बंद है सामान्य ओपीडी, इमरजेंसी भी बदहाल
जिला चिकित्सालय में दूर से ही हाल पूछकर दवा लिखते हैं। स्टेथोस्कोप लगाकर डॉक्टर नहीं देखते है।
बाराबंकी : कोरोना संक्रमण काल में तमाम बदलाव देखने को मिल रहे हैं। उन्हीं में से एक है चिकित्सकों के गले में पड़ा रहने वाला आला यानी स्टेथोस्कोप, जिसे मरीज की पीठ व पेट पर लगाकर डॉक्टर मरीज का हाल जानते थे। लेकिन, कोरोना संक्रमण काल में सामान्य ओपीडी तो बंद ही चल रही है इमरजेंसी में भी मरीजों को आला लगाकर नहीं देखा जाता।
जिला चिकित्सालय की इमरजेंसी में बुधवार की दोपहर 12 बजे मरीज खिड़की से ही डॉक्टर को अपना हाल बताते दिखे। पेट दर्द से परेशान महिला ने कहा कि पहले डॉक्टर आला लगाकर देखते थे तो उन्हें बीमारी का सही अंदाजा लग जाता था। अब चाहे कोई पेट दर्द बताए चाहे पीठ दर्द। दर्द का इंजेक्शन लगाने का आदेश डॉक्टर फार्मासिस्ट को दे देते हैं। दूसरी महिला ने बताया कि शरीर में दर्द व हरारत लग रही है। दो पैरासीटामॉल की गोली दूर से ही दे दी।
कुछ ऐसे ही हाल मंगलवार की रात 11 बजे भी इमरजेंसी में देखने को मिले थे। फतेहपुर कटघरा निवासी कालिया की नाक उसके पड़ोसी मुलायम ने दांतों से चबा ली थी। उसे भी डॉक्टर ने दूर से ही देखा। टांका-पट्टी वार्डब्वॉय ने की।
जिला चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. राजेश कुशवाहा का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते आला लगाकर देखने में एहतियात बरती जाती है। लेकिन, डॉक्टर ऑपरेशन भी कर रहे हैं।
फीवर क्लीनिक में जाने से डरते हैं मरीज : जिला चिकित्सालय की सामान्य ओपीडी बंद है, पर बुखार के मरीजों को देखने के लिए फीवर क्लीनिक खुला है। जहां पर सामान्य बुखार वाले मरीजों को भी देखकर दवाएं दी जाती हैं। लेकिन, यहां कोरोना की जांच भी संदिग्ध रोगियों की होती है। चिकित्सक ज्यादा बुखार व खांसी वाले व्यक्ति की कोरोना जांच करते हैं। ऐसे में लोग फीवर क्लीनिक में जाने से डरते हैं। दोपहर सवा 12 बजे तक फीवर क्लीनिक में मात्र 14 लोग ही दिखाने पहुंचे।