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फरीदपुर रेंज में मिले 12 इजिप्शियन गिद्ध

प्रदेश में एक बार फिर से गिद्धों की गणना शुरू हो गई है। लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा यह गणना कराई जा रही है। शुक्रवार को जिले में भी प्रभागीय वन अधिकारी भारत लाल के आदेश पर गिद्धों की गिनती कराई गई।

By Sant ShuklaEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 06:18 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 06:18 AM (IST)
फरीदपुर रेंज में मिले 12 इजिप्शियन गिद्ध
प्रदेश में एक बार फिर से गिद्धों की गणना शुरू हो गई है।

बरेली, जेएनएन। प्रदेश में एक बार फिर से गिद्धों की गणना शुरू हो गई है। लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा यह गणना कराई जा रही है। शुक्रवार को जिले में भी प्रभागीय वन अधिकारी भारत लाल के आदेश पर गिद्धों की गिनती कराई गई। इसमें बरेली व आंवला रेंज में जहां पहले दिन संख्या शून्य रही। वहीं फरीदपुर रेंज में 12 इजिप्शियन गिद्ध (पीली चोंच वाला ) मिले हैं।

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गणना कार्य में वन क्षेत्राधिकारी मुकेश कांडपाल, वन दारोगा विक्रम चौधरी तथा वाइल्डलाइफ एंड फॉरेस्ट कंजर्वेशन ट्रस्ट आफ इंडिया के अध्यक्ष तथा शोधकर्ता डॉ. विराट सिंह तोमर शामिल रहे। वन क्षेत्राधिकारी मुकेश चंद्र कांडपाल ने बताया कि देश भर में पाए जाने वाली गिद्धों की नौ में से आठ प्रजाति के गिद्ध उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं। गिद्ध मृत पशुओं को खाकर प्राकृतिक सफाई सेवक का कार्य करता है। पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में भी इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है। फरीदपुर रेंज में पाए जाने वाले इजिप्शियन गिद्ध भारत के आवासीय गिद्ध है। शुक्रवार को  फरीदपुर, पऊनगला, पिपरथरा तथा बुधौली क्षेत्र में गिद्ध मिले। गिद्धों की गणना में शामिल डॉ. विराट ने बताया कि इनकी संख्या में गिरावट आने का मुख्य कारण डाइक्लोफेनक दवा का अनियंत्रित उपयोग है। मृत जानवरों का डाइक्लोफेनक युक्त मांस खाने से इस प्रजाति पर संकट आया है।

नौ प्रजातियों में चार है विलुप्त प्राय

वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक देश में गिद्धों की नौ प्रजातियां पाई जाती है। इनमें से चार लगभग विलुप्त प्राय हैं। इजिप्शियन वल्चर भी उन्हीं लुप्त प्राय श्रेणी के गिद्धों में शामिल हैं। एक रिकार्ड के मुताबिक 2012 में प्रदेश में गिद्धों की संख्या 2070 तो 2014 में यह 2080 थी।


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