अल्ट्रासाउंड न एक्स-रे की सुविधा, जिला मुख्यालय ही बना आसरा
गांव की स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल। सीएचसी पर नहीं मिलते चिकित्सक। ऐसे में इलाज दुश्वार हुआ।
बाराबंकी : अस्पताल में स्टाफ है, लेकिन चिकित्सकों की मनमानी के चलते मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह चिकित्सकों की लेटलतीफी व रात्रि विश्राम यहां नहीं करने से मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। वहीं, 11 वर्षों बाद भी एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड की मशीन नहीं लग सकी हैं। जांच के लिए मरीजों को जिला मुख्यालय की दौड़ लगानी पड़ती है। नवजात शिशु का तापमान सही रखने के लिए मशीन खराब पड़ी है, जिसे सही नहीं कराया जा रहा है। रविवार को जागरण टीम ने बंकी ब्लाक की सीएचसी जाटा बरौली की पड़ताल की तो ऐसी ही तस्वीर सामने आई। प्रस्तुत है रिपोर्ट.।
सीएचसी जाटा बरौली में तीन महिला और चार पुरुष कुल सात चिकित्सकों की तैनाती है। एमडी डा. प्रियांक विनोद की 10 माह से न्यायालय में ड्यूटी लगी है। यहां डॉक्टरों के चार आवास बने, लेकिन अधीक्षक को छोड़कर अन्य चिकित्सक शाम को लखनऊ चले जाते हैं।
सीएचसी जाटा बरौली के अधीक्षक डा. कुलदीप मौर्य ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रेंदुआ पलरी सीएचसी के तहत संचालित है। यहां पर दो चिकित्सक एक फार्मासिस्ट सहित आठ लोगों की तैनाती है। अस्पताल में पर्याप्त दवाइयां हैं। इस समय ओपीडी बंद है। इमरजेंसी सेवाएं चालू हैं। एक्सरे और अल्ट्रासाउंड की मशीनें नहीं हैं। डॉक्टर और कर्मचारी अस्पताल में ड्यूटी करते हैं। लापरवाही करने वालों की सूचना उच्चाधिकारियों को दी जाती है।
एक वर्ष से खराब पड़ी है एंबुलेंस : एक वर्ष से 108 एंबुलेंस सीएचसी परिसर में चिकित्सकों के आवास के सामने झाड़ झंखाड़ में खराब खड़ी है। इसकी जगह दूसरी एंबुलेंस अस्पताल को तो मिल गई, खराब एंबुलेंस को नहीं हटाया गया है। 108 और 102 की एक-एक एंबुलेंस चालू हालत में है।
जांच टीम को मिला वाहन खराब : जांच टीम को मिली गाड़ी खराब खड़ी है। कोरोना पाजिटिव मरीज की जांच करने जाने के लिए टीम को एक कार मिली थी। सीएचसी के मुख्य द्वार पर यह कार चार दिनों से खराब खड़ी है। इससे जांच का कार्य बंद है।
अव्यवस्थाएं हावी :
सीएचसी के पीछे और अगल-बगल दीवारों का प्लास्टर गिर रहा है। एक इंडिया मार्क हैंडपंप कुछ दिनों से खराब है। वर्तमान में ओपीडी बंद है इमरजेंसी सेवाएं चल रही हैं।
बोले मरीज व तीमारदार :
बरौली गांव के रामदेव और प्रदीप कुमार का कहना है कि इस अस्पताल में समय से समुचित इलाज दूर की बात है। एक-दो को छोड़कर सभी डॉक्टर कब लखनऊ चले जाते हैं ।
फैक्ट फाइल :
आबादी : दो लाख 80 हजार 370
चिकित्सक कुल : सात
संविदा चिकित्सक : छह
एएनएम : 45
फार्मासिस्ट : तीन
वार्ड ब्वाय : तीन
आशा कार्यकर्ता : 217
वार्ड आया : एक