अनपढ़ विश्राम का पुत्र गांव में बना था पहला बीएससी डिग्री धारक
-बच्चों को पढ़ाकर बनाई मिसाल चार पुत्र सरकारी नौकरी में पुत्रियां भी ग्रेजुएट
बाराबंकी : सिरौलीगौसपुर तहसील के ग्राम खोर एत्मादपुर निवासी विश्राम कनौजिया (धोबी) आज जीवित नहीं हैं पर उनकी मिसाल दी जाती है। क्योंकि अपनढ़ विश्राम के पुत्र मनीष गांव में बीएससी की डिग्री हासिल करने वाले पहले युवक बने थे। इनके चार पुत्रों ने पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी हासिल की। दो पुत्रियों ने भी ग्रेजुएट तक पढ़ाई की।
विश्राम ने जीवन भर गांव वालों के कपड़े धोए। दूसरे के खेतों में मजदूरी की। लेकिन अपने बच्चों की पढ़ाई नहीं बंद होने दी। विश्राम के पुत्र मनीष वर्ष 1997 में इस गांव से पहले बीएससी की डिग्री हासिल करने वाले होनहार बने। तब इलाके में विश्राम की नई पहचान बनी। इसके बाद मनीष वर्ष 2002 में बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक बने। अन्य तीन पुत्रों में सज्जन कनौजिया सिचाई विभाग, अनीस कनौजिया व शैलेंद्र कनौजिया पंचायत राज विभाग में नौकरी करते हैं। पुत्री नीतू व सपना कनौजिया भी ग्रेजुएशन तक पढ़े हैं। चारों बहुएं रंजना कनौजिया, लक्ष्मी कनौजिया, कल्पना कनौजिया व सोनी कनौजिया भी ग्रेजुएट हैं। वहीं बड़ी पुत्रवधू रंजना कनौजिया सूबे में सबसे कम उम्र की महिला ग्राम प्रधान रह चुकी हैं।
कठिन परिश्रम से मिला मुकाम : समाज में व्याप्त कुरीतियों व गरीबी के कारण विश्राम का उनका परिवार पूरी तरह अशिक्षित था। कपड़ों को धोने के पुश्तैनी धंधे के साथ मजदूरी करने के अलावा आय का अन्य कोई साधन नहीं था। विश्राम की पत्नी सियावती अपने अशिक्षित पति की दशा देख उन्हें बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित करती रहीं। विश्राम कनौजिया की मृत्यु पांच दिसंबर 2003 में हो गई। इनके ज्येष्ठ पुत्र शिक्षक मनीष कनौजिया ने बताया कि गरीबी के कारण पिताजी अपना इलाज नहीं कर पाए लेकिन हम लोगों की पढ़ाई को नहीं रुकने दिया। पितृ दिवस व विश्व श्रमिक दिवस पर पूरा परिवार श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर पिता को श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।