..अब जाकर आई अफसरों को गो संरक्षण की याद
गो संरक्षण केंद्र कंधईपुर के शुभारंभ के दौरान जनप्रतिनिधियों और अफसरों ने पशु प्रेम इतना दिखाया कि मानो पशुओं का वास्तव में संरक्षण होगा। उनके जाने के बाद बेसहारा पशुओं का चारा -पानी बंद हो गया।
बाराबंकी : गो संरक्षण केंद्र कंधईपुर के शुभारंभ के दौरान जनप्रतिनिधियों और अफसरों ने पशु प्रेम इतना दिखाया कि मानो पशुओं का वास्तव में संरक्षण होगा। उनके जाने के बाद बेसहारा पशुओं का चारा -पानी बंद हो गया। यह तब हो रहा था, जब तहसील में आइएएस एसडीएम तैनात हैं और बीडीओ भी सक्रिय रहते है। इनकी निगरानी में पशुओं को भूखा मारा जा रहा था। इसको लेकर दैनिक जागरण ने शनिवार के अंक में खबर प्रकाशित की तो आनन-फानन गो आश्रय का निरीक्षण ही नहीं किया बल्कि चारा-पानी की व्यवस्था भी की। बनीकोडर के कंधईपुर में एक करोड़ 20 लाख की लागत से गो संरक्षण केंद्र पांच हेक्टेयर में बनाया गया था। यहां उनके लिए चारे-पानी का कोई प्रबंध नहीं था। गोआश्रय में बेसहारा पशु भूख से मरने की कगार पर पहुंच गए थे। गोआश्रय रखवाली करने वाले आशीष कुमार ने बताया था कि यहां पशुओं के देखभाल करने वाला कोई नियुक्त नहीं है। कभी-कभी कोई पुआल भिजवा देता है, उससे एक- दो दिन का काम चल जाता है। पशु के मर जाने पर कोई उन्हें उठाने नहीं आता। इसको लेकर दैनिक जागरण ने शनिवार के अंक में 'चारा-पानी के अभाव में मर रहे मवेशी, दावे हवा-हवाई ' शीर्षक से खबर प्रमुखता से प्रकाशित की। खबर प्रकाशन के साथ ही एक ट्रक भूसा पशुओं के मंगवाया गया। पानी की भी व्यवस्था की। साथ ही चिकित्सक की टीम पहुंचकर बीमार पशुओं का इलाज किया। मौके पर बीडीओ आदित्य तिवारी और उपमुख्य पशुचिकित्साधिकारी अरविद मौके पर पहुंचे पशुओं का हाल देखा। ग्राम पंचायत सचिव पवन कुमार गौतम ने बताया की डिमांड भेजी गई थी, लेकिन अभी तक पैसा खाते में नहीं आया है। भूसा उधार लिया गया है।