बरेली के कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन पर चल रहे 56 कोरोना संक्रमित
जिले में संक्रमण बढ़ने के साथ ही जिला प्रशासन द्वारा इससे निपटने के इंतजाम किए गए थे। कोरोना संक्रमण में सबसे अधिक खतरा सांस के मरीज को होती है।
बरेली, जेएनएन। जिले में संक्रमण बढ़ने के साथ ही जिला प्रशासन द्वारा इससे निपटने के इंतजाम किए गए थे। कोरोना संक्रमण में सबसे अधिक खतरा सांस के मरीज को होती है। इसलिए सभी कोविड अस्पतालों में आक्सीजन की उपलब्धता रहे इसका ध्यान रखा गया। ऐसे अस्पतालों को कोविड का दर्जा किया गया, जहां आक्सीजन के पर्याप्त बेड और आक्सीजन की उपलब्धता रहे। इस समय कोविड अस्पतालों में 232 संक्रमित भर्ती हैं, इनमें 56 आक्सीजन पर चल रहे हैं। जिले में तीन जिला प्रशासन द्वारा अधिग्रहित कोविड अस्पताल जबकि दो पेड कोविड अस्पताल हैं।
तीनों सरकारी कोविड अस्पतालों के कुल एक हजार बेड मौजूद हैं। इनमें से सात सौ बैड पर सीधे आक्सीजन की सप्लाई है। वहीं 157 बेड वेंटीलेटर युक्त है। संक्रमण की शुरुआत से ही आक्सीजन को लेकर विशेष सकर्तकता बरती जा रही है। हालांकि एक कोविड अस्पताल ने तो आक्सीजन प्लांट लगा रखा है।जो पर्यावरण के प्रेशर से तैयार होती हैं। वहीं अन्य दोनों अस्पतालों में लिक्विड आक्सीजन का इस्तेमाल करते हैं। इनके पास एक टैंकर लिक्विड आक्सीजन हमेशा रहता है। इसके अलावा एक टैंकर से सप्लाई अस्पताल के वार्डों तक पहुंचाई जाती है।
डेढ़ हजार से अधिक लोगों को पड़ी आक्सीजन की जरूरतमार्च माह में संक्रमण की शुरुआत हुई थी। इसके बाद से अब तक करीब आठ हजार केस मिल चुके हैं। शुरुआती समय में काफी दिक्कत आई, जब संक्रमित अधिक और बेड कम पड़ने लगे। ऐसे में कई बार बेड की उपलब्धता नहीं होती थी तो आक्सीजन वाले बेड भी सामान्य मरीजों से फुल रहते थे। लेकिन आक्सीजन की दिक्कत नहीं आई। अब तक करीब 1467 लोगों को आक्सीजन उपलब्ध कराई गई।समय से मिली आक्सीजन, फिर भी चली गईं 86 जान अब तक जिले में इलाज कराने वाले 130 से अधिक संक्रमितों की जान जा चुकी है। इनमें से 86 ऐसे थे जिन्हें अस्पताल आते ही आक्सीजन प्रतिशत चेक किया गया और कम होने पर उपलब्ध कराई गई। लेकिन इसके बाद भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
अस्पताल आने पर संक्रमित व्यक्ति का सबसे पहले आक्सीजन प्रतिशत ही चेक किया जाता है। एसपीओ2 कम होने पर तत्काल आक्सीजन उपलब्ध कराई जाती है। अस्पताल में आक्सीजन हमेशा रहती है। इसके लिए एडवांस में भी स्टॉक रखते हैं। - आदित्य मूर्ति, कार्यकारी निदेशक, एसआरएमएस
आक्सीजन की कमी न हो इसके चलते प्लांट लगवाया गया था। संक्रमण के इन पांच महीनों हर जरूरतमंद संक्रमित को आक्सीजन उपलब्ध कराई गई। किसी को आक्सीजन की वजह से परेशान नहीं होना पड़ा। - डा. फैज शम्सी, प्रभारी रुहेलखंड मेडिकल कालेज जिले के अस्पतालों में आक्सीजन की कोई कमी नहीं है। मरीजों को दिक्कत न आए इसके चलते आक्सीजन की उपलब्धता आदि को समय समय पर चेक भी किया जाता है। डा. रंजन गौतम, जिला सर्विलांस अधिकारी