Move to Jagran APP

Air Pollution in Bareilly : बरेली में दूषित हुई हवा, चार गुना बढ़ा प्रदूषण का खतरा, जानिए क्या बन रहे हालात

Air Pollution in Bareilly शहर की उखड़ी सड़कों से उठे धूल के गुबार का पटाखों के साथ काकटेल कुछ ऐसा हुआ कि गुरुवार को वायु प्रदूषण अपने सामान्य स्तर से करीब चार गुना तक बढ़ गया। हालांकि

By Ravi MishraEdited By: Published: Sat, 06 Nov 2021 11:00 AM (IST)Updated: Sat, 06 Nov 2021 11:00 AM (IST)
Air Pollution in Bareilly : बरेली में दूषित हुई हवा, चार गुना बढ़ा प्रदूषण का खतरा, जानिए क्या बन रहे हालात
Air Pollution in Bareilly : बरेली में दूषित हुई हवा, चार गुना बढ़ा प्रदूषण का खतरा

बरेली, जेएनएन। Air Pollution in Bareilly : शहर की उखड़ी सड़कों से उठे धूल के गुबार का पटाखों के साथ काकटेल कुछ ऐसा हुआ कि गुरुवार को वायु प्रदूषण अपने सामान्य स्तर से करीब चार गुना तक बढ़ गया। हालांकि खतरनाक स्तर पर पहुंचे वायु प्रदूषण को देर रात चली तेज हवा ने काफी हद तक कम कर दिया। इससे लोगों ने राहत की सांस ली। बावजूद इसके शुक्रवार की रात तक वातावरण में स्माग (कुहासा) का असर काफी हद तक दिखाई दे रहा था।

loksabha election banner

उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिवाली से पहले और बाद में वायु प्रदूषण की स्थिति का जायजा लिया। शहर में कई जगह वायु और ध्वनि प्रदूषण की स्थिति परखी गई। इनका औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 410 निकला। जबकि सामान्य परिस्थितियों में यह 100 एक्यूआइ के करीब था। यानी हवा मानक से चार गुना या इससे भी ज्यादा प्रदूषित थी।

सिविल लाइंस समेत पांच जगह एक्यूआइ 500 के ऊपर 

शहर के प्रमुख मुहल्लों की बात करें तो सिविल लाइंस, सुभाष नगर समेत पांच इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 से ज्यादा रहा। सिविल लाइंस में एक्यूआइ 512, सिंधु नगर में 510, आलमगिरीगंज में वायु गुणवत्ता सूचकांक 509, साहूकारा में 508 और आशुतोष सिटी में 506 तक एक्यूआइ गया। यानी यहां की हवा खतरनाक स्तर तक दूषित हो चुकी थी। हालांकि देर रात से हवा की गति कुछ तेज हुई, जिसके बाद सुबह होते-होते यह स्तर कुछ हद तक नीचे गिर गया।

मानक को काफी पीछे धकेल चुका आंकड़ा

पर्यावरण विशेषज्ञ बताते हैं कि पीएम-10 को रेस्पायरेबल पार्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर होता है। वातावरण में इनका बेहतर मानक 50 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) के करीब माना गया है। वहीं आम दिनों में ये 100 एमजीसीएम होना चाहिए। लेकिन 31 अक्टूबर और एक नवंबर को शहर में औसत पीएम-10 की मात्रा 95 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से नीचे थी। लेकिन चार नवंबर को ये 387.01 एमजीसीएम तक पहुंच गया। इससे छोटे कणों का व्यास करीब 2.5 माइक्रोमीटर होता है। पीएम 2.5 का सामान्य स्तर 30-60 एमजीसीएम तक होता है। 31 अक्टूबर व एक नवंबर को यह लगभग 60 एमजीसीएम से कम रहा। लेकिन चार नवंबर को पीएम 2.5 का शहर में औसत 262.48 था। यानी पीएम-10 व पीएम-2.5 मानक से करीब चार गुना ज्यादा मिले।

धूल के साथ मिला धुआं बना ज्यादा खतरनाक 

पर्यावरणविद और एयर मानीटरिंग प्रोग्राम के को-आर्डिनेटर प्रो.डीके सक्सेना बताते हैं कि वायु प्रदूषण की यह स्थिति महज पटाखों की वजह से नहीं थी। सबसे प्रमुख कारण था शहर की खराब सड़कें। वातावरण में नमी होने के बाद धूल के कण आतिशबाजी के धुएं के साथ मिल गए और वातावरण में काफी समय तक नीचे ही रहे। इस वजह से धुआं खतरनाक रूप से नीचे ही रहा। यह स्थिति कुछ समय तक बनी रह सकती है क्योंकि शहर की यहां-वहां उखड़ी सड़कों से उठने वाले धूल के कणों में यह धुआं फंसा रहेगा। वहीं, वातावरण में लगातार बढ़ रही नमी इसे ऊपर उठने नहीं देगी। यह धुआं और धूल ही मिलकर स्माग का रूप लेता है। जो आंखों और स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद खतरनाक होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.