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राजस्व अभिलेखों में गुम हो गई कल्याणी'

खेती के विकास में अहम भूमिका निभाने वाली कल्याण नदी राजस्व अभिलेखों में कई जगह नाला व नहर के रूप में भी दर्ज है। नहीं की सफाई में यह स्थिति बाधा बन सकता है क्योंकि परिजना नदी की सफाई की मंजूर हुई है। सफाई से पहले इस स्थिति को स्पष्ट कर अधिकारियों को ऐसा रास्ता निकालना होगा ताकि सफाई में कोई रुकावट न पड़े।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 01:03 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 06:07 AM (IST)
राजस्व अभिलेखों में गुम हो गई कल्याणी'
राजस्व अभिलेखों में गुम हो गई कल्याणी'

बाराबंकी : कल्याणी नदी की सफाई के लिए परियोजना को मंजूरी मिलने से जहां तटवर्ती गांवों में खुशी का माहौल है वहीं इसकी सफाई में कई चुनौतियां भी हैं। इसकी वजह कोई और नहीं राजस्व विभाग के अभिलेख ही हैं, जिसके अभिलेखों कल्याणी नदी का जिक्र ही नहीं है। निदूरा क्षेत्र के कई गांवों में नदी को नहर और नाला के रूप में दर्ज किया गया है। अब जब परियोजना को मंजूरी मिल गई है ऐसे में राजस्व अभिलेखों में नदी को तलाशना एक बड़ी चुनौती होगी।

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वर्ष 2011 में जब जागरण की ओर से मुहिम की शुरुआत की गई थी तो राजस्व विभाग ने अभिलेखों में खुज्झी और धरौली गांव में नदी अस्तित्व ही नकार दिया था। तत्कालीन हल्का लेखपाल एमपी सोनी ने धरौली गांव के गाटा संख्या 276, 284, 287, 289, 297, 298, 305, 306, 307, 319, 323, 324, 331 पर नाला और खुज्झी में गाटा संख्या 2953, 87, 340, 822, 869, 872, 877, 882, 887, 977 व 978 नहर दर्ज होना बताया था। नदी की यह स्थिति देखकर तत्कालीन एसडीएम फतेहपुर व राजस्व कर्मी भी आश्चर्य में पड़ गए थे। तब कहा गया था कि राजस्व अभिलेखों में गलत इंद्राज को सही किया जाएगा। तत्कालीन उप जिलाधिकारी फतेहपुर विजय शंकर चौधरी ने पुराने अभिलेख निकलवाकर पैमाइश करवाने की बात कही थी, लेकिन कल्याणी टास्क फोर्स के निष्क्रिय होने के साथ ही सब कुछ जैसा का तैसा छूट गया।

कल्याणी नदी के धन्नाग तीर्थ के पास से ही जिले की सीमा में प्रवेश करती है। धन्नाग सरोवर से ही इसका उद्गम स्थल भी माना जाता है। सरोवर सीतापुर जिले में व मंदिर बाराबंकी जिले के निदूरा ब्लॉक में आता है। वर्ष 2011 में जब 'दैनिक जागरण' में कल्याणी नदी की दुर्दशा को लेकर खबरों का प्रकाशन शुरू हुआ तब पड़ताल में नदी को नाला व नहर के रूप में दर्ज होने की बात सामने आई थी। तत्कालीन डीएम विकास गोठलवाल ने भी मामले का संज्ञान लिया था। उन्होंने ही मनरेगा से नदी की सफाई कराने के लिए गांवों से प्रस्ताव मंगवाने का निर्देश दिया था। प्रस्ताव तैयार करने के दौरान यह समस्या आई थी।

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नदी को नाला व नहर के रूप में कैसे व कब दर्ज किया गया यह स्थिति अभिलेखों के परीक्षण के बाद ही स्पष्ट होगी। सर्वे के लिए अभी कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।

-पंकज सिंह, एसडीएम।


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