लखनऊ के आरपी सिंह को घोषित किया गया भू-माफिया
170 करोड़ की जमीनों में हेराफेरी उजागर, दर्ज किए गए 73 राजस्व वाद। अनुसूचित जाति की जमीनों को बिना अनुमति खरीदवाने का है आरोप।
बाराबंकी, जेएनएन। लखनऊ के सीमावर्ती गांवों की जमीनों पर अवैध प्लाटिंग, सरकारी जमीनों पर कब्जा, अनुसूचित जाति की जमीनें अपने सहयोगियों के नाम खरीदने के आरोपित लखनऊ निवासी आरपी सिंह को भू-माफिया घोषित किया गया है। एसडीएम नवाबगंज अजय कुमार द्विवेदी (आइएएस) ने बताया कि 170 करोड़ की जमीनों में हेराफेरी उजागर हुई है।
आरोपित की कंपनी आरपी ग्रीन के खिलाफ राजस्व अधिनियम की विभिन्न धाराओं में 73 राजस्व वाद दर्ज किए गए हैं। गैंगेस्टर की कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है। आरपी सिंह चार साल पहले बसपा नेता के रूप में जिले में सक्रिय हुआ था। कुर्सी विधान सभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर विधान सभा चुनाव 2017 लडऩे की तैयारी थी लेकिन टिकट कट गया था। एसडीएम ने बताया कि तीन महीने चली जांच में आउटर रिंग रोड (किसान पथ) के किनारे 12 हेक्टेयर जमीनों की हेराफेरी की बात सामने आई है। जिसकी कीमत करीब 170 करोड़ रुपये है।
उनका कहना है कि डीएम उदयभानु त्रिपाठी के निर्देशन में शुरू हुई जांच में एक के बाद एक फर्जीवाड़ा खुलता गया। किसान पथ के अलावा देवा-चिनहट रोड, लखनऊ-कुर्सी रोड व लखनऊ-अयोध्या रोड के किनारे भी इसकी प्लाटिंग है। कंपनी ने ग्राम टिकरिया, नइमऊ, बबुरीगांव, जबरीकला में अनुसूचित जाति के लोगों की जमीनों के 29 बैनामे बिना डीएम की अनुमति के करवाए। इसमें लखनऊ निवासी दीपक नामक व्यक्ति का नाम प्रमुख है।
कंपनी ने जबरीकला में 60 प्लाट बेचे। इसके सापेक्ष जमीन ही नहीं थी। टिकरिया गांव में वन विभाग की जमीनों में हेराफेरी कर 29 लोगों का नाम पट्टेदार के रूप में दर्ज किया गया। इसमें चार लोगों को संक्रमणीय भूमिधर भी घोषित कर दिया गया। एसडीएम का कहना है कि जमीनों के फर्जीवाड़े में राजस्व कर्मियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।