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यहां रोने के लिए भी नहीं छोड़ी जगह!

अतिक्रमणकारियों ने शहर में रोने लायक जमीन भी नहीं छोड़ी। यह कहना इसलिए गलत न होगा क्योंकि पोस्टमार्टम हाउस के आसपास भी अवैध कब्जा कर लिया गया है। जबकि पोस्टमार्टम हाउस के गेट के दोनों तरफ कोई शव वाहन भी नहीं खड़ा हो पाता और न ही लोग खड़े हो सकते हैं। बस स्टेशन से रेलवे स्टेशन जाने वाले मार्ग पर पुलिस क्लब के ठीक बगल में पोस्टमार्टम हाउस है। पुलिस क्लब से लेकर नगर पालिका के पंप स्थल तक पोस्टमार्टम हाउस की चहरदीवारी बनी है। इसके आगे पुलिस लाइन की चहारदीवारी पुलिस लाइन चौराहे तक है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 11:25 PM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 06:04 AM (IST)
यहां रोने के लिए भी नहीं छोड़ी जगह!
यहां रोने के लिए भी नहीं छोड़ी जगह!

बाराबंकी : अतिक्रमणकारियों ने शहर में रोने लायक जमीन भी नहीं छोड़ी। यह कहना इसलिए गलत न होगा क्योंकि पोस्टमार्टम हाउस के आसपास भी अवैध कब्जा कर लिया गया है। जबकि, पोस्टमार्टम हाउस के गेट के दोनों तरफ कोई शव वाहन भी नहीं खड़ा हो पाता और न ही लोग खड़े हो सकते हैं। बस स्टेशन से रेलवे स्टेशन जाने वाले मार्ग पर पुलिस क्लब के ठीक बगल में पोस्टमार्टम हाउस है। पुलिस क्लब से लेकर नगर पालिका के पंप स्थल तक पोस्टमार्टम हाउस की चहरदीवारी बनी है। इसके आगे पुलिस लाइन की चहारदीवारी पुलिस लाइन चौराहे तक है। पोस्टमार्टम हाउस की परिधि में पहले बिल्कुल अतिक्रमण नहीं था। लेकिन, पंप के आगे जवाहर लाल नेहरू डिग्री कॉलेज के सामने पुलिस लाइन की चहरदीवारी के किनारे चौराहे तक झुग्गी-झोपड़ियां थीं जिसमें मांगने-खाने व रिक्शा चलाने वालों के परिवार रहते थे।

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झुग्गी-झोपड़ियों को प्रशासनिक अमले ने करीब छह साल पहले अभियान चलाकर हटवाया था। बड़ी मुश्किल से यह जगह खाली हुई थी लेकिन अब पक्के चबूतरे बनाकर उस पर लोहे की बड़ी-बड़ी दुकानें रखकर लोग काबिज हो रहे हैं।

नगर पालिका व प्रशासनिक अधिकारी अंजान बने हैं। पिछले पांच-छह साल से पोस्टमार्टम हाउस से पुलिस लाइन चौराहे तक सब्जी की बाजार भी लगने लगी है। ग्रामीण अंचल के किसान भी सब्जी बेचने आते हैं लेकिन स्थाई अतिक्रमण के चलते उन्हें दो-तीन घंटे जमीन पर बैठने की जगह भी मुश्किल से मिल पाती है। इनसेट-

'पोस्टमार्टम हाउस के सामने ही नहीं पूरे शहर को अतिक्रमण से मुक्त कराने के ²ष्टिगत कार्रवाई की जा रही है। शीघ्र ही सड़कों के किनारे व सरकारी जमीनें अतिक्रमण से मुक्त दिखाई देंगी।'

-डॉ. आदर्श सिंह, डीएम, बाराबंकी


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