अटूट प्रेम में दीवार बनी भारत-नेपाल सीमा, दोनों तरफ मायूस लौटी बहनें
- सीमा की नहीं टूटी बंदिशें हाथ में रक्षासूत्र व मिठाई का डिब्बा लिए सुबकती लौटी बहना
प्रदीप तिवारी, बहराइच : कभी ऐसा नहीं सोचा था कि भाई-बहन के अटूट प्रेम में भारत -नेपाल की सीमा दीवार बन जाएगी। सोमवार को सीमा के दोनों ओर हाथों में रक्षासूत्र और मिठाई लिए बहन खड़ी रही, लेकिन सीमा की बंदिशों के बीच भाई-बहन नजरें इनायत कर लौटने को विवश हो गए।
बताते चलें कि चार माह से भारत-नेपाल सीमा पर आवागमन ठप है। चीन के साथ नेपाल की मित्रता व भारत विरोधी गतिविधियों के बीच दोनों देशों में तनातनी चल रही है। इसका खामियाजा दोनों देशों के बीच व्यापार के साथ ही रोटी-बेटी के रिश्तों में भी दरार पड़ने लगी है। भाई-बहन के अटूट प्रेम के रक्षा सूत्र जैसे पर्व पर सीमा बंधन बन गई। सीमा के दोनों ओर भाई-बहन परंपरा के निर्वहन के लिए सुबह से ही मिलने की लालसा लिए खड़े रहे। घंटों इंतजार के बाद भी सीमा का बंधन तोड़ने में नाकाम रहे। रुपईडीहा की सावित्री देवी बिलखते हुए घर वापस लौट आई। नवाबगंज की राधा, महसी की रानी समेत दर्जनों महिलाएं रही जो निराश होकर घर लौट आई। महिलाओं ने बताया कि सीमा के उस ओर भाई खड़ा रहा, लेकिन इस ओर वे बिना रक्षासूत्र बांधे लौट आईं। ------------------ भारत की पहल पर नेपाल हुआ राजी रुपईडीहा बॉर्डर पर सुबह से ही महिलाओं की भीड़ लगी रही। हर हाथ में रक्षा सूत्र मिठाई का डिब्बा रहा। काफी जद्दोजहद के बाद दो बजे भारत की पहल पर नेपाल के अधिकारी राजी हुए। तब तक बहुत सारे लोग वापस लौट गए। जो इंतजार में बैठी रहीं वही बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध सकी। ----------- नेपाल से वार्ता के बाद बॉर्डर पर पहुंचीं बहनें व भाइयों को रक्षा सूत्र बांधने के लिए सीमा आने-जाने की इजाजत मिली। राम आसरे वर्मा, एसडीएम नानपारा