घाटा दे रही पान की खेती बनी फायदेमंद
-प्रयोगधर्मी किसान- - रंग लाया पान की खेती में नया प्रयोग -40 साल से कर रहे थे परंपरागत पान
-प्रयोगधर्मी किसान-
- रंग लाया पान की खेती में नया प्रयोग
-40 साल से कर रहे थे परंपरागत पान की खेती
-मेवा लाल ने पान के साथ परवल, कुंदरू और अदरक की खेती करके दिखाया अफीम के बाद से मेंथा और उन्नत केला के बाद पान की खेती फायदे वाली बनने लगी है। प्रयोगधर्मिता से जिले में 400 काश्तकार पान की खेती से गरीबी को पीछे छोड़ रहे हैं। त्रिवेदीगंज, हैदरगढ़, हरख, सिद्धौर, ब्लॉक में पान की खेती की हरियाली देखते बनती है। पान की खेती में घाटा होते देख किसान मेवालाल की विधा अब किसानों को खूब भा रही हैं। 'दैनिक जागरण' टीम ने रविवार को प्रयोगधर्मी किसान की पान की खेती देखी। बाराबंकी : ब्लॉक त्रिवेदीगंज में भिलवल के किसान मेवालाल के यहां 40 वर्षों से पान की परंपरागत खेती हो रही थी। कम आय से परेशान मेवालाल की प्रयोगधर्मिता से पान संग कुंदरू, परवल और अदरक की पैदावार ने उनकी आमदनी बढ़ा दी। अब प्रति वर्ष पान से दो लाख और अदरक, परवल, कुंदरू से दो लाख का मुनाफा पाने लगे। यानी पान की लागत में तीन फसल की आय मुफ्त में मिल रही।
पहुंचा डेढ़ गुना मुनाफा : मेवालाल बताते हैं कि पान की खेती आठ माह की होती है। 500 वर्ग मीटर में करीब एक लाख की लागत आती है। जिसमें दो लाख से ढाई लाख का शुद्ध मुनाफा होता है। निर्धारित क्षेत्रफल में बरेजा के लिए बांस की जरूरत पड़ती है। बरेजा जनवरी में और पौधों का रोपण फरवरी में होता है। एक माह पहले ही नर्सरी करते हैं।
कलकतिया पान की धूम : बनरसी पान के बाद कलकतिया पान सबसे अच्छी प्रजाति मानी जा रही है। जिले में कुछ काश्तकार हैं जो कलकतिया पान की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे है। पान में तीन प्रकार के विटामिन पाए जाते है। जिसमें विटामिन ए, बी और सी प्रचुर मात्रा में होते हैं।
प्रस्तुति : बृजेंद्र वर्मा, त्रिवेदीगंज।