Move to Jagran APP

Discover : खोजा जाएगा इलाबांस की धरती के गर्भ में छिपा ऐतिहासिक रहस्य Philibhit News

वर्ष १८९२ में अंग्रेज खोजकर्ता ब्यूलर ने इपिग्राफिया इंडिका नामक पुस्तक में इलाबांस का जिक्र करते हुए लिखा है कि नौवीं शताब्दी में यहां राजपूत शासक चिंदर मंडलाधिपति हुआ करते थे।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 01:18 PM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 01:18 PM (IST)
Discover : खोजा जाएगा इलाबांस की धरती के गर्भ में छिपा ऐतिहासिक रहस्य Philibhit News

मनोज मिश्र, पीलीभीत : तराई में बसा जिला पीलीभीत। इतिहास के कई रहस्य अपने में समेटे हुआ है। बात जिले के इतिहास की हो तो यही पता चलता है कि कभी यहां घने जंगल के बीच बंजारा जाति के लोग रहा करते थे। उन्होंने रुहेलों के आक्रमण से बचाव के लिए पीली दीवार खड़ी की थी। पर रुहेला सरदार हाफिज रहमत खां ने बंजारों को परास्त करके यहां अपनी हुकूमत कायम की थी। जबकि यहां बीसलपुर तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इलाबांस के प्राचीन देवी मंदिर और उसके आसपास के टीलों के गर्भ में इससे पहले का इतिहास छिपा है। यहां स्थित अनेक छोटे-छोटे टीलों की खोदाई कर ग्रामीणों ने उसकी जगह अपने खेतों में मिला ली है। खोदाई के दौरान टीलों से तमाम खंडित प्राचीन मूर्तियां निकलीं। उन्हें मंदिर के बाहर ही रख दिया गया। ये मूर्तियां नौवीं व दसवीं सदी की बताई जा रही हैं।

loksabha election banner

रुविवि की टीम इलाबांस का कर चुकी है सर्वे : पिछले महीने रुहेलखंड विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर विजय बहादुर ने कुछ छात्रों के साथ इलाबांस का दौरा किया। वहां रखी प्राचीन मूर्तियों का अध्ययन किया, तब पता चला कि ये नौवीं और दसवीं शताब्दी की हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यहां जमीन के नीचे काफी ऐतिहासिक चीजें मिल सकती हैं। इलाबांस और आसपास के इलाकों की खोदाई कराने के लिए पुरात्व विभाग की उत्खनन शाखा को प्रस्ताव भेजने की तैयारी की जा रही है।

पुरातत्व विभाग ने उत्खनन को बताया था आवश्यक : इस प्राचीन स्थल के प्रति सबसे शहर के मुहल्ला सिविल लाइंस साउथ में रहने वाले युवा अधिवक्ता शिवम कश्यप ने रुचि दिखाई। पिछले साल उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र भेजा था। वहां से प्रदेश सरकार को पत्र आया। तब पुरातत्व विभाग की टीम ने यहां पहुंचकर सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के उपरांत विभाग के सहायक पुरातत्वविद डॉ. महेंद्र पाल ने अन्वेषण एवं उत्खनन शाखा के निदेशक को अपनी सर्वे आख्या भेजी, जिसमें इस स्थान को अति महत्वपूर्ण बताते हुए उत्खनन को आवश्यक बताया गया।

 नौंवी सदी में राजपूत शासक चिंदर थे मंडलाधिपति : वर्ष १८९२ में अंग्रेज खोजकर्ता ब्यूलर ने इपिग्राफिया इंडिका नामक पुस्तक में इलाबांस का जिक्र करते हुए लिखा है कि नौवीं शताब्दी में यहां राजपूत शासक चिंदर मंडलाधिपति हुआ करते थे। उसकी प8ी लक्ष्मी ने यहां दो मंदिरों का निर्माण कराया था। उसी दौर में शिलालेख तैयार किया गया। इस शिलालेख पर लक्ष्मी ने अपने पति की विजय और पराक्रम गाथा को लिखवाया। यह शिलालेख संवत १०४९ में लिखा गया। विवरण लिखने का कार्य उस समय के कारीगर नेहला ने किया था। वर्ष १८२९ में अंग्रेज इतिहासकार एचएस वुलडर्सन ने भी शोध किया।

इलाबांस और उसके आसपास उत्खनन किया जाए तो धरती के गर्भ से तमाम ऐतिहासिक चीजें निकल सकती हैं, जो इस जिले के प्राचीन इतिहास और उस समय के वैभव को दुनिया के सामने लाएंगी। लोध राजपूत बिरादरी के कई जिलों में निवास कर रहे लोग आज भी यहां की प्राचीन बाराही देवी मंदिर को अपनी कुल देवी मानकर पूजते हैं। हर साल यहां विशाल मेला लगता है। यहां प्राप्त कई मूर्तियां खुजराहो जैसी हैं।

-शिवम कश्यप, एडवोकेट, सिविल लाइंस साउथ

रुहेलखंड विवि का प्राचीन इतिहास विभाग अगर इलाबांस का पुरातात्विक शोध करना चाहता है तो यह बहुत अच्छी बात है। जनपद का प्राचीन इतिहास सामने आएगा। इस मामले में जिला प्रशासन विवि का पूरा सहयोग करने को तैयार है। हालांकि, विवि के प्राचीन इतिहास विभाग की ओर से सहयोग के लिए अभी कोई संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।

-वैभव श्रीवास्तव, जिलाधिकारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.