जिदगी पर पड़ी भारी, लापरवाही और क्षमता से अधिक सवारी
सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान पढ़ाए जाने वाले यातायात नियमों के पाठ और सरकारी जागरूकता अभियानों की जमीनी हकीकत से रामसनेहीघाट में मंगलवार की रात हुए हादसे ने रूबरू करा दिया।
जगदीप शुक्ल, बाराबंकी :
सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान पढ़ाए जाने वाले यातायात नियमों के पाठ और सरकारी जागरूकता अभियानों की जमीनी हकीकत से रामसनेहीघाट में मंगलवार की रात हुए हादसे ने रूबरू करा दिया। हर चौराहे पर दो पहिया-चार पहिया वाहनों पर कार्रवाई की झड़ी लगाने वाली ट्रैफिक पुलिस की इस ओवरलोड डबलडेकर बस पर नहीं पड़ी। 85 सीटों वाली बस में 135 सवारियां बैठाई गई थीं। इसे बस संचालक का रसूख ही कहा जाएगा कि हरियाणा के पलवल से बाराबंकी के रामसनेहीघाट के करीब साढ़े पांच सौ किलोमीटर के सफर के दौरान कहीं रोकटोक नहीं हुई। ऋषभ ट्रेवल्स की डबल डेकर बस के चालक-परिचालक हाईवे पर मौत के मुहाने पर यात्रियों को छोड़कर चले गए, जिनका अब तक पता नहीं चल सका है।
ओवरलोडिग बनी मौत की वजह
बस में 36 स्लीपर 13 सिटिग सीट थीं। कुल मिलाकर इसमें 85 लोगों के बैठने की क्षमता थी। लेकिन, इसमें करीब 135 यात्री ले जाए जा रहे थे। यदि सीट के मुताबिक ही यात्री होते तो शायद ज्यादातर बस में ही सवार होते और इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान न जाती। क्षमता से अधिक सवारी होने के कारण लेटना तो दूर तीन लोगों की सीट पर पांच से छह लोग बैठे थे। इसलिए बस के खराब होने पर जिसको जहां स्थान मिला सो गया और हादसे का शिकार हो गया। सुपौल जा रहे सुरेश सिंह ने बताया कि बस में एक-एक सीट पर छह-सात लोग बैठे थे। सभी से 12 से सोलह सौ रुपये प्रति यात्री की दर से किराया वसूला गया।
लापरवाही पर की गई लापरवाही :
बताया जाता है कि लुधियाना पंजाब से चली बस हरियाणा के पलवल में खराब हो गई थी। इसमें करीब पचास यात्री थे। बस के चालक ने डबर डेकर बस में इन सबको बैठा दिया। डबल डेकर बस के ड्राइवर ने पहले से क्षमता से अधिक सवारियां होने के बाद भी इनको बिठा लिया। रास्ते में टायर पंक्चर होने के बाद भी अन्य खामियों की ओर से ध्यान देना तक मुनासिब नहीं समझा। एनएचएआइ की पेट्रोलिग टीम की लापरवाही भी सामने आई है।
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फैक्ट फाइल
डबल डेकर बस में स्लीपर सीट : 35
बैठने की सीट : 13
कुल यात्रियों की क्षमता : 85
बस में सवार थे यात्री : 135