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हरियाली से खुशहाली का मंत्र दे गईं राज्यपाल

अच्छे पौधे रोपने का संदेश दे गई साथ ही औषधीय और फलदार वृक्षों की उपयोगिता बताई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 01:02 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 06:06 AM (IST)
हरियाली से खुशहाली का मंत्र दे गईं राज्यपाल
हरियाली से खुशहाली का मंत्र दे गईं राज्यपाल

बाराबंकी: राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सोमवार को होलीपुरवा मजरे मवैया में कल्याणी नदी के तट पर न सिर्फ पीपल का पौधा रोपा, बल्कि पीपल-बरगद जैसे औषधीय पौधों की उपयोगिता बताते हुए जिदगी की खुशहाली का सशक्त माध्यम भी बताया। कहा, पौधों से हरियाली के साथ ही खुशहाली भी आती है। सुबह करीब 12 बजे पहुंची राज्यपाल ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के बाद सीधे नदी के तट पर पौधारोपण किया और कल्याणी नदी के प्राकृतिक स्वरूप को निहार कर खुशी जताते हुए पुनरोद्धार कार्य करने वाले श्रमिकों, मवैया व हैदरगंज के ग्राम प्रधानों और प्रशासन की सराहना की। उन्होंने नीम, आम, मौलश्री, जामुन, बरगद, पाकड़, सहजन जैसे औषधीय फलदार और छायादार अच्छे पौधों का रोपने का आह्वान किया। समूह की महिलाओं के विभिन्न प्रजातियों के आर्गेनिक तरीके से औषधीय पौधे रोपने से उनकी जिदगी में खुशहाली आने की उम्मीद जताई। कहा, औषधीय पौधों से जहां शरीर को रोग मुक्त बनाए रखने में मदद मिलेगी वहीं आर्थिक स्तर में भी मजबूती मिलेगी।

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वृक्षों के अंधाधुंध कटान से पनपीं बीमारियां

एक शिक्षक की तरह समझाते हुए राज्यपाल ने कहा कि वृक्षों के अंधाधुंध कटान से इससे पर्यावरण प्रभावित हुआ और हम बीमार होने लगे। आयुर्वेद को छोड़कर एलोपैथी दवाओं से एक दिन में बुखार ठीक करने की लालसा हमें रोग से ग्रसित करती रही। कोरोना कॉल में आयुर्वेद ने अपनी उपयोगिता सिद्ध की। कहा, फलदार पौधे भी लगाए जाने चाहिए ताकि पक्षियों को भी भोजन मिलता रहे हैं और हमें भी पौष्टिक आहार। उन्होंने विलुप्त हो चुके पक्षियों पर चिता जताते हुए कहा कि फलदार पौधों के कम होने से तमाम पक्षी हमारे बीच नहीं रहे। कहा, औषधीय, छायादार व अच्छी हवादार वाले पौधे लगेंगे तो मानवजीवन के साथ ही पशु-पक्षियों का जीवन भी सुखमय होगा।

महिला के संघर्ष की सुनाई कहानी

राज्यपाल ने उत्तराखंड की एक पर्यावरण प्रेमी पद्मश्री से विभूषित महिला की कहानी सुनाई। कहा, पहाड़ पर पेड़ काटने वालों को रोकने के लिए संबंधित महिला ने महिलाओं का समूह बनाकर उनसे लोहा लिया। गांव वाले भी जुड़े और पहाड़ पर करीब 25 हजार नए पौधे रोपे गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी जी को जब पता चला तो उन्होंने उन्हें पद्मश्री सम्मान के लिए नामित कराया।

देश के प्रधान सेवक की सोच को मूर्त रूप देते हैं ग्राम प्रधान

राज्यपाल आनंद बेन पटेल ने सोमवार को फतेहपुर क्षेत्र के गांव होलीपुरवा मजरे मवैया में कल्याणी नदी के तट से देश के विकास में ग्राम प्रधानों की भूमिका को सराहा। कहा, देश का प्रधान सेवक यानि प्रधानमंत्री जो सोचता है गांव का प्रधान सेवक यानि प्रधान वह काम कराता है। इसलिए प्रधानों की देश के विकास में अहम भूमिका है। उन्होंने मवैया ग्राम पंचायत के प्रधान रामचंद्र व हैदरगंज के प्रधान कमलेश कुमार को कल्याणी नदी की सफाई व पौध रोपण के लिए सराहा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश के विकास को लेकर सोच को भी सराहा। कहा कि शौचालय व अपना घर व इलाज की सुविधा सबको मिलना चाहिए थी, लेकिन पहले पता नहीं क्यों नहीं ऐसा हुआ? वर्ष 2014 में मोदी सरकार में लोगों को शौचालय भी मिला और अपना घर भी। इलाज के लिए बड़े ऑपरेशन को पैसे नहीं होते थे। घर का मुखिया बिना इलाज के मरा तो समझो पूरा परिवार मरे समान हो गया। पर, आज बिना इलाज के कोई नहीं मरता। आयुष्मान भारत योजना लाकर मोदी जी ने बड़े से बड़ा इलाज कराने की व्यवस्था कर दी।

औषधीय पौधे भेंटकर अतिथियों का स्वागत

मंच पर जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह ने राज्यपाल को नीम का पौधा देकर स्वागत किया। वन मंत्री का एसपी डॉ. अरविद चतुर्वेदी, सांसद उपेंद्र सिंह रावत का सीडीओ मेधा रूपम और वन विभाग के अधिकारियों ने विधायक शरद अवस्थी, सतीश चंद्र शर्मा, बैजनाथ रावत, राम नरेश रावत, साकेंद्र प्रताप वर्मा व भाजपा जिलाध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव का औषधीय पौधे देकर स्वागत किया।

हर भ्रमण का संस्मरण सुनाया

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल सोमवार को तीसरी बार जिले में आईं। लेकिन इससे पहले दो बार जिला भ्रमण के संस्मरण सुनाना नहीं भूली। उन्होंने कहा कि बाराबंकी तीसरी बार आई हूं, शायद ही इससे पहले किसी राज्यपाल का किसी जिले में तीन बार आना हुआ होगा। जरूर ही यहां कुछ खास है जोकि बार-बार आने का मौका देता है।

पहली बार लोधेश्वर महादेवा के ऑडीटोरियम में अपने आने की याद करते हुए कहा कि तब केंद्रीय योजनाओं की समीझा करने आई थीं। दूसरी बार हरख ब्लॉक के दौलतपुर में प्रगतिशील किसान राम सरन वर्मा के कृषि फार्म पर आने का कारण भी समझाया। उन्होंने कहा कि रामसरन वर्मा राजभवन में उनसे मिलने गए थे। उन्होंने उन्नत खेती के बारे में बताया तो आने की जिज्ञासा हुई। क्योंकि मेरे पिता जी भी किसान थे। किसान की बेटी होने के नाते खेती से लगाव भी रहता है। उन्होंने आर्गेनिक जीरो बजट खेती को बढ़ावा दिए जाने की बात पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि तीसरी बार यानि आज आने के लिए वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने आमंत्रित किया। मौसम खराब होने के चलते वह परेशान थे, बोले कि एक घंटा आने व एक घंटा जाने में लगेगा। हमने कहा छह घंटा कार में चल सकती हूं। जो काम हुआ है या हो रहा है उसे देखने ही तो जाना है। हमें कौन सा काम करना है। यहां आकर कल्याणी का स्वरूप देखा, पौधे लगाए। बहुत अच्छा लगा।


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