बरेली में 17 राज्यों के युवाओं को कुक्कुट पालन का ऑनलाइन प्रशिक्षण
केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआइ) में सोमवार से 17 राज्यों के युवाओं ने कुक्कुट पालन का ऑनलाइन प्रशिक्षण लेना शुरू किया। छह दिवसीय प्रोग्राम 20 मार्च तक चलेगा। 96 युवा ट्रेनिग के लिए पहुंचे।
बरेली, जेएनएन: केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआइ) में सोमवार से 17 राज्यों के युवाओं ने कुक्कुट पालन का ऑनलाइन प्रशिक्षण लेना शुरू किया। छह दिवसीय प्रोग्राम 20 मार्च तक चलेगा। 96 युवा ट्रेनिग के लिए पहुंचे। संस्थान के निदेशक डॉ. एके तिवारी ने प्रशिक्षणार्थियों को संस्थान के अनुभवी विज्ञानियों से उपलब्ध विभिन्न कुक्कुट प्रजातियों की उत्पादन तकनीक का ज्ञान हासिल कर इसे आमदनी के स्त्रोत के रूप में अपनाने को कहा। साथ ही प्रशिक्षणार्थियों को संस्थान की तरफ से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में संस्थान के विज्ञानियों ने ब्रायलर, लेयर, टर्की, बटेर, गिनीफाउल पालन से संबंधित विषयों पर व्याख्यान दिए जाएंगे। इससे पहले प्रशिक्षण कार्यक्रम में समन्वयक प्रधान विज्ञानी डॉ.एमपी सागर ने मुख्य अतिथि सीएआरआइ निदेशक डॉ. एके तिवारी, मौजूद विज्ञानियों व प्रशिक्षणार्थियों का स्वागत किया। डॉ. एमपी सागर, प्रधान विज्ञानी व प्रशिक्षण समन्वयक द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। इन राज्यों के प्रशिक्षणार्थी ले रहे ट्रेनिग
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब, हिमांचल प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, ओडिसा, राजस्थान, असम। कार्यक्रम का आयोजन डॉ.एमपी सागर, प्रधान विज्ञानी व अध्यक्ष तकनीकी प्रसार अनुभाग द्वारा कोविड-19 महामारी की परिस्थितियां ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन किया गया। सीएआरआइ ने किसानों को बांटी कैरी निर्भीक 30 मुर्गियां
सीएआरआइ ने अनुसूचित जाति के विकास के लिए चल रही योजना के तहत बैकयार्ड मुर्गी पालन के लिए लखीमपुर खीरी व बरेली जिले के किसानों को मुर्गी बांटी। कैरी निर्भीक प्रजाति (देसी मुर्गी ) के 11 से 12 सप्ताह की आयु की 25-30 मुर्गियां तथा 20-25 किग्रा मुर्गी दाना प्रति लाभार्थी के हिसाब से सीएआरआइ निदेशक डॉ. एके तिवारी ने दिया। परियोजना प्रभारी डॉ.जगबीर सिंह त्यागी ने मुर्गियों के रखरखाव तथा गांव तक सुरक्षित पहुंचाने के तरीके बताए। इस दौरान प्रधान विज्ञानी डॉ. एमपी सागर मौजूद थे।