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इजराइल की हाईटेक विधि से तैयार कराई जाएंगी सब्जियों की नर्सरी

बाराबंकी सीतापुर सहित आठ जिलों में में स्थापित होगा मिनी सेंटर आफ एक्सीलेंस

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 11:16 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 11:16 PM (IST)
इजराइल की हाईटेक विधि से तैयार कराई जाएंगी सब्जियों की नर्सरी
इजराइल की हाईटेक विधि से तैयार कराई जाएंगी सब्जियों की नर्सरी

दीपक मिश्रा, बाराबंकी :

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इजराइल की हाईटेक तकनीक से अब सोनभद्र, आगरा, झांसी, महोबा, मुरादाबाद, संतकबीरनगर, सीतापुर और बाराबंकी जिलों में सब्जियां उगाई जाएंगी। इसकी नर्सरी तैयार करने के लिए इन जिलों में मिनी सेंटर आफ एक्सीलेंस स्थापित किए जाएंगे। बाराबंकी के राजकीय औद्यानिक प्रक्षेत्र बेलहरा में एक हेक्टेयर में मिनी सेंटर आफ एक्सीलेंस की स्थापना होगी। उद्यान विभाग इसका प्रोजेक्ट बनाने में जुट गया है। इस विधि से अब गैर सीजन में भी किसानों को औद्यानिक फसलों की नर्सरी (पौधे) मिल सकेगी। प्रत्येक मिनी सेंटर में दो से पांच लाख तक पौधे तैयार होंगे, जोकि आम प्रजाति से अलग होंगे। यह पौधे रोगमुक्त होंगे, जिन्हें रोपने पर सब्जियों का उत्पादन भी दोगुना होगा। एक करोड़ चार लाख की लागत से बनेगा सेंटर : राष्ट्रीय एकीकृत बागवानी योजना के तहत रोग मुक्त सब्जी पौध उत्पादन में इजरायल अव्वल है। उसकी तकनीकी से यूपी में भी पौधे उगाए जाएंगे। एक करोड़ चार लाख रुपये की लागत से परियोजना तैयार होगी। प्रति सीजन दो से पांच लाख पौधे तैयार होंगे। बीज नहीं होगा नष्ट : जिला उद्यान अधिकारी महेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि किसानों को अक्सर यह समस्या आती है कि मिर्च की पौध तैयार करते समय बारिश के कारण नष्ट हो जाती है। इसके कारण किसानों का बहुत नुकसान होता है। सेंटर फार एक्सीलेंस में तैयार करने पर इस तरह की समस्या नहीं होगी। गैर सीजन की नर्सरी तैयार कर किसान अच्छा लाभ कमा सकेंगे। इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। इनकी तैयार कराई जाएगी नर्सरी : टमाटर, बैगन, मिर्च, शिमला, ब्रोकली, चाइनीज कैबेज, लतावर्गीय सब्जी, खरबूज, तरबूज, गोभी, पात गोभी आदि सब्जियों की नर्सरी तैयार होंगी। इसके लिए पाली और ग्रीन हाउस बनाए जाएंगे। नर्सरी तैयार करने की इजराइल की तकनीक : इजराइल में ज्यादातर सब्जियां बेमौसम उगाई जाती हैं। इसके लिए पाली और ग्रीन हाउस में नर्सरी तैयार होती है। प्रयोगशाला में बीज का शोधन कर रोगमुक्त बनाया जाता है, उसके बाद नर्सरी तैयार की जाती है। नर्सरी पर सर्दी, गर्मी और बरसात का असर नहीं होता है। इसलिए वहां की खेती भारत से अधिक अच्छी है।


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