Admission in ITI : जानिए बरेली में किस तरह से कोरोना ने बिगाड़ा आइटीआइ में दाखिले का गणित
कोरोना ने इस बार राजकीय और प्राइवेट औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) में नए सत्र में दाखिले का गणित बिगाड़ दिया है। पहले तो ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया ही देर से शुरू हुई।
बरेली, जेएनएन। कोरोना ने इस बार राजकीय और प्राइवेट औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) में नए सत्र में दाखिले का गणित बिगाड़ दिया है। पहले तो ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया ही देर से शुरू हुई। दूसरी ओर कंपनियों में नौकरी का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में अभ्यर्थियों का आइटीआइ में दाखिले का रुझान कम हो गया है। स्थिति यह है कि 20 दिन में 4,92,307 सीटों के सापेक्ष अब तक 1,69,533 आवेदन हुए हैं। जबकि 2019 में इतने दिनों में 3,22,638 और 2018 में 2,36,608 आवेदन आ गए थे। आइटीआइ में प्रवेश के लिए पंजीकरण की स्थिति पर संवाददाता अखिल सक्सेना की रिपोर्ट।
तीन साल में प्रवेश पंजीकरण की स्थिति
वर्ष पंजीकरण का फीसद
2020 : 1,69,533 3.86 फीसद
2019 : 3,22,638 4.49 फीसद
2018 : 2,36,608 3.42 फीसद
प्रदेश में आइटीआइ और सीटें
राजकीय आइटीआइ : 307सीटें : 1,20,575
प्राइवेट आइटीआइ : 2931सीटें : 3,71,732
कुल सीटें : 4,92,307
बरेली मंडल में पंजीकरण का हाल
राजकीय और प्राइवेट आइटीआइ : 64सीटों की संख्या : 12,002 अब तक पंजीकरण : 4,059
खाली रह जाएंगी सीटें
हर साल आइटीआइ में दाखिले के लिए हाईस्कूल के नतीजों के तुरंत बाद प्रवेश के पंजीकरण शुरू हो जाते थे। लेकिन इस बार यूपी बोर्ड को छोड़ बाकी नतीजे कोविड की वजह से जुलाई में जारी हुए। जिसकी वजह से 30 जुलाई से पंजीकरण शुरू हो पाए। 23 अगस्त तक मौका है। अभी तक जो आंकड़े आए हैं, उसमें मेरिट के आधार पर दाखिले दिए जाने के बाद दो लाख से ज्यादा सीटें खाली रह जाएंगी।कोटकोविड की वजह से प्रवेश प्रक्रिया देर से शुरू हो पाई। जिसकी वजह से ऑनलाइन आवेदन के आंकड़े सीटों के सापेक्ष कम हैं। अभी तीन दिन बाकी हैं। स्थिति देखने के बाद राज्य व्यवसायिक प्रशिक्षण परिषद तारीख बढ़ाने पर विचार कर सकती है।राजेंद्र प्रसाद, संयुक्त निदेशक प्रशिक्षण शिशिक्षु बरेली मंडल
विशेषज्ञ की राय
कोविड की वजह से उद्योगों की गति धीमी है। औद्योगिक प्रतिष्ठानों में उत्पादक भी कम है। इसलिए कामगारों की डिमांड कम कर दी गई है। इसका सीधा प्रभाव प्रशिक्षुओं पर पड़ता है। वे सोचते हैं कि ट्रेनिंग करने के बाद नौकरी मिलेगी या नहीं। संस्थान भी बंद हैं। प्रैक्टिकल क्लास होंगी या नहीं, यह भी नहीं पता है। इसलिए भी रुचि कम दिख रही है। वीरेंद्र सिंह, कार्यदेयक, बरेली