कथावाचक ने खोल ली इलेक्ट्रॉनिक की दुकान, बेच रहे बाटी-चोखा
सामूहिक रूप से धार्मिक आयोजनों पर रोक के बाद कथावाचकों ने विकल्प तलाश लिया।
बाराबंकी : हौसला और संकल्प हो तो आपदा काल भी अवसर बन जाता है। बदला गांव के कथावाचक परमहंस और बजगहनी के पवन मिश्र ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। कोरोना संक्रमण के ²ष्टिगत कथा और सामूहिक धार्मिक आयोजनों पर विराम लगा तो परमहंस और पवन मिश्र के सामने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना एक बड़ी चुनौती बन गई। हालात सामान्य होने की उम्मीद में कुछ दिन तो इंतजार किया, पर संक्रमण पर विराम न लगते देख इन्होंने विकल्प तलाशना शुरू कर दिया। बदलागांव के परमहंस ने जहां बाटी-चोखा बनाने को अपनी आजीविका चलाने का माध्यम बनाया वहीं बजगहनी के पवन मिश्र ने इलेक्ट्रॉनिक की दुकान खोल ली। इससे अब इनके आजीविका की गाड़ी फिर चल पड़ी है। हालांकि, हालात सामान्य होने पर दोनों की इच्छा कथावाचन करने की है। वह बताते हैं कि कोरोना संक्रमण ने एक मजबूत विकल्प तैयार करवा दिया है, जोकि मुश्किल दौर में काम आएगा।
तार से जोड़ रहे तार : बजगहनी निवासी कथावाचक पवन कुमार मिश्र बताते हैं कि जिदगी में जुड़ाव की खास भूमिका है। यह जुड़ाव परमात्मा से, सगे संबंधियों से या फिर बिजली के तारों का आपस में हो सकता है। इन्हीं विचारों से प्रेरित होकर इलेक्ट्रॉनिक की दुकान खोलने का निर्णय लिया। इससे परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम तो होता ही है, मन को भी शांति मिलती है। तार जोड़कर लोगों के घरों को रोशन करने और उनकी जिदगी की अस्थिरताओं को कम करने का माध्यम बन पाता हूं। वह बताते हैं कि करीब पंद्रह दिन पहले यह दुकान खोली थी। आजीविका चलाने में मदद मिल जा रही है। हालात सामान्य होने पर पुन: कथावाचन करूंगा।
बाटी-जोखा को बनाया आजीविका का जरिया : दो वक्त की रोटी जुटाना जरूरी है, पर उसके लिए माध्यम चुनने में सतर्कता जरूरी होती है। कोरोना संक्रमण में कथावाचन का कार्य ठप हुआ तो बदला गांव के परमहंस मिश्र ने गांव के ही एक युवक के साथ मिलकर बेलहरा चौराहे पर बाटी-चोखा बनाने का काम शुरू कर दिया। वह बताते हैं कि बाटी-चोखा तैलीय न होने के साथ ही उनमें मिलाई जाने वाली सामग्री स्वास्थ्य की ²ष्टि से उपयोगी होती है। इसलिए इस कार्य को चुना। वह बताते हैं कि इसके जरिये जब दूसरों को तृप्ति मिलते देखता हूं तो संतुष्टि होती है। वह बताते हैं कि इससे परिवार का आसानी से भरण पोषण हो जाता है।