रेस्ट करता रह गया रेस्ट ऑफ ड्यूटी का आदेश
बाराबंकी : जनता के लिए 24 घंटे मुश्तैद पुलिस पर अत्यधिक कार्य के अलावा भी तमाम दबाव रहते
बाराबंकी : जनता के लिए 24 घंटे मुश्तैद पुलिस पर अत्यधिक कार्य के अलावा भी तमाम दबाव रहते हैं। इससे उनकी कार्य क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। क्षेत्र में सर्वाधिक अराजपत्रित कर्मचारी क्रियाशील रहते हैं। जिन्हें मानसिक व शारीरिक आराम देने के लिए डीजीपी ने 2016 में रेस्ट ऑफ ड्यूटी का आदेश जारी किया था। इसके तहत रोस्टर तैयार कर पुलिस कर्मियों को 11वें दिन अवकाश भी दिया जाना था।
पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों ने भले ही विभाग में सबसे अधिका काम करने वाली कड़ी की भलाई के ²ष्टिगत यह आदेश जारी किया हो, लेकिन उच्चाधिकारी इस आदेश को अमली जामा नहीं पहना सके हैं। इस आदेश से लाभांवित होने वाले पुलिसकर्मी पहले जैसा ही काम कर रहे हैं। हालांकि शुरूआत में विभाग के आलाकमान के आदेश का अनुपालन करने के नाम पर रोस्टर तो तैयार हुआ, ल किन वह रोस्टर कागज और फाइल तक ही सीमित होकर रह गया। न तो किसी सिपाही को छुट्टी मिल रही है और न ही रोस्टर जारी हुआ है।
आवाज उठाई तो अनुशासनहीनता : पुलिस अधिकारियों के दबाव में पुलिस कर्मी आवाज भी नहीं उठा पाते हैं। अगर वह इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखे अथवा आवाज बुलंद करते हैं तो यह अनुशासन हीनता की श्रेणी में आता है। जिसके चलते इस मामले में कोई आवाज उठाने का साहस तक नहीं कर पाता है।इनके लिए है व्यवस्था : रेस्ट ऑफ ड्यूटी थानों, चौकियों व ट्रैफिक में तैनात पुलिस कर्मी आदि के समस्त अराजपत्रित कर्मियों को दी जानी थी। इससे उन्हें तानवपूर्ण कार्य से मानसिक और शारीरिक आराम मिल सके। इसमें दस दिन लगातार ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों को ग्यारहवें दिन का प्रावधान है।
अवकाश ही बंद हो जाते हैं : पुलिसकर्मियों को इस प्रावधान के तहत छुट्टी मिलना तो दूर सामान्य तौर पर मिलने वाली छुट्टियों पर भी रोक लग जाती है। उदाहरण के तौर पर अभी मोहर्रम के ²ष्टिगत 24 सितंबर तक अवकाश बंद कर दिए गए हैं। इसके बाद दीपावली में फिर अवकाश बंद हो जाएंगे।मोहर्रम के बाद होगी शुरूआत? सीओ सदर राजेश यादव ने बताया कि मुहर्रम के बाद इसे लागू किया जाएगा। इसके लिए पुलिस अधीक्षक से वार्ता कर रोस्टर तैयार कराया जाएगा।