केले की फसल को बचाना किसानों के लिए चुनौती
-कड़ाके की ठंड में पाला पड़ने से फट रहे हैं पत्ते और तना संवादसूत्र, सतरिख (बाराबंकी)
-कड़ाके की ठंड में पाला पड़ने से फट रहे हैं पत्ते और तना
संवादसूत्र, सतरिख (बाराबंकी) : कड़ाके की ठंड में पाला पड़ने से केले की फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। किसान फसल बचाने के लिए पानी देकर नमी बना रहे हैं। धुआं भी कर रहे हैं। किसानों का मानना है कि इससे पाले का प्रभाव कम किया जा सकता है।
हरख ब्लॉक क्षेत्र के दौलतपुर मानपुर, डेहवा, नेवली, भगवानपुर, मेंहदीपुर, करौंदीकला, आलमपुर, गयासपुर के अलावा कई अन्य गांवों में किसान बड़े पैमाने पर केले की खेती कर रहे हैं। भीषण ठंड पड़ी तो फसल पर संकट के बादल मंडराने लगे। दौलतपुर गांव निवासी ग्राम प्रधान रोहित वर्मा ने दो हेक्टेयर में केले की खेती कर रखी है। रोहित का कहना है कि ठंड अधिक पड़ने से केले का पत्ता और उसका तना फट रहा है। इसे रोकने के लिए उन्होंने कारवेंडाजिम का प्रयोग किया है। सुधार कम दिखा तो खेत में फसल के बीच कई स्थानों पर धुआं पैदा किया। इतना ही नहीं खेत को लगातार पानी देकर नमी बनाई। तब जाकर पाला के प्रभाव को कम किया जा सका। किसान का कहना है कि केला की खेती करने वाले किसानों को वैज्ञानिकों के साथ उन लोगों से भी सलाह लेनी चाहिए जिन्हें विपरीत परिस्थितियों में भी फसल के उत्पादन का अनुभव है। उनका मानना है कि फसल में पानी की नमी रही और धुएं का गुबार बना दिया जाए तो फसल पर पाले का प्रभाव नहीं पड़ेगा।