एक वक्त पर 65 हजार छात्रों ने किताब पढ़कर किया ‘पढ़े बरेली, बढ़े बरेली’ का आगाज Bareilly News
एक समय पर करीब 65 हजार छात्र-छात्रओं ने प्रेरक पुस्तकें पढ़ीं। ठीक 12 बजे विश्वविद्यालय महाविद्यालयों के सभी विभागों में छात्रों ने प्रेरक पुस्तकें पढ़ना शुरू किया और एक घंटे तक अध्ययन किया।
जेएनएन, बरेली : पुस्तकों में छात्रों की रुचि बढ़ाने के उद्देश्य के साथ शुक्रवार को रुहेलखंड विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों में ‘पढ़े बरेली, बढ़े बरेली’ का आगाज हुआ। एक समय पर करीब 65 हजार छात्र-छात्रओं ने प्रेरक पुस्तकें पढ़ीं। ठीक 12 बजे विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों के सभी विभागों में छात्रों ने प्रेरक पुस्तकें पढ़ना शुरू किया और एक घंटे तक अध्ययन किया। हालांकि इसके लिए शासन के निर्देश पर 45 मिनट का समय ही निर्धारित किया गया था। लेकिन छात्र, छात्रएं जब सामूहिक रूप से पुस्तकें पढ़ने बैठे तो एक घंटे बाद ही उठे।
कुलपति, रजिस्ट्रार ने लिया जायजा
विश्वविद्यालय परिसर के सभी विभागों में छात्र-छात्रओं ने प्रेरक पुस्तकें पढ़ीं। इसका अवलोकन करने के लिए कुलपति प्रो. अनिल शुक्ला, रजिस्ट्रार डॉ. सुनीता पांडेय भी निकलीं। उन्होंने प्लांट साइंस विभाग, शिक्षाशास्त्र विभाग, एप्लायड केमिस्ट्री विभाग में जायजा लिया। शिक्षा शास्त्र विभाग के सैकड़ों छात्रों ने मैदान में बैठकर पुस्तकों का अध्ययन किया। वहीं इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, लॉ के छात्रों ने अपने-अपने विभाग में पुस्तकें पढ़ीं। इस दौरान डॉ. नलिनी श्रीवास्तव, डॉ. राम बाबू सिंह, डॉ. विमल यादव, डॉ. रश्मि रंजन, डॉ. मीनाक्षी द्विवेदी आदि मौजूद रहे।
बरेली कॉलेज में चार हजार छात्रों ने पढ़ी पुस्तक: बरेली कॉलेज में भी चार हजार छात्र, छात्रओं ने पुस्तकों का अध्ययन किया। विज्ञान, विधि, कला, बीबीए-बीसीए, शिक्षा शास्त्र संकाय के सभी कक्षाओं में खासा उत्साह दिखा। प्राचार्य डॉ. अनुराग मोहन, चीफ प्राक्टर डॉ. वंदना शर्मा भी छात्रों के बीच पहुंचे।
किसी ने गांधी तो किसी ने रानी को पढ़ा: रुविवि के शिक्षा शास्त्र विभाग के छात्र आदित्य ने महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित पुस्तक का अध्ययन किया। आदित्य बताते हैं कि उन्होंने इस पुस्तक से काफी कुछ जाना है। अभी चूंकि समय कम था इसलिए अब वह इस पुस्तक का अध्ययन आगे भी जारी रखेंगे। इसी तरह वीरांगना रानी अवंतीबाई राजकीय महिला महाविद्यालय की छात्र प्रतिभा ने रानी लक्ष्मी बाई के जीवन के बारे में पढ़ा। प्रतिभा बताती हैं कि रानी लक्ष्मी बाई का जीवन काफी संघर्ष और गौरवशाली रहा है।
‘दैनिक जागरण’ ने भी चलाई है मुहिम: इससे पहले लोगों को पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित करने को दैनिक जागरण मुहिम शुरू कर चुका। ‘आओ पुस्तक पढ़ें’ नाम से 18 नवंबर को अभियान शुरू किया, जिससे बड़ी संख्या में लोग जुड़ चुके। वह लोग बताते हैं कि उन्हें कौन सी पुस्तकें पढ़ना पसंद हैं और किस तरह अध्ययन करते हैं। यह मुहिम अभी भी चल रही है। लोगों को प्रेरित कर रही है।
वीरांगना अवंतीबाई राजकीय महिला महाविद्यालय में पढ़े बरेली, बढ़े बरेली के तहत पुस्तक पढ़तीं छात्रएं ’
पढ़े बरेली, बढ़े बरेली के पहले चरण में छात्रों की शानदार दिलचस्पी देखने को मिली है। कम समय में भी इसे व्यवस्थित तौर पर आयोजित कराने की कोशिश की गई। इसका फायदा भी देखने को मिला। अगले बार इस आयोजन को और भी भव्य तरीके से आयोजित कराया जाएगा। छात्रों में पुस्तकों के प्रति दिलचस्पी स्थापित करने की यह मुहिम काफी शानदार है। ‘दैनिक जागरण’ का ‘आओ पुस्तक पढ़ें’ अभियान ने भी छात्रों को खूब प्रेरित किया है।
- प्रो. अनिल शुक्ला, कुलपति, रुहेलखंड विश्वविद्यालय
बरेली के 88 कॉलेजों के 65226 छात्र, छात्रओं ने एक समय पर प्रेरक पुस्तकों का अध्ययन किया है। वाट्सएप के जरिए निरंतर सभी महाविद्यालयों की मॉनिटरिंग की जा रही थी। पहले प्रयास में अच्छी सफलता मिली है।
- डॉ. सुनीता पांडेय, रजिस्ट्रार रुहेलखंड विश्वविद्यालय
मैंने आज से सिक्स वीक्स टू वर्डस ऑफ पॉवर पढ़ना शुरू किया है। इसमें जीवन की व्याख्या की गई है। अलग-अलग सप्ताह के हिसाब से बताया गया है कि पहले सप्ताह में क्या होता है और दूसरे सप्ताह में क्या।
निहार त्यागी, छात्र, रुविवि
पढ़े बरेली, बढ़े बरेली अभियान शानदार है। मुङो पुस्तक पढ़ने में काफी दिलचस्पी है। आज से मैंने टोटल क्वालिटी ऑफ लीडरशिप को पढ़ना शुरू किया है। इस पुस्तक में बताया गया है कि एक अच्छे नेता में क्या-क्या गुण होने चाहिए।
विनय कुमार, छात्र, रुविवि
मैक्सिम गोर्की की पुस्तक मां का आज से मैंने अध्ययन शुरू किया है। पढ़ाई से हटकर अन्य पुस्तकों को कम ही ध्यान देना हो पाता है लेकिन आज जब मौका मिला तो काफी अच्छा लगा। इसमें एक लड़के की कहानी है जो अपनी मां के बारे में बताता है।
रजनी कश्यप, छात्र, रुविवि
शोभा डे की पुस्तक ‘इमेज ऑफ दि न्यू वीमेन’ का आज से मैंने अध्ययन शुरू किया है। पुस्तकों के प्रति छात्रों में दिलचस्पी बढ़ाने का यह शानदार तरीका है। इस पुस्तक में सती प्रथा, दहेज प्रथा सहित कई कुरीतियों के बारे में बताया है।
दीक्षा प्रजापति, छात्र, रुविवि
यह अभियान बेहतरीन है। युवाओं को किताबों से करीब ले जाने में इसकी भूमिका अच्छी होगी। आज मैंने डॉ. डेजी कुमार की चाइल्ड डेवलपमेंट को पढ़ना शुरू किया है। इसमें बच्चों की मानसिक स्थिति और उसके विकास के बारे में बताया है।
अर्पिता यादव, छात्र, रुविवि