Move to Jagran APP

इन आठ के श्रम से दुनिया में चमकता है स्टोल

अलग-अलग कपड़ों और डिजायन के स्टोल की विदेशों में रहती है मांग

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 12:39 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 07:24 AM (IST)
इन आठ के श्रम से दुनिया में चमकता है स्टोल
इन आठ के श्रम से दुनिया में चमकता है स्टोल

बाराबंकी : एक जिला-एक उत्पाद में चयनित स्टोल की मांग देश-विदेश में रहती है। विभिन्न डिजाइनों में संवरकर दुनियाभर में इठलाने वाले स्टोल को यह स्वरूप देने में कामगारों की अहम भूमिका है। हथकरघा उद्योग की जान अलग-अलग भूमिकाओं का निर्वहन करने यह हुनरमंद बुनकर ही होते हैं। इसीलिए हथकरघा उद्योग में उतार-चढ़ाव का असर इन सभी पर पड़ता है। इनमें गुल्लियां तैयार करने, गांठ लगाने तो कोई रंगाई, सुखाने, कैलंडरिग यानी मशीन से प्रेस, गोल्डेन प्रिट यानी डिजायन, नग लगाने, पैकिग करने का काम करता है। यह है स्टोल बनाने की प्रक्रिया : स्टोल बनाने के लिए सबसे पहले कच्चे धागे की गुल्लियां तैयार की जाती हैं। इसके बाद हथकरघे पर बुना जाता है फिर धागे या स्टोल की अलग-अलग रंग में रंगाई कर उन्हें सुखाया जाता है। उन पर डिजायन गोल्डेन प्रेस यानी मशीन से प्रेस किया जाता है। इसके अलावा डिजायन के मुताबिक गांठ और नग लगाने के बाद उनकी पैकिग कराई जाती है। यहां बनाया जाता है स्टोल : हरख ब्लॉक का जैदपुर स्टोल बंकी ब्लॉक के शहाबपुर, सुरसंडा, बनवा, पीरबटावन कटरा, आलापुरआदि स्थानों पर स्टोल तैयार किया जाता है।

prime article banner

हुनर पर है फº

परिवार के आठ सदस्य स्टोल में गांठ लगाने का काम करते हैं। एक दर्जन स्टोल में गांठ लगाने के लिए 10 रुपये मिलते हैं। लॉकडाउन के दौरान काम ठप रहा पर उम्मीद भी इसी से है, क्योंकि यही हमारा हुनर है।

-शादिक अली, शहाबपुर। स्टोल की रंगाई, छपाई व प्रेस करने का काम करते हैं। इनसे करीब एक सैकड़ा परिवार जुड़े हैं। एक रंग की रंगाई का काम इसरार, काजी हसन व मकबूल भी करते हैं। मो. हमजा एक से ज्यादा रंग में स्टोल को डिजाइन से रंगने में माहिर हैं। इसके लिए गाले स्टोल को शमशी से मोड़ते हैं। जितने रंग की डिजाइन बनाना होता है उतने हिस्से में स्टोल पर रबर बैंड लगाते हैं। इसके बाद रंग भरते हैं।

-हाजी हशमत अली, शहाबपुर स्टोल सुखाकर जिदगी में भर रहे रंग

स्टोल बनाने में इनको सुखाने का काम भी अहम है। मामूली समझा जाने यह काम सैकड़ों परिवारों की न सिर्फ आजीविका है, बल्कि उनका हुनर भी है। इस काम से जुड़े अजवर, रसूल अहमद, हासिम व मतीन बताते हैं कि 30 पैसे प्रति स्टोल सुखाने के मिलते हैं। रंगाई के बाद इन्हें मैदान में बांस-बल्लियों का अड्डा बनाकर या जमीन में घास पर सुखाया जाता है। शकील अहमद अंसारी के यहां हर तरह के हुनरमंद हैं काम करते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK