दो फर्जी शिक्षकों से होगी 74 लाख की रिकवरी
बेसिक शिक्षा विभाग पकड़े गए दो फर्जी शिक्षकों को दिए वेतन का 74 लाख रुपये वसूलेगा। इसमें एक आरोपित से 3695520 और दूसरे से 369600
बरेली, जेएनएन : बेसिक शिक्षा विभाग पकड़े गए दो फर्जी शिक्षकों को दिए वेतन का 74 लाख रुपये वसूलेगा। इसमें एक आरोपित से 36,95520 और दूसरे से 36,96,008 रुपये वसूले जाएंगे। मंगलवार को बीएसए ने लेखा विभाग से इसका ब्यौरा लेकर डीएम के माध्यम से तैयारी शुरू कर दी। दोनों आरोपित फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई साल से बरेली के प्राइमरी स्कूलों में नौकरी कर रहे थे। शिकायत के आधार पर एसटीएफ ने जांच कर इन्हें पकड़ा था। दोनों की सेवा समाप्त कर पिछले साल चार मई को एफआइआर दर्ज कराते हुए जेल भेजा गया था। चूंकि फर्जी तरीके से दोनों शिक्षक सरकारी वेतन लेते रहे, इसलिए विभाग इनसे रिकवरी करेगा। दोनों आरोपित जिला हरदोई के रहने वाले हैं।
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वर्ष 2008-09 का है मामला
बीएसए कार्यालय रिकॉर्ड के मुताबिक 2008-09 में विशिष्ट बीटीसी सामान्य चयन-2 बैच और विशिष्ट बीटीसी विशेष चयन तृतीय बैच के तहत परिषदीय विद्यालयों में नियुक्तियां की गई थीं। इसमें बरेली में भी छह शिक्षकों का चयन हुआ था। चार शिक्षक देवकरन, मुनेश, शिशुपाल और उदय भान सिंह के दस्तावेज का सत्यापन कराया तो वे फर्जी निकले। जिसके बाद उनका चयन निरस्त कर दिया गया। दो अन्य शिक्षक उमेश कुमार और विनय कुमार का चयन हो गया।
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सत्यापन में हुआ था खेल
विभागीय सूत्रों के मुताबिक उमेश कुमार और विनय कुमार के दस्तावेजों का सत्यापन कराया गया तो उन्होंने जुगाड़ लगाकर सारे अभिलेख सही होने की रिपोर्ट भिजवा दी। जिसके बाद उमेश कुमार बहेड़ी के प्राइमरी स्कूल बरगवां और विनय कुमार प्राइमरी स्कूल भौसिया में प्रधानाध्यापक पद पर चयनित हो गए। विभाग ने उन्हें वेतन भी देना शुरू कर दिया, लेकिन किसी ने एसटीएफ से शिकायत की तो मामला खुल गया। चूंकि दोनों शिक्षक कई साल तक वेतन लेते रहे, इसलिए अब उसकी रिकवरी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
वर्जन
शिक्षक उमेश कुमार और विनय कुमार ने फर्जी तरीके से सरकारी वेतन लिया। इसलिए उनसे रिकवरी की जाएगी। दोनों हरदोई के रहने वाले हैं। इसलिए वहां जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजी जा रही है, ताकि रिकवरी हो सके।
- विनय कुमार, बीएसए
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बिना नियुक्तिपत्र 10 साल से कर रहे नौकरी
बरेली, जेएनएन: अनामिका शुक्ला प्रकरण के बाद सभी कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) की जांच शुरू होते ही कई खुलासे हो रहे हैं। सत्यापन के दौरान बरेली में तीन ऐसे शिक्षक भी मिले हैं, जो 2010 से बिना नियुक्तिपत्र के ही नौकरी कर रहे हैं। 2011 से अब तक जितने भी बेसिक शिक्षा अधिकारी आए, इस पर ध्यान दिए बिना हर साल उनका नवीनीकरण करते रहे। अब वर्तमान बीएसए विनय कुमार ने तीनों का वेतन रोकते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा है।
बरेली में 18 कस्तूरबा विद्यालय संचालित हैं। इनमें पार्ट टाइम और फुल टाइम टीचर के अलावा वार्डेन भी होती हैं। हर साल इनका नवीनीकरण किया जाता है। बीएसए ने बताया कि 2010 में यहां तीन पार्ट टाइम शिक्षकों का चयन किया गया। इनमें नरेश गंगवार और संतोष शर्मा ने रिछा दमखोदा ब्लॉक तो अवनेश पटेल ने भोजीपुरा के कस्तूरबा विद्यालय में तैनाती पाई। 2011 से हर साल उनका नवीनीकरण होता रहा। अब सत्यापन में पता चला कि उनके पास नियुक्ति पत्र ही नहीं है। यानी 10 साल से तीनों पार्ट टाइम शिक्षक बिना नियुक्ति के ही नौकरी कर रहे हैं। पहले के अफसरों ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। फिलहाल तीनों शिक्षकों का वेतन रोक कर स्पष्टीकरण मांगा है। हालांकि शिक्षकों ने बीएसए को बताया कि उस समय एनजीओ ने नियुक्ति की थी, लेकिन नियुक्ति पत्र नहीं दिया था।