रिकवरी के डर से राशन कार्ड जमा करने पहुंचा दिव्यांग
राशन कार्ड बचाने के लिए जमा कर दिया शस्त्र लाइसेंस
बाराबंकी : राशन कार्ड से मिल रही खाद्य सुरक्षा का आमजन पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। इसीलिए अब लोग इसे बचाने के लिए शस्त्र लाइसेंस भी जमा करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। दूसरी ओर, कार्रवाई के डर से कार्ड जमा करने वालों में होड़ मची है। जिला पूर्ति कार्यालय से लेकर तहसीलों में राशन कार्ड सरेंडर करने वालों की भीड़ लग रही है। अब तक करीब तीन हजार से अधिक राशन कार्ड सरेंडर किए जा चुके हैं।
साहब! हमारा कार्ड जमा कर लीजिए
जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय में बुधवार की सुबह एक दिव्यांग अपनी ट्राइसाइकिल से पहुंचा। फटे-पुराने कपड़े पहने युवक ने जिला पूर्ति अधिकारी(डीएसओ) डा. राकेश कुमार तिवारी को कार्ड सौंपते हुए जमा करने को कहा। डीएसओ ने उसकी पुरानी ट्राइसाइकिल व दशा देखकर कहा कि तुम पात्र हो, जाओ तुम्हारा कार्ड नहीं कटेगा। उनकी यह बात सुनकर दिव्यांग की आंखों में खुशी के आंसू झलक पड़े। डीएसओ ने स्पष्ट किया कि कार्ड सिर्फ वही लोग सरेंडर करें, जो अपात्र हैं। दिव्यांग बंकी का रहने वाला बताया जाता है।
शस्त्र जमा कर दिया है..कार्ड मत काटिए
सिरौलीगौसपुर : दरियाबाद की ग्राम पंचायत अकबरपुर के शांति देवी व उसके पति भगौती वृद्ध दंपति परिवार के पास शस्त्र लाइसेंस है। इन्होंने शस्त्र लाइसेंस छोड़ दिया है। उन्होंने राशन कार्ड बनाए रखने की अपील की। वृद्ध दंपत्ति ने बताया कि वृद्धावस्था में राशन कार्ड उनके ज्यादा काम आएगा। पूर्ति निरीक्षक गरिमा वर्मा के सामने पेश होकर कहा कि साहब, हम आपन शस्त्र जमा कर देहेन हैं, अखबार मा निकला है। हमार कार्ड न काटा जाए। वहीं, अकबरपुर ग्राम पंचायत का ही कल्लू के पास भी शस्त्र लाइसेंस है। उन्होंने भी राशनकार्ड बचाने के लिए शस्त्र निरस्त करने की पेशकश की।
साढ़े तीन हजार से अधिक सरेंडर हुए कार्ड : जिला पूर्ति अधिकारी डा. राकेश तिवारी ने बताया कि अब तक साढ़े तीन हजार से अधिक राशन कार्ड सरेंडर हो गए हैं। आयकरदाता, चार पहिया वाहन, ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, एसी, पांच किलोवाट या उससे अधिक क्षमता के जनरेटर, पांच एकड़ से ज्यादा सिचित जमीन, एक से ज्यादा शस्त्र लाइसेंस धारक, वार्षिक आय दो लाख से ज्यादा वाले लोग अपात्र हैं, यह अपना कार्ड सरेंडर कर दें।
ये हैं पात्र : भिक्षावृत्ति करने वाले, माता-पिता विहीन बच्चे, दैनिक वेतन भोगी, भूमिहीन मजदूर, ऐसे परिवार जिनका मुखिया निराश्रित, महिला, विकलांग या कोई बालिग पुरुष नहीं है। आवासहीन परिवार के अलावा ऐसे परिवार जिनकी वार्षिक आय दो लाख से कम है।