मछली पालन से महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की पहल
मत्स्य पालन से समृद्ध होंगी समूह की महिलाएं
बाराबंकी: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) जरूरतमंद महिलाओं के लिए आशा की किरण बना हुआ है। बैग बनाना हो या खेती करना सबमें समूह की महिलाओं की सहभागिता कराई जा रही है। इसी क्रम में समूह की महिलाओं को अब मत्स्य पालन से जोड़ा गया है। महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की इस पहले के तहत इन महिलाओं को मत्स्य बीज ही नहीं तालाब का पट्टा भी दिया गया है। महिलाओं ने एकत्रित धनराशि के साथ राष्ट्रीय आजीविका मिशन से लोन भी लिया है। जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तहत सूरतगंज ब्लॉक का चयन किया गया है।
केंद्र सरकार ने ग्रामीण अंचलों की महिलाओं को उन्हीं के गांव में रोजगार मुहैया कराकर आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना की शुरुआत सर्वप्रथम सूरतगंज ब्लॉक में वर्ष 2016 में हुई। इसके बाद 1100 समूहों का गठन हुआ। अब इसमें लगभग 12 हजार महिलाएं कार्य कर रही हैं। समूह की महिलाओं को और सशक्त बनाने के लिए अब इन्हें तालाब का पट्टा देकर उसमें मत्स्य पालन कराया जा रहा है। योजना में मत्स्य विभाग भी कार्य कर रहा है।
13 समूह की महिलाएं कर रहीं पालन
सरस्वती, वैणियांमाधव, काली, भीमसेन स्वयं सहायता समूह सहित 13 समूह की 120 महिलाएं मछली पालन कर समृद्ध हो रही हैं। ये महिलाएं बचत के एक लाख रुपये जबकि एक लाख पचास हजार रुपये बैंक से ऋण लेकर कार्य कर रही हैं। इससे प्रति समूह बीस हजार रुपये तक की बचत हर माह कर सकेंगी।
तालाब का चयन
अमेरा, मोकलापुर, पारा, देवगांव ग्राम के आठ तालाबों का चयन किया गया है। इसमें से कुछ तालाबों का पट्टा आवंटन कर दिया गया है। इनमें समूह की महिलाओं ने मछली के बच्चे डाल कर मत्स्य पालन शुरू कर दिया है।
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एक सैकड़ा समूह की महिलाएं मछली पालन करेंगी। इससे बचत कर ये आर्थिक रूप से मजबूत बन सकेंगी। कुछ गांवों में इसकी शुरुआत हो चुकी है। शेष में भी इसकी तैयारियां पूर्ण कर ली गई है।
-संजीव त्रिवेदी, नोडल ब्लॉक मिशन प्रबंधक, सूरतगंज।