शराब और लापरवाही बनी मौत की वजह, लॉकडाउन के दौरान मालगाड़ी की चपेट में आने से 60 की मौत
अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक मालगाडिय़ों की चपेट में आकर 60 लोगों की मौत हुई। बाद में पता चला कि इनमें से अधिकतर शराब के नशे में थे जो ट्रैक की ओर टहलते हुए निकल आए और मालगाड़ी की चपेट में आकर अपनी जान से हाथ धो बैठे।
बरेली, जेएनएन। लॉकडाउन में पैसेंजर ट्रेनें भले बंद थीं, मगर जानलेवा हादसे लगातार होते रहे। अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक मालगाडिय़ों की चपेट में आकर 60 लोगों की मौत हुई। बाद में पता चला कि इनमें से अधिकतर शराब के नशे में थे जो ट्रैक की ओर टहलते हुए निकल आए और मालगाड़ी की चपेट में आकर अपनी जान से हाथ धो बैठे।
बरेली रेल सेक्शन के रेलवे ट्रैक में चलने वाली मालगाडिय़ों की चपेट में आने से सात महीने में 60 लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़े मार्च से अक्टूबर तक के हैं। मालगाड़ी की चपेट में आने वाले अधिकांश लोगों की मौत का कारण उनका शराब के नशे में होना था। लॉकडाउन में गाडिय़ों के न चलने से लोग बेधड़क ट्रैक पर घूमते रहे हैं। यात्री ट्रेनों के न चलने से मालगाडिय़ों की इस दौरान स्पीड भी तेज रही। बरेली जंक्शन की आरपीएफ के अधिकारियों के मुताबिक कोरोना वायरस से बचाव के लिए 25 मार्च से यात्री ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया था। ऐसे में सिर्फ मालगाड़ी का संचालन ही किया जा रहा था। जिससे खाद्य वस्तुओं की कमी किसी राज्य में न हो। इस दौरान 2019 के आंकड़े को देखते हुए ट्रैक पर मरने वालों की संख्या लॉकडाउन में अधिक थी। बरेली में सीबीगंज से तिलहर स्टेशन तक मार्च से अक्टूबर तक 60 लोगों की मौत होने की बात सामने आयी। यह लोग न तो किसी श्रमिक स्पेशल से गिरे और न किसी यात्री ट्रेन से टकराए। ऑपरेङ्क्षटग विभाग के रिकॉर्ड से जानकारी ली गई तो पता चला माल गाडिय़ों की चपेट में आकर राहगीरों की मृत्यु हुई।
एक नजर आंकड़ों में
2019 में ट्रेन की चपेट में आकर हुई मौत - 43
25 मार्च से 31 अक्टूबर तक ट्रेन की चपेट में आने से हुई मौत - 60
वर्जन
पिछले साल की तुलना में इस बार ट्रेन की चपेट में आकर होने वाली मौत का आंकड़ा कुछ अधिक है। लोगों से लगातार ट्रैक पर न चलने की अपील की जा रही है।
विपिन कुमार शिशौदिया, आरपीएफ निरीक्षक जंक्शन