सरकारी नौकरी छोड़कर बन गए 'चरन सिंह कुल्हड़ वाला'
दीपक मिश्रा बाराबंकी सेल्स टैक्स विभाग के कर्मचारी को पॉलीथिन का प्रदूषण इतना अखरा कि नौकरी छोड़ दी।
दीपक मिश्रा, बाराबंकी सेल्स टैक्स विभाग के कर्मचारी को पॉलीथिन का प्रदूषण इतना अखरा कि उन्होंने वर्ष 2014 में नौकरी से ही त्यागपत्र दे दिया। पॉलीथिन हटाओ अभियान को धार देने के लिए बंकी नगर पंचायत के बाहर मोहम्मदपुर नहरिया के पास मिट्टी के बर्तन बनाने की यूनिट स्थापित कर दी। अब वह चाय के कप, गिलास, कटोरी, प्लेट, गमले आदि बनाकर उनकी लखनऊ, कानपुर, बनारस, अयोध्या, सीतापुर, उन्नाव और हरदोई में आपूर्ति कर रहे हैं। इससे करीब बीस परिवारों को रोजगार भी दे रहे हैं। इस पहल के बाद उन्हें लोग चरन सिंह कुल्लड़ वाले के नाम से जानने लगे हैं।
35 हजार कमाते थे, दे रहे बीस परिवारों को रोजगार : विकास भवन रोड निवासी चरन सिंह सेल्स टैक्स विभाग में पत्रवाहक थे। करीब 35 हजार रुपये प्रतिमाह कमाते थे। वह बताते हैं कि यूनिट स्थापित करने के बाद व्यक्तिगत आमदनी तो घटी है, पर बीस परिवारों की आजीविका संचालन में मददगार बनने की खुशी है। वह बताते हैं कि यूनिट में प्रतिदिन 15 से 20 हजार मिट्टी के बर्तन बनाए जाते हैं। इससे माह में कई लाख का कारोबार हो जाता है। बताया, उनका मकसद पॉलीथिन के खिलाफ लड़ाई है। मिट्टी के बर्तन से गरीबों को रोजगार तो मिलने के साथ ही ही खाने और पीने में लोगों को प्राकृतिक स्वाद भी मिलता है।
फिल्टर कर बनाए जाते हैं मिट्टी के बर्तन : मिट्टी तैयार करने के लिए आधुनिक मशीन लगाई है। इसमें मिट्टी डालने के बाद वह फिल्टर होकर क्रीम जैसी मिट्टी बन जाती है। इलेक्ट्रानिक चाक से बर्तन बनाकर सांचे पर रखा जाता है। जब सूख जाते हैं तो उन्हें भट्ठी में पकाया जाता है।
यूं आया विचार :
चरन सिंह बताते हैं कि सर्वेक्षण के दौरान अफसरों के साथ जाता था। पॉलीथिन का कचरा खाते मवेशी, प्लास्टिक के बर्तनों में गर्म चाय और अन्य रूप में पॉलीथिन का उपयोग और इससे होने वाला प्रदूषण अखरता था। इसी के चलते यह पहल की।