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बरेली में फर्जी खतौनियों से हुई 5000 क्विटल धान खरीद

बरेली जेएनएन गांव में धान की फसल न होने के बाद भी केंद्र प्रभारियों ने माफिया से सांठगांठ

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Mar 2021 01:44 AM (IST)Updated: Sun, 14 Mar 2021 01:44 AM (IST)
बरेली में फर्जी खतौनियों से हुई 5000 क्विटल धान खरीद
बरेली में फर्जी खतौनियों से हुई 5000 क्विटल धान खरीद

बरेली, जेएनएन : गांव में धान की फसल न होने के बाद भी केंद्र प्रभारियों ने माफिया से सांठगांठ कर पांच हजार क्विटल से अधिक धान तौल कर लक्ष्य पूरा कर लिया। इसमें एक गांव के ही 85 किसानों का धान तौला जाना दर्शाया गया। इसमें फर्जी खतौनियों का इस्तेमाल किया गया। जबकि इस गांव के किसानों ने खेतों में नाम मात्र को ही धान की फसल पैदा की थी। उन्होंने खेतों में गन्ने की फसल बोई थी। अब इस गोलमाल की परतें खुलने के बाद कई केंद्र प्रभारियों की गर्दन फंसती नजर आ रही है।

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तहसील क्षेत्र में किसानों का धान तौलने के लिए डेढ़ दर्जन धान क्रय केंद्र खोले गए थे। किसानों के धान की तौल न कर केंद्र प्रभारियों ने माफिया से गठजोड़ कर लक्ष्य को पूरा कर लिया। तहसील क्षेत्र में खोले गए यूपीएसएस के कुलुआ, फरीदापुर गांगा, मंडी परिषद लावाखेड़ा बद्रीप्रसाद और फार्मर प्रो आर्गेनाईजेशन अधकटा नजराना के धान क्रय केंद्र पर नौगवां भगवंतपुर गांव के 85 किसानों के नाम से पांच हजार क्विटल से अधिक धान की तौल कर ली गई। जबकि इस गांव के किसानों ने भूमि में खाने के लिए ही धान की फसल बोई थी। उनकी अधिकांश भूमि में गन्ने की फसल खड़ी हुई थी। यह गांव चकबंदी में चल रहा था। इसके बाद भी केंद्र प्रभारियों ने माफिया से सांठ गांठ कर फर्जी खतौनियों पर धान की खरीद कर डाली। धान तौल के रिकार्ड में किसानों का नाम तो दर्ज है, लेकिन उनके पिता और गांव का नाम दर्ज नहीं हैं। वही चकबंदी अधिकारी और चकबंदी लेखपाल की रिपोर्ट में जिन किसानों से धान खरीद किए जाने की बात कही गई है उनके नाम गांव में एक बिसवा भूमि भी दर्ज नहीं है और न ही उस नाम का कोई भी व्यक्ति गांव में ही रहता है। गांव के हरद्वारीलाल, मुरारीलाल, प्रसादीलाल, गुड्डू व झम्मनलाल का कहना है कि हमारे गांव के लोगों का धान क्रय केंद्रों पर नहीं तौला गया। जिन किसानों के नाम से धान की तौल दिखाई गई है। उन नामों का कोई भी व्यक्ति हमारे गांव में नहीं रहता है। अब गोलमाल का पर्दाफाश होने के बाद कई केंद्र प्रभारियों की गर्दन फंसती नजर आ रही है। कहीं धान खरीद से तो नहीं जुड़े हैं केशव हत्याकांड के तार

कहीं केशवराम हत्याकांड से तो धान खरीद गोलमाल के तार नहीं जुड़े हुए हैं। तहसील में कार्यरत प्राईवेट कंप्यूटर आपरेटर केशवराम धान तौल की खतौनियों का सत्यापन करता था। उसके सत्यापन के बाद ही किसानों का धान क्रय केंद्रों पर तौला जाता था। नौगवां भगवंतपुर गांव के चकबंदी में होने के कारण इस गांव के सारे अभिलेख चकबंदी विभाग के पास थे। इसके बाद भी इस गांव के 85 किसानों के नाम से पांच हजार क्विटल धान की खरीद कर ली गई। खरीद में जिन खतौनियों का इस्तेमाल किया गया। वह चकबंदी अधिकारी की रिपोर्ट में फर्जी पायी गई है। खतौनियों के सत्यापन के बाद ही क्रय केंद्रों पर धान की तौल की जाती थी। धान खरीद के दौरान ही केशवराम की चाकू से गोद कर हत्या कर दी गई थी। अब धान खरीद गोलमाल की परतें खुलने के बाद माना जा रहा है कि केशवराम की हत्या का कारण कहीं खतौनियों का सत्यापन तो नहीं हैं। माफिया ने गोलमाल का राज खुलने के डर से उसकी हत्या की हो।


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