चुनावी चौपाल: अस्पतालों की अव्यवस्थाओं पर सियासी दलों को घेरा
दैनिक जागरण ने जहांगीराबाद में आयोजित की चुनाव चौपाल। सौ शैय्या अस्पताल में स्टाफ की तैनाती न होने चिकित्सा संसाधनों के अभाव लेकर दिखा असंतोष।
बाराबंकी, जेएनएन। अस्पतालों में दवाओं की कमी, जांच उपकरणों व वैक्सीन के अभाव, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती नहीं होने जैसी अव्यवस्थाओं पर प्रबुद्धजनों में खासा असंतोष देखने को मिला। दैनिक जागरण की जहांगीराबाद स्थित इरफान रसूल जनता इंटर कॉलेज में सियासत ने अपने हाल पर छोड़े अस्पताल मुद्दे को लेकर आयोजित चुनाव चौपाल में वक्ताओं ने सियासी दलों को जमकर घेरा। इतना ही इस चौपाल में उठाए गए बिंदुओं का मांगपत्र बनाकर प्रत्याशियों को देने और उनसे समस्याओं के समाधान या किए गए प्रयास के लिए अल्टीमेटम भी दिया। कुछ वक्ताओं ने तो अस्पतालों के भ्रष्टाचार और चिकित्सकों की मनमानी की बात भी पुरजोर तरीके से उठाई।
बड़े कद के नेताओं ने भी की अनदेखी
गांधीवादी चिंतक व समाजसेवी राजनाथ शर्मा ने सिरौलीगौसपुर के सौ शैय्या अस्पताल के अब तक न शुरू होने का ठीकरा जिले के एक बड़े कद के नेता पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि जिला महिला अस्पताल का सौ शैय्या अस्पताल हो या सिरौलीगौसपुर का। यह अस्पताल राजनीति की भेंट चढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि किसी प्रत्याशी के समर्थन या स्वयं के लिए वोट मांगने आने वालों से इन अस्पतालों के लिए किए गए प्रयासों के बावत जनता पूछे और सभा स्थलों पर बड़े नेताओं की मौजूदगी में इन्हें नंगा करे। कहा, आमजन का यह बड़ा मुद़्दा है पर किसी सियासी दल ने इसे अपने एजेंडे में नहीं शामिल किया। उन्होंने कांग्रेस के देशद्रोह कानून को खत्म करने को घोषणापत्र में शामिल करने को देशद्रोह बताते हुए कार्रवाई की मांग उठाई।
चौपाल की वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें: https://youtu.be/j3xxZbt2eVM
प्रभावशाली चिकित्सक नहीं आते अस्पताल
साहित्यकार अनिल श्रीवास्तव लल्लू ने कहा कि अस्पतालों में संसाधन और स्टाफ की कमी मरीजों को मौत के मुहाने तक ले गई है। आज जो चिकित्सक भर्ती हुए हैं, वे प्रभावशाली हैं। अस्पताल नहीं जाते और उन पर कार्रवाई भी नहीं होती। इनकी मनमानी पर प्रशासन तो दूर सरकार भी अंकुश नहीं लगा सकी। यह भी किसी राजनीतिक दल के घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बन सका। एक कॉलेज के प्रधानाचार्य नागेश्वरनाथ तिवारी ने कहा कि मुद्दा कोई भी हो लेकिन जब हम लोग गंभीर समस्याओं पर जोर डालते हैं तो उन पर काम होता है। लोकल स्तर पर राजनीति से जुड़े लोगों की समस्याओं का उठाना चाहिए। युवाओं के मोटीवेटर अक्षत शुक्ल ने सीएचसी और पीएचसी पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती न होने पर नाराजगी जताई। कहा, एक सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक शुरू की थी, जिसमें लोगों का इलाज और उनका स्वास्थ्य परीक्षण हुआ था। राजनेताओं को गंभीरता से लेते हुए अपने मुद्दे में शामिल करना चाहिए था।
केंद्रों पर नहीं रुकते डॉक्टर
शिक्षक संजय यादव ने कहा कि चिकित्सक आज भी मरीजों को बाहर से दवा लिखते हैं। अस्पताल में संसाधन की कमी है, रात में चिकित्सक रुकते नहीं हैं, समाज के इस बड़े मुद्दे को ही पार्टियों ने दरकिनार किया है। रिटायर्ड कर्मचारी राम शंकर वर्मा ने कहा कि जनता में जागरूकता की कमी है, यही कारण है कि हम अपनी बात उम्मीदवारों से प्रभावी तरीके से नहीं कह पाते हैं। जहांगीराबाद में बना अस्पताल आज संसाधन के अभाव में बेकार पड़ा है। नेतागण यदि इस मुद्दे को अपने घोषणापत्र में शामिल करते तो बेहतर होता। व्यापारी कौशल यादव ने अस्पताल की अव्यवस्थाओं की किसी को फिक्र नहीं है। ज्यादातर सीएचसी स्तर पर प्रसव की व्यवस्था नहीं है। जिला अस्पताल में संशाधनों की कमी के चलते जमीन और स्ट्रेचर पर मरीजों को इलाज करवाना पड़ता है।
आवाज उठाने वालों को मिलती है जेल
समाजसेवी दारा सिंह ने कहा कि चिकित्सक बेलगाम हो गए हैं। उनके खिलाफ यदि ग्रामीण आवाज उठाते हैं तो अस्पताल स्टाफ अराजकता और अभद्रता करने का आरोप लगाकर उन्हें जेल भिजवा देता है। इस डर से मरीज अस्पताल में सुविधाएं न मिलने पर भी कुछ नहीं बोलते। समाजसेवी धनंजय शर्मा ने २२ लाख रोजगार के वादे को छलावा बताते हुए कहा कि राजनीतिक दल बेरोजगारी दूर करने को लेकर गंभीर नहीं हैं। इसके लिए विस्तृत प्लान लाना चाहिए न सिर्फ वोट के वादे तक सीमित रहें। रिटायर्ड शिक्षक श्याम लाल देशद्रोह कानून को खत्म कराने वालों पर ही कार्रवाई की मांग करते दिखे।