युवा हो रहे पुरानी सूखी खांसी के शिकार
जिले में लोग तेजी से क्रॉनिक कफ यानी पुरानी सूखी खांसी के शिकार हो रहे।
जागरण संवाददाता, बरेली : जिले में लोग तेजी से क्रॉनिक कफ यानी पुरानी सूखी खांसी के शिकार हो रहे। खास बात कि क्रॉनिक कफ बुजुर्गो से ज्यादा युवाओं को अपना शिकार बना रहा। इनमें भी 20 से 35 साल के युवाओं की तादाद सबसे ज्यादा है। दैनिक जागरण और गंगाशील हॉस्पिटल की ओर से आयोजित निश्शुल्क शिविर में जांच के दौरान यह हकीकत सामने आई।
शिविर में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। उन्हें स्वास्थ्य परामर्श दिया गया। बीमारियों से बचाव के तरीके बताए गए। 109 लोगों की जांच के बाद दवाएं दी गई। सांस व दमा रोग विशेषज्ञ डॉ.ज्ञानेंद्र गुप्ता ने बताया कि इनमें करीब 27 लोग क्रॉनिक कफ के मरीज निकले। शिविर में पहुंचे लोगों को बीमारी की जांच के लिए आधे दामों पर एक्स-रे की सुविधा के साथ ही टीबी और अस्थमा के मरीजों को दवाओं में भी छूट दी गई।
प्रदूषण और धूमपान बना सूखी खांसी की वजह
सांस व दमा रोग विशेषज्ञ डॉ.ज्ञानेंद्र गुप्ता ने बताया कि खांसी के युवा मरीज बड़ी संख्या में आए। इनमें अधिकांश को चार हफ्ते से ज्यादा खांसी थी, पर यह टीबी नहीं थी। और न ही इन लोगों की खांसी में बलगम और बुखार या वजन कम होने की शिकायत थी। अधिकांश युवा सूखी खांसी से लंबे समय से परेशान थे। इसकी बड़ी वजह शहर में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण और धूमपान है। जिसकी शुरूआत गले में इन्फेक्शन, पेट की समस्या से होती है।
एसी में खतरनाक फर्नीचर और कारपेट की धूल
शाम को आयोजित सेमिनार के दौरान डॉ.ज्ञानेंद्र गुप्ता ने बताया कि पहले घर हवादार और सूरज की सीधी रोशनी से भरपूर होते थे। अब अधिकतर कमरों में एसी लग गए हैं। खासतौर पर सोफे, कारपेट पर धूल के कण जमा हो जाते हैं। धूप से पहले ये कण प्राकृतिक रूप से कम हो जाते थे। वहीं, एयर कंडीशनर में ये धूल के सूक्ष्म कण नाक के रास्ते गले और फेफड़ों में जमा हो जाते हैं।
हाथ सलीके से धोएं पर पोछें नहीं
शरीर के अंदर अस्थमा या क्रॉनिक कफ का इन्फेक्शन पैदा करने वाले कारणों में हाथ धोने में सावधानी न बरतना भी है। डॉक्टर बताते हैं कि अधिकांश लोग अभी भी खाने से पहले या बाद में हाथ धोने के नाम पर खानापूरी करते हैं। जबकि हाथ छह स्टेप में सलीके से धोना चाहिए। वहीं हाथ धोने के बाद पोछना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे कॉमन तौलिये पर मौजूद बैक्टिीरिया फिर से हाथ पर लग जाते हैं। कोशिश करनी चाहिए कि हाथ धोने के बाद खुद ब खुद सूखें और टोटी को जिस हाथ से खाना खाते हैं, उसके अलावा दूसरे हाथ से बंद करें।
अस्थमा के हैं कारण
तेजी से प्रदूषण की चपेट में आने से अस्थमा के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके अलावा घर में पालतू जानवर के ज्यादा संपर्क में रहने से, धूल-मिंट्टी के सांस के जरिये शरीर में जाने से, रसायनिक पदार्थ के चलते, खान-पीन में असावधानी, फफूंद युक्त चीज से, संक्रमण होने की स्थिति में अस्थमा होता है। इसके अलावा आनुवांशिक वजह भी अस्थमा का कारण है।
अस्थमा के लक्षण
-बलगम वाली खांसी या सूखी खांसी।
-सीने में जकड़न जैसा महसूस होना।
-अधिकतर सांस लेने में होने वाली कठिनाई।
-सांस लेते समय घरघराहट जैसी आवाज होना।
-रात या सुबह के समय सांस लेने में ंदिक्कत।
-ठंडी हवा में सांस लेने में परेशानी होना।
-लगातार एयर कंडीशनर में रहना।
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दैनिक जागरण सामाजिक सराकोरों को बखूबी से निभाता है। गंगाशील हॉस्पिटल की भी कोशिश रहती है कि लोगों की यथासंभव मदद की जा सके। इसीलिए निश्शुल्क जांच शिविर लगाया गया। आगे भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे।
-डॉ.निशांत गुप्ता, एमडी, गंगाशील हॉस्पिटल