंचे हाथियों ने वहीं अपना पांव जमा लिया। 48 घंटे से वे उसी क्षेत्र में टिके हुए हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि हाथी रात को ही सफर करते हैं और 20-30 किमी की दूरी तय कर लेते हैं। मगर ये दोनों हाथी पिछली दो रातों में बमुश्किल 11 किमी चले। दरअसल, उस क्षेत्र में गन्ना के खेत बड़ी संख्या में है। ऐसे में अपना पसंदीदा भोजन आसानी से मिल जाने के कारण हाथी दूसरा रास्ता नहीं पकड़ रहे। उन्हीं खेतों में टहल रहे।
हाथियों का यह रुख निगरानी लगे वन विभाग के अधिकारियों व ग्रामीणों को परेशान कर रहा। कई बीघे फसल बर्बाद हो चुकी है, दो लोगों की जान ले चुके हाथी बार-बार हमलावर भी हो रहे। फसल बर्बाद होने पर मुआवजा की मांग करते हुए तहसीलदार को खेत मालिकों ने पत्र भी सौंपा। असोम से भी विशेषज्ञ बुलाए गए हैं ताकि हाथियों को नेपाल तक पहुंचाया जा सके।
शुक्रवार की रात को दोनों हाथी मीरगंज तहसील क्षेत्र के खानपुर गांव में थे। रात भर नदी किनारे घूमने के बाद दोनों चलते-चलते करीब पांच किलोमीटर दूर नरखेड़ा गौटिया गांव में पहुंच गए। रहीस अहमद के खेत में हाथियों को देखकर ग्रामीणों में दहशत फैल गई।
हाथियों को भगाने के लिए मशाल तैयार करते वनकर्मी।
मशाल, पटाखों के भरोसे
रात को मशाल जलाकर व पटाखे चलाकर हाथियों को पीलीभीत के रास्ते नेपाल तक पहुंचाने की कवायद है। दिनभर इसकी तैयारियां होती रहीं।
भीड़ पर काबू पाने के लिए पीएसी लगाई
48 घंटे से हाथी इसी क्षेत्र में हैं, इसलिए भीड़ जुटती जा रही। वन विभाग के अधिकारियों इससे परेशान हैं। क्योंकि भीड़ कभी फोटो खींच रही तो कभी पत्थर फेंक रही। इससे हाथी बेकाबू हो रहे। अधिकारियों का कहना है कि बार-बार गुस्सा आने के कारण ही हाथियों का सेंस काम नहीं कर रहा और वे रास्ता भटक रहे। भीड़ रोकने के लिए पीएसी लगाई गई है।
पत्थर बरसाए तो हमलावर हुए हाथी, भगदड़ में कई घायल
खेत में हाथी होने का शोर हुआ तो सैकड़ों ग्रामीण वहां पहुंच गए। भगाने के लिए पत्थर बरसाने लगे। इतने में गुस्साए हाथी हमलावर हो गए। भीड़ के पीछे दौड़ पड़े, इससे भगदड़ मच गई। अफरातफरी के बीच आधा दर्जन लोग चोटिल हो गए।
असोम के विशेषज्ञों से मांगी मदद
सब डिवीजनल ऑफिसर बीएन सिंह ने कहा कि नेपाली हाथियों को ट्रैक पर लाने के लिए असोम से भी विशेषज्ञों की मदद मांगी गई है। वहां से तीन सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम जल्द आने की संभावना है।