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Terror Funding : 25 मोबाइल नंबर उगलेंगे आतंकियों का बरेली से कनेक्शन Bareilly News

परतापुर के तीनों युवकों की टेरर फंडिंग में क्या भूमिका है यह जानने के लिए उनसे जुड़े 25 फोन नंबरों को सर्विलांस पर लगाया है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 11:33 AM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 05:46 PM (IST)
Terror Funding : 25 मोबाइल नंबर उगलेंगे आतंकियों का बरेली से कनेक्शन  Bareilly News
Terror Funding : 25 मोबाइल नंबर उगलेंगे आतंकियों का बरेली से कनेक्शन Bareilly News

जेएनएन, बरेली : परतापुर के तीनों युवकों की टेरर फंडिंग में क्या भूमिका है, यह जानने के लिए उनसे जुड़े 25 फोन नंबरों को सर्विलांस पर लगाया है। सभी नंबरों की कॉल डिटेल मांगी गई है। जिसके जरिये यह पता किया जाएगा कि वे तीनों व उनके परिजन पिछले कुछ महीनों ने किन लोगों के संपर्क में थे। फिलहाल, तीनों संदिग्ध पंद्रह दिन से गायब हैं। एटीएस उनकी तलाश में जुटी हुई है।

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कमीशन के बदले करते थे काम 

शुक्रवार को लखीमपुर खीरी में चार युवकों को टेरर फंडिंग के आरोप में पकड़ा गया था। पूछताछ में उन्होंने कुबूला कि इस काम में इज्जतनगर के परतापुर चौधरी गांव निवासी सदाकत, सिराजुद्दीन और फईम भी शामिल हैं। वे उन तीनों के लिए काम करते हैं, जिसके बदले कमीशन मिलता है। उसी दिन से एटीएस व पुलिस टीमें तीनों की तलाश में जुटी हैं। घरों पर जानकारी ली तो पता चला कि एक दूसरे के पड़ोस में रहने वाले ये तीनों संदिग्ध 15 दिन पहले घर से गए और अब तक नहीं लौटे।

तीनों के नंबर कई दिन से बंद

शुक्रवार को ही एटीएस व पुलिस ने तीनों संदिग्धों, उनके परिजन व अक्सर संपर्क में रहने वाले लोगों के फोन नंबर हासिल कर लिए थे। उन 25 नंबरों को सर्विलांस पर लगा दिया गया। सदाकत, फईम व सिराजुद्दीन के फोन नंबर तो बंद हैं, मगर उनसे जुड़े लोग कहां जा रहे और किन लोगों से बात कर रहे, इस पर निगाह रखी जा रही है। जांच टीम मान रही कि वे लोग सदाकत के संपर्क में होंगे तो कई सुराग मिलेंगे। इसलिए हर कड़ी जोड़ी जा रही है।

नंबर बंद, कॉल डिटेल बताएंगी इतिहास

सदाकत, फईम व सिराजुद्दीन के फोन नंबर बंद जा रहे। ऐसे में पता किया जा रहा कि पिछले तीन महीनों से वे किन लोगों के संपर्क में थे। कॉल डिटेल आने के बाद उसका मिलान उन चार युवकों के नंबरों से भी किया जाएगा जोकि लखीमपुर खीरी में गिरफ्तार हुए थे। जांच टीम मान रही है कि कॉल डिटेल मिलाने के बाद टेरर फंडिंग से जुड़े कई साक्ष्य मिल सकते हैं।

सदाकत के इशारे पर चलते थे फईम व सिराजुद्दीन

शुरूआती जांच में यह साबित हो चुका है कि सदाकत के इशारे पर ही फईम व सिराजुद्दीन चलते थे। पड़ोस में रहने वाला फईम हर वक्त उसके साथ रहता, उसकी कार का ड्राइवर है। वहीं सिराजुद्दीन की हरकतें भी कुछ ऐसी बताई गईं कि परिवार वालों ने किनारा कर लिया। ग्रामीण यह भी बता चुके कि सदाकत दर्जनों बेरोजगारों के खाते खुलवाकर एटीएम कार्ड अपने पास रख लेता था।

छोटी-छोटी कड़ियों को जोड़कर की जा रही पड़ताल

यह इत्तेफाक तो नहीं हो सकता कि जिन तीन संदिग्धों के नाम टेरर फं डिंग में सामने आए, उन तीनों की गतिविधियां एक सी हों। वे एक ही शहर, गांव और मुहल्ले के अलावा एक-दूसरे को जानने वाले हों। ऐसी कई छोटी-छोटी कड़ियां हैं जिन्हें जोड़ा जाए तो जो परिदृश्य बनता है वह संदेह और गहरा करता है। बताया जा रहा है कि पुलिस और एटीएस भी इन्हीं छोटी-छोटी कड़ियों को जोड़कर पड़ताल में जुटी है।

तीनों का एक साथ जाना : सदाकत, सिराजुद्दीन और फईम 15 दिन पहले ही घर से गए थे। उनमें से घर में किसी को कुछ नहीं बताया। इसके चलते ही परिजन पुलिस को कुछ भी नहीं बता पा रहे।

मोबाइल नंबर बंद होना : तीनों संदिग्धों की परिजनों से भी कई दिनों से बात नहीं हुई है। उन तीनों के मोबाइल नंबर भी बंद जा रहे हैं। इसके चलते ही सर्विलांस टीम को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है।

खोज रहे बरेली से लिंक : लखीमपुर खीरी मेंटेरर फं डिंग के मामले में पकड़े गए चार लोगों में से एक समीर सलमानी उर्फ सोनू बरेली का है। चारों आरोपित भी सदाकत और फईम को प्रमुख व सिराजुद्दीन को सहयोगी बता रहे हैं।

ऐसे फैलाया था सदाकत ने अपना नेटवर्क 

 टेरर फंडिंग में संदिग्ध सदाकत का नेटवर्क जिले के कई अन्य गांवों में भी था। उसने धंधा फैलाने के लिए हर किसी का इस्तेमाल किया। करीबियों समेत कई जानने वालों के भी उसने बैंक खाते खुलवा रखे थे। यह बात उस वक्त सामने आई जब परतापुर में सदाकत को जानने वाला एक व्यक्ति गांव में मामले की हकीकत जानने पहुंचा।

सदाकत के कारोबार के चलते उसका जिले के कई अन्य गांवों में भी आना जाना हो गया था। वह कई छोटे मझोले परिवारों को जानता था। वह चप्पल के काम के अलावा अब भट्टा व अन्य व्यापार में भी शामिल था। इसके चलते सभी उससे अदब से पेश आते थे।

रिश्तेदारी में खुलवा रखें है कई लोगो के खाते 

लेकिन लोगों को इस बात का अंदेशा कम ही था कि वह किसी गलत काम में भी शामिल हो सकता है। रविवार को परतापुर पहुंचे शीशगढ़ के एक व्यक्ति ने बताया कि उसकी आसपास के कई गांवों में रिश्तेदारी थी। वह शीशगढ़ भी आता जाता रहता था। उसने यहां भी कई लोगों के बैंक खाते खुलवा रखे हैं। बताया कि बेरोजगारी के चलते लोग उसके झांसे में आसानी से आ जाते थे। लोगों को उससे उम्मीद रहती कि वह उन्हें काम धंधे पर लगवा देगा। सदाकत इसका ही फायदा उठाता था।

किसलिए खुलवाए जाते थे खाते

अगर सदाकत इस मामले में संदिग्ध नहीं है तो वह लोगों के खाते किसलिए खुलवाता था। वह क्यों सभी के एटीएम अपने पास रख लेता था। ऐसी और भी कई वजह हैं जिन पर पुलिस और एटीएस काम कर रही है। यही सारी वजह इन तीनों के संदिग्ध होने की पुष्टि कर रहीं हैं।

कुछ सालों में अर्जित की अकूत संपत्ति 

सदाकत ने कुछ ही सालों में अकूत संपत्ति अर्जित कर ली। लोगों की मानें तो वह पांच-छह सालों में ही करोड़ों का मालिक बन गया। उसके पास कई भू-खंड और गाड़ियां भी हैं।

हवाला कारोबार से भी जुड़ा था नाम

परतापुर के लोग बताते हैं कि जिन तीन लोगों के नाम सामने आए, उनमें से दो लोगों का नाम हवाला कारोबार से भी जुड़ चुका है। इसके चलते पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने का भी प्रयास कर चुकी है। लोगों ने बताया कि हवाला कारोबार में नाम आने पर भी गांव व आसपास के कई लोगों को दिल्ली पुलिस अपने साथ ले गई थी।

सर्विलांस के जरिए परतापुर के तीनों संदिग्धों, उनके परिजनों व परिचितों के नंबर की कॉल डिटेल निकलवाने की तैयारी इस मामले में हमारे स्तर से कुछ खास काम नहीं हो रहा है। एटीएस ही मामले को लीड कर रही है। सर्विलांस टीम जरूर काम कर रही है। अगर कोई जानकारी मिलेगी तो उसे एटीएस से साझा किया जाएगा।

- अभिनंदन सिंह, एसपी सिटी


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