बीए पास आशीष गन्ना के साथ कर रहे हैं सहफसली खेती
कम खर्च में अधिक आय बढ़ाने का नायाब तरीका अपनायाूट्यूब पर देखने के बाद सहफसली खेती करने का आया विचार
सरोज वर्मा, हैदरगढ़ (बाराबंकी) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा 'समय को अवसर में बदल दो' व 'आत्मनिर्भर बनो' से प्रभावित बीए पास आशीष ने गन्ना की खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आय बढ़ाने के लिए पहली बार सहफसली खेती कर रहे हैं। कम खर्च में अधिक आय बढ़ाने का नायाब तरीका उन्होने अपनाया है।
हैदरगढ़ के गोतौना गांव निवासी प्रगतिशील कृषक आशीष कुमार सिंह नौकरी करने के बजाय बदलते परिवेश में सहफसली खेती को तवज्जो दे रहे हैं। सहफसली खेती करने का विचार आशीष को यूट्यूब पर देखने के बाद आया। आशीष ने बताया कि कम खर्च में अधिक आय बढ़ाने का यह एक नायाब तरीका है। अलग से न कोई मेहनत करनी पड़ेगी। न खेत की व्यवस्था। बोई है गन्ना की दो नवीनतम प्रजाति : हैदरगढ़ चीनी मिल द्वारा हरियाणा स्थित करनाल से लाई गई अधिक उत्पादन देने वाली रोग रहित गन्ना की नवीनतम प्रजाति सीओ- 0118 व सीओ- 0239 को दो एकड़ भूमि पर बोई है। नवंबर माह में गन्ना बोया है जो अगले वर्ष अक्टूबर माह में बीज के रूप में तैयार हो जाएगा। जो किसानों को दिया जाएगा। गन्ना के साथ कर रहें सहफसली खेती : आशीष ने अपने खेत पर गन्ना की फसल के साथ-साथ सहफसली की भी खेती कर रहे हैं। गन्ना से गन्ना की दूरी साढ़े चार फिट के बीच पहली बार आलू (20 बिस्वा), हरी मटर व लहसुन (चार-चार बिस्वा), चना (दो बिस्वा), चुकंदर व मूली (एक-एक बिस्वा) के साथ मेड़ पर सरसों भी बो रखा है। फसल की सुरक्षा के उपाय : बेसहारा पशु व नीलगाय से फसल को बचाने के लिए खेत के चारों ओर खंभा लगाकर कटीला तार व मच्छरदानी नुमा हवादार पर्दा लगा रखा है। पास-पड़ोस में नहर न होने से सिचाई के लिए खेत में निजी नलकूप लगा रखा है। आशीष कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर सिचाई व कीटनाशक दवा का छिड़काव करते हैं। हैदरगढ़ चीनी मिल के अधिकारियों के दिशा-निर्देश व मार्गदर्शन का पालन करते रहते हैं।